लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) के खिलाफ दर्ज अपहरण के प्रयास के मामले में चित्रकूट निवासी पीड़िता की उपस्थिति सुनिश्चित कराने व उसका बयान दर्ज करने का आदेश सम्बंधित ट्रायल कोर्ट को दिया है. न्यायालय ने मामले को अगली सुनवाई के लिए तीन माह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) की ओर से दाखिल दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) ने अपने खिलाफ चल रहे अपहरण के मुकदमे के सम्बंध में 18 सितम्बर 2021 और 5 अक्टूबर 2021 के दो आदेशों को चुनौती दी है, जिनमें लखनऊ की ट्रायल कोर्ट ने उसे डिस्चार्ज करने से इंकार कर दिया, साथ ही उसके खिलाफ आरोप भी तय कर दिया. गायत्री की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिये अपने कलमबंद बयान में कहा है कि उसने उनके खिलाफ इस केस में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई थी. कहा गया कि पीड़िता के इस बयान के बाद गायत्री के खिलाफ विचारण आगे चलाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पारित अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में पीड़िता के बयान दर्ज हो जाने के बाद ही वर्तमान दोनों याचिकाओं का निस्तारण करना उचित होगा. इसके बाद न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को पीड़िता का बयान दर्ज करने का आदेश दिया.
यह भी पढ़ें : लखीमपुर मामले में छह आरोपी गिरफ्तार, पेड़ से लटकी मिली थी 2 दलित बहनों की लाश
उल्लेखनीय है कि मामले की एफआईआर चित्रकूट निवासी महिला की अर्जी पर गोमती नगर थाने में वर्ष 2016 में दर्ज कराई गई थी. वहीं मामले की पीड़िता को गोमती नगर विस्तार में दर्ज एक अन्य आपराधिक मामले में 10 सितम्बर को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.
यह भी पढ़ें : दारुल उलूम नदवा पहुंची मदरसा सर्वे की टीम, 12 बिंदुओं पर ली जानकारी