लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में टिड्डियों ने उत्पाद मचा रखा है. अब भी प्रदेश के कुछ हिस्सों में टिड्डियों के लगातार हमले जारी है. टिड्डियों के इन हमलों से किसानों की फसलें काफी हद तक बर्बाद हो रही हैं. राजधानी लखनऊ में बीते रविवार को टिड्डियों ने हमला किया था. इस दौरान केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान- सीमैप के रिसर्च फॉर्म में भी टिड्डियों के दल ने नुकसान पहुंचाया था. वहीं सीमैप के वैज्ञानिकों ने नुकसान की सही स्थिति जानने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि औषधीय और सगंध पौधों की फसलें टिड्डियों से पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के निदेशक प्रो. प्रबोध कुमार त्रिवेदी का कहना है कि सीमैप का रिसर्च फॉर्म लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है. इस फार्म में औषधीय और सुगंधित फसलों के साथ ही कुछ पारंपरिक फसलों पर भी रिसर्च करते हैं. इस सीजन में कई मेडिसिनल और पारंपरिक फसलों की खेती की जा रही है. इन फसलों को इंटरक्रॉपिंग की तरह उगाया जाता है और इन पर रिसर्च भी किया जाता है.
प्रोफेसर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इस समय रिसर्च फार्म में मक्का, ढैंचा और कुछ सब्जियों की भी फसलें लगाई गई थीं. जब टिड्डियों का हमला हुआ. इस दौरान टिड्डियों को एक बड़ा दल सीमैप की फसलों को भी नुकसान कर गया. हमले के दूसरे दिन रिसर्च फार्म की स्थिति की जांच की गई. इस दौरान सर्वे में एक बेहद आश्चर्यजनक बात सामने निकलकर आई. सर्वे में पता चला कि फार्म में जो पारंपरिक फसलें थी... जैसे- ढैंचा, मक्का इत्यादि. इन फसलों को टिड्डियों ने लगभग 90 फीसदी तक खराब कर दिया था, लेकिन उन्हीं के आस-पास लगी हुई मेडिसिनल और अरोमैटिक प्लांट्स की फसलें, जैसे- तुलसी, अश्वगंधा, सफेद मूसली, नींबू घास, मेंथा, आर्टीमिसिया की फसल काफी बड़े क्षेत्र में उगाई गई थी. इन्हें किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
प्रोफेसर प्रबोध ने बताया कि इंटर क्रॉपिंग के लिए इन एरोमेटिक और मेडिसिनल प्लांट के बीच में ही पारंपरिक फसलें लगाई गई थीं. औषधीय एवं सुगंधित पौधों के फसलों को टिड्डियों द्वारा किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा, तो वहीं पारंपरिक फसलों को ज्यादा हानि पहुंची है. प्रोफेसर प्रबोध कुमार त्रिवेदी की मानें तो टिड्डियों के हमले से इस बात का निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि टिड्डियों का दल आयुर्वेदिक और सगंध पौध की फसलों से दूर भागता है.
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