लखनऊ: कहते हैं परछाई कभी किसी का साथ नहीं छोड़ती, लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि साल में दो दिन कुछ समय के लिए आपकी परछाई भी आपका साथ नहीं देती है. जी हां, 21 जून व 22 दिसंबर वही दिन हैं. इस दिन आपकी परछाई आपका साथ या तो छोड़ देती है या आपके कद की अपेक्षा बहुत ही छोटी हो जाती है. परछाई न बनने की इस घटना को खगोल वैज्ञानिक 'शून्य छाया दिवस' या जीरो शैडो-डे (zero shadow day) कहते हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय खगोल शास्त्र विभाग की डॉ. अलका मिश्रा ने बताया कि साल में महज दो दिन ऐसे होते हैं, जब सूर्य 23.5° N और 23.5° S डिग्री अक्षांश (Latitude) के बीच आने वाली जगहों पर दोपहर के समय ठीक हमारे सिर के ऊपर चमकता है. यही कारण है कि उस समय हमारी परछाई भी हमारा साथ छोड़ देती है. उन्होंने बताया कि लखनऊ 26.85° N अक्षांश पर स्थित है. अतः यहां पूर्ण रूप से शून्य छाया नहीं बनती है, लेकिन निम्नतम छाया (Minimal shadow) 21 जून व 22 दिसंबर के मध्यान्ह में देखी जा सकती है.
विश्वविद्यालय में किया गया प्रयोग: डॉ. अलका मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में इसको लेकर एक प्रयोग भी किया गया. पूर्व छात्रों को घेरे में खड़ा करके दोपहर 12.06 पर इस घटना को प्रदर्शित करते हुए छात्रों को 'जीरो शैडो डे' के बारे समझाया गया. जीरो शैडो डे पर जब सूर्य स्थानीय मध्याह्न रेखा (Local Meridian) को पार करता है तो सूर्य की किरणें जमीन पर किसी वस्तु के सापेक्ष बिल्कुल लंबवत (Vertical) पड़ती हैं. ऐसे में उस समय आपकी परछाई या तो शून्य या निम्नतम हो जाती है. सामान्य जनधारणा के विपरीत दोपहर के समय भी जीरो शैडो डे के सिवा सूर्य कभी भी ठीक हमारे ऊपर नहीं होता है.
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इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पूनम शर्मा एवं भौतिक विज्ञान के प्रो. अमृतांशु शुक्ल भी उपस्थित रहे. उन्होंने भी छात्रों के साथ सूर्य और धरती के बीच होने वाले इस अद्भुत घटना क्रम के बारे में विभिन्न जानकारियां साझा कीं.
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