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मदरसे के नाम पर इन रास्तों से हो रही है मासूमों की तस्करी?

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Published : Jun 11, 2022, 3:37 PM IST

मदरसों में पढ़ाने के बहाने बच्चियों की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं. जिसको लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कई अधिकारियों को पत्र लिखा है. आयोग ने चेताया है कि यूपी के रास्तों से बच्चों की तस्करी की जा रही है.

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मदरसों में पढ़ाने के बहाने बच्चों की तस्करी

लखनऊ: दिल्ली, गुजरात, नेपाल व दुबई में मदरसों में पढ़ाने के बहाने बच्चियों की तस्करी हो रही है. इसके लिए उत्तर प्रदेश के रास्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये मानना है बाल अधिकार संरक्षण आयोग का. जिसे लेकर आयोग ने कई अधिकारियों को पत्र लिखा है. आयोग ने चेताया है कि यूपी के रास्तों से तस्करी की जा रही है. इसके लिये सतर्क रहने की जरूरत है.

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक कोरोना काल से पहले कुछ मामलों को छोड़कर बड़ी तस्करी देखने को नहीं मिलती थी, लेकिन साल 2020 व 2021 में एकाएक तस्करी की सूचनाएं सामने आने लगीं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में 73 व 2021 में 50 बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया था. जिसकी सूचना के बाद जीआरपी ने मासूमों को तस्करों के चुंगल से छुड़वाया था.

सुचिता ने बताया कि आयोग ने एडीजी जीआरपी को एक पत्र लिखा है, उसमें बताया गया है कि पिछले 2 वर्षों से बिहार व बंगाल में 123 बच्चों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश से विभिन्न मार्गों से ले जाया गया है, यही नहीं अभी भी तस्करी हो रही है. उन्होंने बताया कि जिन इलाकों से इन लड़कियों व लड़कों को लाया जा रहा है वहां भी सैकड़ों मदरसे हैं. बावजूद इसके इन्हें गुजरात, दिल्ली और राजस्थान ले जाया जा रहा है.

सुचिता ने बताया कि 13 मार्च 2020 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन से छह बच्चियों को तस्करों के चुंगल से छुड़ाया गया था. पूछताछ में बच्चियों ने बताया था कि वह बिहार से सूरत मदरसे में पढ़ने जा रही है, लेकिन जब तस्करों से पूछताछ की गई तो पता चला कि उन्हें तस्करी कर ले जाया जा रहा था और उन्हें बेचने की योजना थी.

कब और कहां से छुड़ाए गए बच्चे: 13 मार्च 2020 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन में 6 बच्चियों को तस्करों के चुंगल से छुड़ाया गया था. इन्हें बिहार से सूरत मदरसे में पढ़ाई के नाम पर ले जाया जा रहा था. वहीं 13 मार्च 2021 को बिहार से 15 बच्चों को दिल्ली ले जाया जा रहा था, लेकिन गोरखपुर में तस्करों को पकड़ लिया गया. वहीं 23 जून 2021 को 33 बच्चों को प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने 'बचपन बचाओ आंदोलन' के इनपुट पर तस्करों से छुड़ाया था. यह बच्चे बिहार से दिल्ली व पंजाब ले जाये जा रहे थे. बताया गया कि उन्हें मदरसा ले जाया जा रहा है, लेकिन मदरसे का नाम पूछने पर नहीं बता पाए थे. इसके अलावा 2 जुलाई 2021 को मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने 38 बच्चों को तस्करों से छुड़वाया था. इसी तरह अलीगढ़ में 25, फिरोजाबाद से 4 व कानपुर सेंट्रल से 6 बच्चों को तस्करों से छुड़ाया गया था.

ये भी पढ़ें : हिंसा को लेकर सीएम योगी सख्त, शाम को अधिकारियों के साथ करेंगे बैठक

परिजनों को भरोसे में लेकर करते हैं तस्करी: 'बचपन बचाओ आंदोलन' के स्टेट कॉर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्रा बताते हैं कि जब भी बच्चों का रेस्क्यू किया जाता है तब यह सामने आता है कि तस्कर गरीब मां-बाप से बच्चों को मदरसे में पढ़ाई करवाने, उन्हें मुफ्त का खाना देने जैसे प्रलोभन देते हैं. उन्हें भरोसे में लेते हैं. जब भी रास्ते में कहीं पकड़े जाते हैं तो बच्चों से कहलवा देते हैं कि वो खुद की मर्जी से जा रहे हैं, लेकिन अधिक पूछताछ में तस्करी की कहानी का पता चलता है.

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लखनऊ: दिल्ली, गुजरात, नेपाल व दुबई में मदरसों में पढ़ाने के बहाने बच्चियों की तस्करी हो रही है. इसके लिए उत्तर प्रदेश के रास्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये मानना है बाल अधिकार संरक्षण आयोग का. जिसे लेकर आयोग ने कई अधिकारियों को पत्र लिखा है. आयोग ने चेताया है कि यूपी के रास्तों से तस्करी की जा रही है. इसके लिये सतर्क रहने की जरूरत है.

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक कोरोना काल से पहले कुछ मामलों को छोड़कर बड़ी तस्करी देखने को नहीं मिलती थी, लेकिन साल 2020 व 2021 में एकाएक तस्करी की सूचनाएं सामने आने लगीं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में 73 व 2021 में 50 बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया था. जिसकी सूचना के बाद जीआरपी ने मासूमों को तस्करों के चुंगल से छुड़वाया था.

सुचिता ने बताया कि आयोग ने एडीजी जीआरपी को एक पत्र लिखा है, उसमें बताया गया है कि पिछले 2 वर्षों से बिहार व बंगाल में 123 बच्चों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश से विभिन्न मार्गों से ले जाया गया है, यही नहीं अभी भी तस्करी हो रही है. उन्होंने बताया कि जिन इलाकों से इन लड़कियों व लड़कों को लाया जा रहा है वहां भी सैकड़ों मदरसे हैं. बावजूद इसके इन्हें गुजरात, दिल्ली और राजस्थान ले जाया जा रहा है.

सुचिता ने बताया कि 13 मार्च 2020 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन से छह बच्चियों को तस्करों के चुंगल से छुड़ाया गया था. पूछताछ में बच्चियों ने बताया था कि वह बिहार से सूरत मदरसे में पढ़ने जा रही है, लेकिन जब तस्करों से पूछताछ की गई तो पता चला कि उन्हें तस्करी कर ले जाया जा रहा था और उन्हें बेचने की योजना थी.

कब और कहां से छुड़ाए गए बच्चे: 13 मार्च 2020 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन में 6 बच्चियों को तस्करों के चुंगल से छुड़ाया गया था. इन्हें बिहार से सूरत मदरसे में पढ़ाई के नाम पर ले जाया जा रहा था. वहीं 13 मार्च 2021 को बिहार से 15 बच्चों को दिल्ली ले जाया जा रहा था, लेकिन गोरखपुर में तस्करों को पकड़ लिया गया. वहीं 23 जून 2021 को 33 बच्चों को प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने 'बचपन बचाओ आंदोलन' के इनपुट पर तस्करों से छुड़ाया था. यह बच्चे बिहार से दिल्ली व पंजाब ले जाये जा रहे थे. बताया गया कि उन्हें मदरसा ले जाया जा रहा है, लेकिन मदरसे का नाम पूछने पर नहीं बता पाए थे. इसके अलावा 2 जुलाई 2021 को मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने 38 बच्चों को तस्करों से छुड़वाया था. इसी तरह अलीगढ़ में 25, फिरोजाबाद से 4 व कानपुर सेंट्रल से 6 बच्चों को तस्करों से छुड़ाया गया था.

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परिजनों को भरोसे में लेकर करते हैं तस्करी: 'बचपन बचाओ आंदोलन' के स्टेट कॉर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्रा बताते हैं कि जब भी बच्चों का रेस्क्यू किया जाता है तब यह सामने आता है कि तस्कर गरीब मां-बाप से बच्चों को मदरसे में पढ़ाई करवाने, उन्हें मुफ्त का खाना देने जैसे प्रलोभन देते हैं. उन्हें भरोसे में लेते हैं. जब भी रास्ते में कहीं पकड़े जाते हैं तो बच्चों से कहलवा देते हैं कि वो खुद की मर्जी से जा रहे हैं, लेकिन अधिक पूछताछ में तस्करी की कहानी का पता चलता है.

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