लखनऊ : राजधानी के 21 वर्षीय मेडिकल छात्र का दाहिना हाथ एक्सीडेंट में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. नौ घंटे चली सर्जरी के बाद डॉक्टरों को हाथ को बचाने में सफलता मिली है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी भीषण दुर्घटना में जिसमें कुछ भी हो सकता था. छात्र का हाथ जिस नर्व के सहारे लटक रहा था वह अत्यन्त महत्वपूर्ण अलना नर्व थी, जो उंगलियों में हरकत पैदा करती है.
मंगलवार को मेदांता अस्पताल में सर्जरी करने वाले सीनियर प्लास्टिक सर्जन डॉ. वैभव खन्ना ने न सिर्फ सर्जरी के बारे में बताया बल्कि दुर्घटना का शिकार हुए मेडिकल छात्र को भी मीडिया के सामने रूबरू कराया. मेडिकल छात्र व उसके परिजन डॉक्टरों का शुक्रिया करते नहीं थक रहे हैं. डॉ. वैभव खन्ना ने बताया कि दुर्घटना वाले केस जिसमें मरीज के शरीर का कोई भी अंग कटकर अलग हो जाता है उसमें परिजनों या साथ में मौजूद लोगों को थोड़ी जागरूकता हो तो मरीज के अंगों को सही तरह से रिकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है. ऐसे में दो चीजें बेहद जरूरी हैं. सबसे पहले जो भी अंग कटा है उसे अच्छे से पानी से धोकर कपड़े में लपेट लें. इसके बाद किसी बैग में रखें इस बैग को बर्फ के साथ दूसरे किसी बर्तन या पॉलिथीन में रखें.
उन्होंने कहा कि याद रखें कि अंग को सीधे बर्फ के संपर्क में न रखें वरना अंग के खराब होने का डर रहता है. साथ ही मरीज को किसी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ले जाएं. इस केस में भी अगर मरीज को एक डेढ घंटा देर हो जाती तो अंग को बचाना मुश्किल हो जाता. युवक हमेशा के लिए दिव्यांग हो सकता है.
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