लखनऊ : उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव का कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो गया. आठ साल लंबे कार्यकाल में एमडी कुमार केशव ने लखनऊ और कानपुर में मेट्रो दौड़ाई. इसके अलावा आगरा में मेट्रो के नींव रखी और कई अन्य शहरों के लिए योजना तैयार की. गुरुवार को कार्यकाल समाप्त होने के बाद गोमती नगर स्थित प्रशासनिक भवन में सबसे जूनियर मेंटेनर स्टाफ को स्मृति स्वरूप अपना सेफ़्टी हेलमेट सौंपा, जो कि यूपीएमआरसी की संरचना में सबसे जूनियर स्टाफ पद होता है.
कुमार केशव, भारतीय रेल इंजीनियरिंग सेवा (IRSE) के अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक और आईआईटी-कानपुर से गोल्ड मेडल के साथ एम.टेक किया. उनके कुशल नेतृत्व की वजह से कानपुर और लखनऊ मेट्रो रेल परियोजनाओं को देश में सबसे तेज़ गति के साथ क्रियान्वित होने वाली परियोजनाओं का गौरव हासिल हुआ. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर यात्री सेवाओं का परिचालन मात्र साढ़े चार साल में शुरू हुआ और कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के नौ किलोमीटर लंबे प्राथमिक सेक्शन की शुरुआत मात्र दो साल डेढ़ माह में हुई. दोनों ही परियोजनाओं पर यात्री सेवाओं का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. कुमार केशव के कार्यकाल के दौरान यूपीएमआरसी ने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार एवं प्रशस्तियां भी अपने नाम कीं. लखनऊ मेट्रो के सीसीएस एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन का नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज है.
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कार्यकाल समाप्त होने के अवसर पर कुमार केशव ने कहा कि मैंने 2014 में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (पूर्व में लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था, जो कि निःसंदेह मेरे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी. उस दिन से लेकर आज तक मैं यूपीएमआरसी के लिए समर्पित रहा. मैंने इसे कभी एक नौकरी के रूप में नहीं देखा. मैंने अपनी टीम के साथ जो भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन पर मुझे गर्व है. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना को निर्धारित समय-सीमा से 36 दिन पूर्व पूरा करने के बाद, यूपीएमआरसी ने कानपुर में कोविड-19 की दो लहरों के बावजूद भी मेट्रो परियोजना के प्राथमिक सेक्शन (आईआईटी-मोतीझील) पर सिर्फ़ दो साल और डेढ़ माह में यात्री सेवाओं का परिचालन शुरू कर इतिहास रचा है और अपनी कर्मठता को प्रमाणित किया है.
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आठ साल के कार्यकाल में लखनऊ-कानपुर में मेट्रो दौड़ाई, अब एमडी पद से ली विदाई
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव का कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो गया. कार्यकाल समाप्त होने के बाद गोमती नगर स्थित प्रशासनिक भवन में सबसे जूनियर मेंटेनर स्टाफ को स्मृति स्वरूप अपना सेफ़्टी हेलमेट सौंपा.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव का कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो गया. आठ साल लंबे कार्यकाल में एमडी कुमार केशव ने लखनऊ और कानपुर में मेट्रो दौड़ाई. इसके अलावा आगरा में मेट्रो के नींव रखी और कई अन्य शहरों के लिए योजना तैयार की. गुरुवार को कार्यकाल समाप्त होने के बाद गोमती नगर स्थित प्रशासनिक भवन में सबसे जूनियर मेंटेनर स्टाफ को स्मृति स्वरूप अपना सेफ़्टी हेलमेट सौंपा, जो कि यूपीएमआरसी की संरचना में सबसे जूनियर स्टाफ पद होता है.
कुमार केशव, भारतीय रेल इंजीनियरिंग सेवा (IRSE) के अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक और आईआईटी-कानपुर से गोल्ड मेडल के साथ एम.टेक किया. उनके कुशल नेतृत्व की वजह से कानपुर और लखनऊ मेट्रो रेल परियोजनाओं को देश में सबसे तेज़ गति के साथ क्रियान्वित होने वाली परियोजनाओं का गौरव हासिल हुआ. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर यात्री सेवाओं का परिचालन मात्र साढ़े चार साल में शुरू हुआ और कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के नौ किलोमीटर लंबे प्राथमिक सेक्शन की शुरुआत मात्र दो साल डेढ़ माह में हुई. दोनों ही परियोजनाओं पर यात्री सेवाओं का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. कुमार केशव के कार्यकाल के दौरान यूपीएमआरसी ने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार एवं प्रशस्तियां भी अपने नाम कीं. लखनऊ मेट्रो के सीसीएस एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन का नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज है.
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कार्यकाल समाप्त होने के अवसर पर कुमार केशव ने कहा कि मैंने 2014 में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (पूर्व में लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था, जो कि निःसंदेह मेरे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी. उस दिन से लेकर आज तक मैं यूपीएमआरसी के लिए समर्पित रहा. मैंने इसे कभी एक नौकरी के रूप में नहीं देखा. मैंने अपनी टीम के साथ जो भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन पर मुझे गर्व है. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना को निर्धारित समय-सीमा से 36 दिन पूर्व पूरा करने के बाद, यूपीएमआरसी ने कानपुर में कोविड-19 की दो लहरों के बावजूद भी मेट्रो परियोजना के प्राथमिक सेक्शन (आईआईटी-मोतीझील) पर सिर्फ़ दो साल और डेढ़ माह में यात्री सेवाओं का परिचालन शुरू कर इतिहास रचा है और अपनी कर्मठता को प्रमाणित किया है.
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