लखनऊ: नजाकत नफासत और गंगा जमुनी तहजीब का शहर है लखनऊ. आज भी यहां सभी धर्मों के ऐतिहासिक धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं. ऐसा ही हिंदू धर्म का अलीगंज हनुमान मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण अवध काल के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी बेगम आलिया ने करवाया था. कहा जाता है कि आलिया बेगम को कोई संतान नहीं हो रही थी. नवाब की बेगम को हनुमानजी में काफी श्रद्धा थी और उन्होंने हनुमान जी से संतान प्राप्ति की कामना की थी. इसके बाद उन्हें पुत्र रत्न के रूप में सहादत अली खान की प्राप्ति हुई.
अलीगंज हनुमान मंदिर का इतिहास
- इस मंदिर का निर्माण अलिया बेगम द्वारा करवाया गया था, जो नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी थी.
- इस मंदिर में भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिये आते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- कई श्रद्धालु अपने घर की चौखट से मंदिर तक दंडवत दर्शन करने के लिए भी आते हैं.
इस मंदिर का निर्माण अलिया बेगम द्वारा करवाया गया था. मंदिर की बहुत मान्यता है. यहां भक्त दूर दूर से हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं, और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां हनुमान जी खुदाई के दौरान प्रकट हुए थे, और हनुमान जी जिस रूप से निकले थे आज भी उसी रूप में मंदिर में विराजमान हैं.
पुरोहित, अलीगंज हनुमान मंदिर, लखनऊ
इतिहासकार रवि भट्ट ने बताया कि आलिया बेगम का नाम छतर कुवंर था. उन्होंने मुस्लिम शासक शुजाउद्दौला से शादी की थी लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. नवाब की बेगम को हनुमान जी में श्रद्धा थी और उन्होंने हनुमान जी से संतान की प्राप्ति की कामना की थी. इसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई, जिसका नाम सआदत अली खान रखा गया. बेगम आलिया द्वारा बनाए गए इस मंदिर की बहुत मान्यता है. मान्यता पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. कई श्रद्धालु तो अपने घर की चौखट से मंदिर तक दंडवत दर्शन करने के लिए भी आते हैं.रवि भट्ट, इतिहासकार