लखनऊ : बिजली विभाग के समाधान सप्ताह (solution week) में नए-नए कारनामे उजागर हो रहे हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों की कमीशनखोरी की परतें उधड़ रही हैं. किसी उपभोक्ता को घर में बिना मीटर लगे ही हजारों रुपए का बिल थमा दिया जा रहा है. इसी तरह एक कनेक्शनधारक की मृत्यु हो चुकी है. बाकायदा परिजनों ने डेथ सर्टिफिकेट बिजली विभाग को सौंपकर परमानेंट डिस्कनेक्शन की रसीद भी हासिल कर ली. बावजूद इसके विभाग की तरफ से लाखों का बिल घर भेज दिया गया है. अब रिकवरी के लिए बार-बार दबाव बनाया जा रहा है.
चिनहट उपकेंद्र के अंतर्गत अनौरी कला के रहने वाले उपभोक्ता योगेंद्र का काफी बिल बकाया होने पर विभाग ने कनेक्शन काट दिया गया था. विभागीय अफसरों ने घर से मीटर भी उतार लिया. सीधा सा मतलब है जब घर में मीटर नहीं तो फिर बिजली जलने का सवाल ही पैदा नहीं होता. बावजूद इसके बिजली विभाग का मीटर चालू है, जबकि उपभोक्ता की बत्ती गुल है. उपभोक्ता योगेंद्र समाधान सप्ताह में अपनी समस्या का समाधान कराने के लिए पहुंचते हैं. वहां वे अपने घर का कनेक्शन चालू करने और अपना पुराना मीटर लगाने का अनुरोध करते हैं.
अधिकारियों को बताते हैं कि विभाग की तरफ से जब एकमुश्त समाधान योजना लागू की थी तो इसका लाभ लेकर ₹34,000 बकाया एक साथ भुगतान कर दिया. अप्रैल माह में कनेक्शन काट दिया गया था, मीटर उतार लिया गया था. कई बार एप्लीकेशन दिया, लेकिन पांच माह बाद भी अब तक कनेक्शन नहीं हुआ. जब उपभोक्ता योगेंद्र समाधान दिवस में पहुंचता है तो यह सुनकर वह हैरान रह जाता है कि घर में मीटर नहीं है, बिजली का अता पता नहीं है, फिर भी विभाग का बिल का मीटर चालू है. उपभोक्ता को समाधान शिविर में बिना मीटर के ही ₹21,000 का बकाया जमा करने की हिदायत दे दी गई. कहा पहले जमा करो तब नया कनेक्शन होगा. इस बात पर योगेंद्र अधिकारियों को अपने पूरे जमा बिल की रसीद दिखाता है. एक भी पैसा बकाया नहीं होता है. तब उससे कहा जाता है कि चार दिन बाद फिर आना, तब कुछ किया जाएगा. उपभोक्ता बैरंग वापस घर लौट जाता है.
इसी तरह इंदिरा नगर निवासी भोंगो के नाम से ट्यूबवेल का कनेक्शन था. साल 2002 में भोंगो की मृत्यु हो गई, लेकिन विभागीय कागजों में भोंगो इतने साल बाद भी जिंदा है. साल 2012 में उपभोक्ता के नाम का परमानेंट डिस्कनेक्शन भी हो गया. अब परमानेंट डिस्कनेक्शन होने के बावजूद इसी कनेक्शन नंबर पर इस साल फरवरी माह में ₹1,21000 का बिल विभाग ने भेज दिया. लेखपाल की तरफ से कनेक्शनधारक के नाम से परिजनों से बिल वसूली का दबाव बनाया जा रहा है. उपभोक्ता के नाम की घरवालों के पास 275 रुपए की परमानेंट डिस्कनेक्शन की रसीद भी है. अब लाखों का बिल भेजे जाने के बाद घरवाले काफी परेशान हैं. उपकेंद्रों के चक्कर काट काटकर थक रहे हैं. अब समाधान सप्ताह में एक बार फिर शिकायत दर्ज कराई है. अब उन्हें सांत्वना की घुट्टी दी जा रही है.
हमारे कनेक्शन का पुराना बैलेंस था. जिसके बाद विभाग ने कनेक्शन काट दिया. मीटर उतार लिया. उसका पेमेंट 15 अप्रैल को मैंने कर दिया था. नो ड्यूज की मेरे पास रसीद भी है. उसके बाद हमने मीटर लगाने का एप्लीकेशन दिया था कि हमारा जो मीटर उतरकर आया था वह फिर से लगा दीजिए. ओटीएस के बाद मैंने 34 हजार का पूरा पेमेंट कर दिया. अब समाधान दिवस में आए तो मैंने कहा कि मीटर अब तक क्यों नहीं लग रहा है. क्या दिक्कत है? तब कह रहे हैं कि ₹21,000 अभी अमाउंट बाकी है. मैने कहा कि मैं पेमेंट कर चुका हूं. मेरे पर कोई बाकी नहीं है. इसके बाद भी बाकी बता रहे हैं. कह रहे हैं कि मीटर के लिए तीन-चार दिन में फोन कर लीजिएगा, लेकिन नया कनेक्शन देने की बात कर रहे हैं. मेरा कहना है कि जब मेरा पूरा बिल जमा हो गया है वही मीटर हमारे यहां लगाया जाए. अभी भी नहीं मान रहे हैं. पता नहीं कैसे बिल जनरेट हो रहा है, जबकि हमारे यहां मीटर है ही नहीं, बिजली जल ही नहीं रही है.
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इन दोनों ही मामलों में चिनहट उपकेंद्र के उपखंड अधिकारी का कहना है कि समाधान दिवस पर इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं. दोनों ही शिकायतों का निस्तारण कराया जाएगा. उपभोक्ताओं को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. गलती से कंप्यूटर पर उपभोक्ता के नाम बिजली का बिल चढ़ा रह गया होगा, इस वजह से यह दिक्कत हुई है.
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