लखनऊ: सपा महासचिव रामगोपाल यादव की पुस्तक विमोचन के अवसर पर कवि उदय प्रताप सिंह ने कहा कि जब कुमार विश्वास को जब हमने पहली बार सुना था, तभी समझ गए थे कि यह कभी बड़े होंगे और आज वह कवि कुल के पंडित हो गए हैं. कवि कुमार विश्वास भारत ही नहीं, दुनिया भर में बड़े कवि के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं.
उन्होंने आगे कहा कि अभी नेताजी हम से कान में कह रहे थे कि अगर ये कुमार विश्वास कहीं नहीं हैं, तो क्यों नहीं सपा में बुला लेते हो. इसके बाद कुमार विश्वास और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हंसने लगे. कुमार विश्वास ने अपना चेहरा हाथ से छिपाने की कोशिश की और इस अवसर पर सपा कार्यकर्ताओं ने जोरदार ठहाके भी लगाए. पूरा सभागार जोरदार तालियों से गूंज उठा.
इस कार्यक्रम में कवि डॉ. विश्वास ने कहा कि मैं इस सभा में हूं तो इस सभा के बाहर भी चर्चा का विषय है. लोकतंत्र में यही होता रहा है, आजकल कुछ अजीब हो रहा है बस यही अंतर है. मुलायम सिंह एक विचार नहीं एक इमोशन भी हैं. उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आने वाले समय में चर्चा करेंगे कि हम यूपी में वह राजनीति देखते थे जब मुलायम सिंह थे. राजनीति के उस पार का मतलब सभी विचारों के लोग साथ बैठें. एक कमी जरूर दिखी, भाजपा के नेता भी जरुर दिखते. यही राजनीति की खुशबू होती. लोग चाहते हैं कि मैं भी अंदर जाऊं.
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वहीं यूपी की सियासत में कवि डॉ. विश्वास के सपा के मंच पर आने और सपा अध्यक्ष के साथ मंच शेयर करने को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. भले कार्यक्रम पुस्तक के विवेचन का हो लेकिन इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. जब खुद मुलायम सिंह ने कवि उदय प्रताप सिंह से डॉ. कुमार विश्वास को सपा में शामिल कराने के लिए बात की, तो यह अटकलें लगाई जाने लगी है कि कुमार विश्वास कभी भी सपा का दामन थाम सकते हैं.
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