लखनऊ. दिसंबर माह में पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का विद्युतीकरण का काम (Electrification work of Lucknow division) पूरा हो जाएगा. जिसके बाद डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने का झंझट खत्म हो जाएगा. जो समय तकरीबन 20 मिनट इंजन को बदलने में लगता था विद्युतीकरण के बाद इस समय की बचत हो सकेगी. बार-बार इंजन न बदले जाने से ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म होगी. इससे समयसारिणी मेंटेन होगी. यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
वर्तमान में पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में 80 किलोमीटर का विद्युतीकरण का काम बचा है और इसका टारगेट दिसंबर तक पूरा करना है. पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम ने विद्युतीकरण के काम में तेजी लाने के अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं. लिहाजा, अब जल्द से जल्द ट्रैक पर विद्युतीकरण का काम किया जा रहा है. जंगली क्षेत्र में विद्युतीकरण नहीं होना है. लिहाजा, उन क्षेत्रों को छोड़ा जाएगा. कुल मिलाकर अभी तक 13 सौ से ज्यादा किलोमीटर के लखनऊ मंडल के रेल ट्रैक में सिर्फ 80 किलोमीटर रूट ही ऐसा शेष रह गया है जहां पर विद्युतीकरण का काम चल रहा है. इस काम को पूरा करने के दो ही महीने शेष रह गए हैं. यानी दिसंबर के आखिरी सप्ताह या फिर नए साल में पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के विद्युतीकरण का काम पूरा हो जाएगा. ट्रेनें पूरी रफ्तार से गुजरने लगेंगी.
1333 किलोमीटर का है लखनऊ मंडल का ट्रैक : लखनऊ मंडल की बात करें तो कुल 1333 किलोमीटर का रेलवे ट्रैक है, जिसमें से 1167 किलोमीटर ब्रॉड गेज लाइन है तो 225 किलोमीटर मीटर गेज लाइन है. इनमें से इलेक्ट्रिफिकेशन की बात करें तो 1135 किलोमीटर ट्रैक पर अब तक पूर्वोत्तर रेलवे विद्युतीकरण का काम पूरा कर चुका है. वहीं, पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अंतर्गत आने वाले स्टेशनों की बात की जाए तो कुल 158 रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से ब्रॉड गेज लाइन वाले 137 रेलवे स्टेशन तो मीटर गेज वाले 19 रेलवे स्टेशन शामिल हैं. दो ऐसे भी रेलवे स्टेशन है मैलानी और बहराइच, जो ब्रॉड गेज और मीटर गेज दोनों में ही शामिल हैं.
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क्या कहती हैं डीआरएम : हम लोग अपने मंडल में विद्युतीकरण बहुत तेजी से कर रहे हैं. लगभग 80 किलोमीटर ब्रॉडगेज में रह गया है, मीटर गेज में जंगल है वहां पर विद्युतीकरण नहीं होगा. इस दिसंबर तक विद्युतीकरण का काम पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में पूरा हो जाएगा. इससे काफी फायदा मिलेगा. हमें जो अभी तक डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलना पड़ता था इसमें लगभग 20 मिनट का स्टॉपेज लेना पड़ता था, वह अब लेना नहीं पड़ेगा. इससे जहां समयसारिणी मेंटेन होगी और राजस्व की भी काफी बचत होगी. औसत ट्रेनों की रफ्तार भी पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा होने के बाद बढ़ जाएगी.
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