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वकीलों पर बेवजह बल प्रयोग करने के आरोपी पुलिस अधिकारियों को राहत, मुकदमा खारिज - जवानों में विवाद

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अजीत शुक्ला व अन्य पुलिस अधिकारियों की याचिका पर पारित किया. मामला प्रतापगढ़ जनपद का है. 21 मई 2014 को वकीलों व पीएसी के कुछ जवानों में विवाद हो गया था.

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Published : Aug 24, 2022, 2:01 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वकीलों पर बेजां बल (बेवजह बल) प्रयोग के मामले में अभियुक्त बनाए गए चार पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत देते हुए, उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को समाप्त कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के अपने दायित्व के लिए मौजूद थे, यदि इस कार्य में कुछ वकीलों को चोटें आ गईं तो यह नहीं कहा जा सकता कि वे सरकारी कार्य नहीं कर रहे थे.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अजीत शुक्ला व अन्य पुलिस अधिकारियों की याचिका पर पारित किया. मामला प्रतापगढ़ जनपद का है. 21 मई 2014 को वकीलों व पीएसी के कुछ जवानों में विवाद हो गया था. मौके पर सम्बंधित डीएसपी, एसएचओ और चौकी इंचार्ज के साथ-साथ अन्य पुलिसकर्मी पहुंचे व बल प्रयोग कर स्थिति को संभाला. बाद में वकीलों ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पुलिस वालों के खिलाफ अपराधिक परिवाद दायर कर दिया. जिस पर अदालत ने 12 जनवरी 2015 को डीएसपी, सम्बंधित एसएचओ और चौकी इंचार्ज के साथ-साथ वहां के तत्कालीन एएसपी को विचारण के लिए तलब कर लिया. इस आदेश के खिलाफ दाखिल रिवीजन को सत्र न्यायालय ने 19 अगस्त 2017 को खारिज कर दिया. इस पर चारों पुलिस अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली.

यह भी पढ़ें : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने की मुकदमा स्थानांतरण की मांग

न्यायालय ने कहा कि उक्त पुलिस अधिकारीगण अपना सरकारी दायित्व निभा रहे थे. लिहाजा बिना अभियेाजन स्वीकृति के उन पर चलाए जा रहे मुकदमे का प्रभाव शून्य है. निचली अदालतों के दोनों आदेशों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि मौके पर माहौल काफी खराब था, जिसे नियत्रंण में करने के लिए याचीगण मौके पर पहुंचे थे. घटना में उन्हें स्वयं भी चोटें आई थीं. न्यायालय ने कहा कि उनका यह कृत्य सरकारी कर्तव्य के निर्वहन के दौरान किया गया था अतः बिना अभियोजन स्वीकृति के उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता था.

यह भी पढ़ें : अग्रिम विवेचना को लेकर पूर्व IG अमिताभ ठाकुर की मांग खारिज, गिरफ्तारी में बाधा डालने का आरोप

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वकीलों पर बेजां बल (बेवजह बल) प्रयोग के मामले में अभियुक्त बनाए गए चार पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत देते हुए, उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को समाप्त कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के अपने दायित्व के लिए मौजूद थे, यदि इस कार्य में कुछ वकीलों को चोटें आ गईं तो यह नहीं कहा जा सकता कि वे सरकारी कार्य नहीं कर रहे थे.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अजीत शुक्ला व अन्य पुलिस अधिकारियों की याचिका पर पारित किया. मामला प्रतापगढ़ जनपद का है. 21 मई 2014 को वकीलों व पीएसी के कुछ जवानों में विवाद हो गया था. मौके पर सम्बंधित डीएसपी, एसएचओ और चौकी इंचार्ज के साथ-साथ अन्य पुलिसकर्मी पहुंचे व बल प्रयोग कर स्थिति को संभाला. बाद में वकीलों ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पुलिस वालों के खिलाफ अपराधिक परिवाद दायर कर दिया. जिस पर अदालत ने 12 जनवरी 2015 को डीएसपी, सम्बंधित एसएचओ और चौकी इंचार्ज के साथ-साथ वहां के तत्कालीन एएसपी को विचारण के लिए तलब कर लिया. इस आदेश के खिलाफ दाखिल रिवीजन को सत्र न्यायालय ने 19 अगस्त 2017 को खारिज कर दिया. इस पर चारों पुलिस अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली.

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न्यायालय ने कहा कि उक्त पुलिस अधिकारीगण अपना सरकारी दायित्व निभा रहे थे. लिहाजा बिना अभियेाजन स्वीकृति के उन पर चलाए जा रहे मुकदमे का प्रभाव शून्य है. निचली अदालतों के दोनों आदेशों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि मौके पर माहौल काफी खराब था, जिसे नियत्रंण में करने के लिए याचीगण मौके पर पहुंचे थे. घटना में उन्हें स्वयं भी चोटें आई थीं. न्यायालय ने कहा कि उनका यह कृत्य सरकारी कर्तव्य के निर्वहन के दौरान किया गया था अतः बिना अभियोजन स्वीकृति के उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता था.

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