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सरकार से नाराज हैं 5 लाख शिक्षक, जानिए क्या है वजह - अपर प्राइमरी स्कूल

शिक्षकों का कहना है कि 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं. इधर, गर्मियों की छुट्टियों में अगर स्थानांतरण पर विचार नहीं किया गया तो सालभर बाद भी तबादले नहीं हो पाएंगे.

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह
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Published : May 28, 2022, 8:46 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले पांच लाख से ज्यादा शिक्षक इस समय सरकार से नाराज हैं. प्रकरण अंतर जनपदीय स्थानांतरण को लेकर है. कई ऐसे शिक्षक हैं जो मेरठ, सहारनपुर जैसे इलाकों से आकर पूर्वांचल के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बीते 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं. इधर, गर्मियों की छुट्टियों में अगर स्थानांतरण पर विचार नहीं किया गया तो सालभर बाद भी तबादले नहीं हो पाएंगे.

प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 5 लाख शिक्षक पढ़ा रहे हैं. इन शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या अंतर जनपदीय स्थानांतरण बन गया है. शिक्षकों की ओर से लगातार अंतर जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा रही है जबकि सरकार इस प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठी है. शिक्षकों का कहना है कि मई का महीना निकल गया है. जून में अगर स्थानांतरण नहीं हुए तो फिर साल भर नहीं हो पाएंगे. इसे लेकर शिक्षकों की ओर से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को सोशल मीडिया व प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से बात पहुंचाई जा रही है.

सोशल मीडिया पर संदीप सिंह को टैग करते हुए सचिन कुमार ने लिखा, 'मंत्री जी आपके अनुसार ग्रीष्मकालीन अवकाश में अंतर जनपदीय स्थानांतरण होने थे. मई माह समाप्त होने को है. अभी तक स्थानांतरण नीति जारी नहीं हुई जो कि बहुत ही पीड़ादायक है. लाखों शिक्षक बड़ी बेसब्री से आपकी तरफ उम्मीद की किरण संजोए बैठे हैं. कृपया जल्द ही स्थानांतरण नीति की जारी करें'.

इसी तरह का संदेश देव कुमार ने भी लिखा है. वह लिखते हैं, 'सर, लखीमपुर जैसे जिलों से 15% की बाध्यता खत्म करके सभी शिक्षकों के तबादले सुनिश्चित करें व महिलाओं का वनवास खत्म करें'.

संदीप कुमार ने लिखा, 'हम आकांक्षी जनपद के बेसिक शिक्षकों की व्यथा सुनिए. हम भी अपने परिवार की इकलौती संतान हैं. जो 500 किलोमीटर दूर रहकर सेवा कर रहे हैं. हमारा भी ट्रांसफर अपने गृह जनपद में करने की कृपा करें'.

यह है समस्या : प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार अंतर जनपदीय स्थानांतरण किए हैं लेकिन इनकी नीतियों में विसंगतियों के कारण परेशानी शिक्षकों को भुगतनी पड़ रही है. कुछ जिलों को तो विभाग ने लॉक ही कर दिया है. इनमें अंतर जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा ही नहीं दी गई. बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जो अपने गृह जनपदों से दूर हैं. जिनके बुजुर्ग माता-पिता हैं, नीति में विसंगति के कारण वह गृह जनपद से दूर हैं.

ये भी पढ़ें : एम्बुलेंस में प्रसव के मामलों में आई कमी,महिलाओं में जागरूकता बढ़ी

सरकार से निवेदन है कि वरिष्ठता के आधार पर अंतर-जनपदीय स्थानांतरण की व्यवस्था लागू करें. कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जिनके पति या पत्नी दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं. इसका ध्यान रखें. जिन जनपदों में अंतर जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगी है वहां के शिक्षकों को भी लाभ दिया जाए. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जो शादी के पहले कहीं और तैनात थे. अब शादी के बाद उनका जनपद बदल गया है. प्रांतीय अध्यक्ष ने बताया कि इस संबंध में उनकी तरफ से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को पत्र भी भेजा गया है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले पांच लाख से ज्यादा शिक्षक इस समय सरकार से नाराज हैं. प्रकरण अंतर जनपदीय स्थानांतरण को लेकर है. कई ऐसे शिक्षक हैं जो मेरठ, सहारनपुर जैसे इलाकों से आकर पूर्वांचल के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बीते 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं. इधर, गर्मियों की छुट्टियों में अगर स्थानांतरण पर विचार नहीं किया गया तो सालभर बाद भी तबादले नहीं हो पाएंगे.

प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 5 लाख शिक्षक पढ़ा रहे हैं. इन शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या अंतर जनपदीय स्थानांतरण बन गया है. शिक्षकों की ओर से लगातार अंतर जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा रही है जबकि सरकार इस प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठी है. शिक्षकों का कहना है कि मई का महीना निकल गया है. जून में अगर स्थानांतरण नहीं हुए तो फिर साल भर नहीं हो पाएंगे. इसे लेकर शिक्षकों की ओर से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को सोशल मीडिया व प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से बात पहुंचाई जा रही है.

सोशल मीडिया पर संदीप सिंह को टैग करते हुए सचिन कुमार ने लिखा, 'मंत्री जी आपके अनुसार ग्रीष्मकालीन अवकाश में अंतर जनपदीय स्थानांतरण होने थे. मई माह समाप्त होने को है. अभी तक स्थानांतरण नीति जारी नहीं हुई जो कि बहुत ही पीड़ादायक है. लाखों शिक्षक बड़ी बेसब्री से आपकी तरफ उम्मीद की किरण संजोए बैठे हैं. कृपया जल्द ही स्थानांतरण नीति की जारी करें'.

इसी तरह का संदेश देव कुमार ने भी लिखा है. वह लिखते हैं, 'सर, लखीमपुर जैसे जिलों से 15% की बाध्यता खत्म करके सभी शिक्षकों के तबादले सुनिश्चित करें व महिलाओं का वनवास खत्म करें'.

संदीप कुमार ने लिखा, 'हम आकांक्षी जनपद के बेसिक शिक्षकों की व्यथा सुनिए. हम भी अपने परिवार की इकलौती संतान हैं. जो 500 किलोमीटर दूर रहकर सेवा कर रहे हैं. हमारा भी ट्रांसफर अपने गृह जनपद में करने की कृपा करें'.

यह है समस्या : प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार अंतर जनपदीय स्थानांतरण किए हैं लेकिन इनकी नीतियों में विसंगतियों के कारण परेशानी शिक्षकों को भुगतनी पड़ रही है. कुछ जिलों को तो विभाग ने लॉक ही कर दिया है. इनमें अंतर जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा ही नहीं दी गई. बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जो अपने गृह जनपदों से दूर हैं. जिनके बुजुर्ग माता-पिता हैं, नीति में विसंगति के कारण वह गृह जनपद से दूर हैं.

ये भी पढ़ें : एम्बुलेंस में प्रसव के मामलों में आई कमी,महिलाओं में जागरूकता बढ़ी

सरकार से निवेदन है कि वरिष्ठता के आधार पर अंतर-जनपदीय स्थानांतरण की व्यवस्था लागू करें. कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जिनके पति या पत्नी दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं. इसका ध्यान रखें. जिन जनपदों में अंतर जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगी है वहां के शिक्षकों को भी लाभ दिया जाए. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जो शादी के पहले कहीं और तैनात थे. अब शादी के बाद उनका जनपद बदल गया है. प्रांतीय अध्यक्ष ने बताया कि इस संबंध में उनकी तरफ से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को पत्र भी भेजा गया है.

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