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Azadi Ka Amrit Mahotasav: स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ा है लखनऊ मांटेसरी का इतिहास, जानिये आजादी का अमृत महोत्सव क्यों है यहां खास? - लखनऊ मांटेसरी का इतिहास

देश अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ है. इस आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने अपनी जान दी. अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. आजादी का यह अमृत महोत्सव राजधानी के लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज के लिए अलग मायने रखता है.

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Published : Aug 8, 2022, 10:26 PM IST

Updated : Aug 8, 2022, 10:36 PM IST

लखनऊ : देश अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ है. इस आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने अपनी जान दी. अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. आजादी का यह अमृत महोत्सव राजधानी के लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज (Lucknow Montessori Inter College) के लिए अलग मायने रखता है. इस विद्यालय की एक-एक ईंट क्रांतिकारियों के संघर्ष की गवाह है. देश के महान क्रांतिकारियों की सोच और विचारधारा की झलक आपको इस स्कूल में देखने को साफ तौर पर मिलेगी. आजादी से पहले महान क्रांतिकारी दुर्गा भाभी वोहरा ने 1940 में इसकी शुरुआत की. 82 साल के सफर में आजादी से जुड़े हजारों किस्से और कहानियां यहां दफन हैं. आजादी से पहले महान क्रांतिकारी दुर्गा भाभी वोहरा ने वर्ष 1940 में इसकी शुरुआत की थी. 82 साल के सफर में आजादी से जुड़े हजारों किस्से और कहानियां यहां दफन हैं.

इस स्कूल से जुड़ा इतिहास


1940 में रखी स्कूल की नींव : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रथम पंक्ति की प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी श्रद्धेया दुर्गादेवी वोहरा जिन्हें सब दुर्गा भाभी के नाम से जानते हैं. दुर्गा भाभी ने 20 जुलाई 1940 को लखनऊ मांटेसरी स्कूल की स्थापना की. दुर्गा भाभी ने आरम्भ में मात्र पांच बच्चों से कैंटोनमेंट रोड स्थित एक छोटे से भवन में विद्यालय की शुरूआत की. मांटेसरी शिक्षा पद्धति का लखनऊ में यह पहला स्कूल था. अपनी विशिष्टता के कारण ये शीघ्र ही लोकप्रिय विद्यालय बन गया.

जानकारी देतीं वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे




पंडित नेहरू ने किया था शिलान्यास : स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे ने बताया कि विद्यालय के वर्तमान भवन का शिलान्यास 7 फरवरी 1957 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया. आचार्य नरेंद्र देव, मुख्यमंत्री चन्द्र भानु गुप्त, रफी अहमद किदवई, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन, सरोजनी नायडू, पण्डित गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, चन्द्र दत्त तिवारी, क्रांतिकारी शिव वर्मा, पद्मश्री यशपाल और उनकी धर्मपत्नी प्रकाशवती पाल जैसे नाम इस स्कूल से जुड़े रहे हैं.


दाखिले के लिए लगती थी सीएम की सिफारिश : 82 वर्षों के सफर में इस ऐतिहासिक स्कूल ने कई उतार-चढ़ाव देखे. वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे बताती हैं कि एक जमाना था जब इस स्कूल में दाखिले के लिए लाइन लगती थी. मुख्यमंत्री तक की सिफारिशें यहां आया करती थीं, लेकिन सिफारिशों से ज्यादा प्रतिभाग पर जोर दिया गया. उन्होंने बताया कि लखनऊ मांटेसरी इंटर काॅलेज (Lucknow Montessori Inter College) से शिक्षित विद्यार्थी आज उच्च पदों पर कार्यरत हैं, यहां से निकले छात्रों ने आईएएस (IAS), पीसीएस (PCS), KGMU में प्रोफेसर, सर्जन, पत्रकार, इंजीनियर बनकर विद्यालय का नाम रोशन किया.
यह भी पढ़ें : Lucknow University : स्नातक प्रवेश परीक्षा के कार्यक्रम में फेरबदल, जानिए कब होगी परीक्षा
दुर्गा भाभी के सपनों को आगे बढ़ा रहे : वत्सला पांडे ने बताया कि दुर्गा भाभी ने लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज की नींव समाज के लिए रखी थी. उनका सपना था कि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले. दुर्गा भाभी के इसी सपने को आगे बढ़ाने का काम अब वर्तमान प्रिंसिपल प्रशांत मिश्रा कर रहे हैं. स्कूल हर मुश्किल के दौर में समाज के साथ खड़ा है. बीते दिनों कोरोना काल में जब लोग एक दूसरे के साथ खड़े होने में भी डर रहे थे, तब प्रिंसिपल प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में पूरे स्कूल में मदद देकर भोजन वितरण का कार्यक्रम चलाया. यह कार्यक्रम करीब 40 दिन तक चला था. सिर्फ यही नहीं स्कूल हर दिशा में काम कर रहा है.
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लखनऊ : देश अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ है. इस आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने अपनी जान दी. अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. आजादी का यह अमृत महोत्सव राजधानी के लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज (Lucknow Montessori Inter College) के लिए अलग मायने रखता है. इस विद्यालय की एक-एक ईंट क्रांतिकारियों के संघर्ष की गवाह है. देश के महान क्रांतिकारियों की सोच और विचारधारा की झलक आपको इस स्कूल में देखने को साफ तौर पर मिलेगी. आजादी से पहले महान क्रांतिकारी दुर्गा भाभी वोहरा ने 1940 में इसकी शुरुआत की. 82 साल के सफर में आजादी से जुड़े हजारों किस्से और कहानियां यहां दफन हैं. आजादी से पहले महान क्रांतिकारी दुर्गा भाभी वोहरा ने वर्ष 1940 में इसकी शुरुआत की थी. 82 साल के सफर में आजादी से जुड़े हजारों किस्से और कहानियां यहां दफन हैं.

इस स्कूल से जुड़ा इतिहास


1940 में रखी स्कूल की नींव : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रथम पंक्ति की प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी श्रद्धेया दुर्गादेवी वोहरा जिन्हें सब दुर्गा भाभी के नाम से जानते हैं. दुर्गा भाभी ने 20 जुलाई 1940 को लखनऊ मांटेसरी स्कूल की स्थापना की. दुर्गा भाभी ने आरम्भ में मात्र पांच बच्चों से कैंटोनमेंट रोड स्थित एक छोटे से भवन में विद्यालय की शुरूआत की. मांटेसरी शिक्षा पद्धति का लखनऊ में यह पहला स्कूल था. अपनी विशिष्टता के कारण ये शीघ्र ही लोकप्रिय विद्यालय बन गया.

जानकारी देतीं वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे




पंडित नेहरू ने किया था शिलान्यास : स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे ने बताया कि विद्यालय के वर्तमान भवन का शिलान्यास 7 फरवरी 1957 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया. आचार्य नरेंद्र देव, मुख्यमंत्री चन्द्र भानु गुप्त, रफी अहमद किदवई, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन, सरोजनी नायडू, पण्डित गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, चन्द्र दत्त तिवारी, क्रांतिकारी शिव वर्मा, पद्मश्री यशपाल और उनकी धर्मपत्नी प्रकाशवती पाल जैसे नाम इस स्कूल से जुड़े रहे हैं.


दाखिले के लिए लगती थी सीएम की सिफारिश : 82 वर्षों के सफर में इस ऐतिहासिक स्कूल ने कई उतार-चढ़ाव देखे. वरिष्ठ शिक्षिका वत्सला पांडे बताती हैं कि एक जमाना था जब इस स्कूल में दाखिले के लिए लाइन लगती थी. मुख्यमंत्री तक की सिफारिशें यहां आया करती थीं, लेकिन सिफारिशों से ज्यादा प्रतिभाग पर जोर दिया गया. उन्होंने बताया कि लखनऊ मांटेसरी इंटर काॅलेज (Lucknow Montessori Inter College) से शिक्षित विद्यार्थी आज उच्च पदों पर कार्यरत हैं, यहां से निकले छात्रों ने आईएएस (IAS), पीसीएस (PCS), KGMU में प्रोफेसर, सर्जन, पत्रकार, इंजीनियर बनकर विद्यालय का नाम रोशन किया.
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दुर्गा भाभी के सपनों को आगे बढ़ा रहे : वत्सला पांडे ने बताया कि दुर्गा भाभी ने लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज की नींव समाज के लिए रखी थी. उनका सपना था कि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले. दुर्गा भाभी के इसी सपने को आगे बढ़ाने का काम अब वर्तमान प्रिंसिपल प्रशांत मिश्रा कर रहे हैं. स्कूल हर मुश्किल के दौर में समाज के साथ खड़ा है. बीते दिनों कोरोना काल में जब लोग एक दूसरे के साथ खड़े होने में भी डर रहे थे, तब प्रिंसिपल प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में पूरे स्कूल में मदद देकर भोजन वितरण का कार्यक्रम चलाया. यह कार्यक्रम करीब 40 दिन तक चला था. सिर्फ यही नहीं स्कूल हर दिशा में काम कर रहा है.
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Last Updated : Aug 8, 2022, 10:36 PM IST
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