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SGPGI की हृदय रोग विशेषज्ञ का कमाल, गले की नस से बदल दिया महिला के दिल का वॉल्व - संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थाऩॉ

लखनऊ एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की चिकित्सक को खास तरीके से हार्ट का वॉल्व बदलने में सफलता मिली है. डॉक्टर ने दावा किया है कि ऐसा यूपी में पहली बार किया गया है.

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लखनऊ एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. रूपाली खन्ना
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Published : Jan 14, 2022, 8:37 PM IST

लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की हृदय रोग विशेषज्ञ ने खास विधि से हृदय वॉल्व बदलने में सफलता हासिल की. पहली बार महिला के गले की नस से जाकर उसके खराब वॉल्व पर कृत्रिम वॉल्व प्रत्यारोपित किया गया. इसकी वजह से मरीज की ओपेन सर्जरी नहीं हुई. चिकित्सक का दावा है कि नई विधि से यूपी में पहला प्रोसीजर किया गया.

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एसजीपीजीआई की हृदय रोग विशेषज्ञ ने खास तरीके से बदला हार्ट वॉल्व
लखनऊ एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. रूपाली खन्ना के मुताबिक बिहारी निवासी 25 वर्षीय महिला की सांस फूल रही थी. ओपीडी में आई महिला की जांच की गई. इसमें हृदय के बाएं हिस्से में वॉल्व सिकुड़ा मिला. इससे ऑक्सीजनेट और डी-ऑक्सीनेट रक्त एक में ही मिल रहा था. डॉक्टर ने महिला में वॉल्व प्रत्यारोपित करने का फैसला किया.

ये भी पढ़ें- UP CORONA UPDATE: कोरोना के 16 हजार नये मरीज, साढ़े छह फीसदी पहुंचा संक्रमण दर


डॉ. रूपाली ने कहा कि मरीज को कैथ लैब में शिफ्ट किया गया. इसमें पहले पैर की नस (फीमरोल वेन) से कैथेटर के जरिये हृदय तक वॉल्व ले जाने का फैसला किया गया. मगर, महिला में पैर की हृदय तक पहुंचने वाली नस अन्य लोगों से अलग थी. लिहाजा इससे दिल तक पहुंचा नहीं जा सकता था. ऐसे में बीमारी के इलाज के लिए ओपेन हार्ट सर्जरी ही विकल्प थी.

इस दौरान आधुनिक विधि ट्रांस जुगुलर बलून नाइट्रेल वॉल्व्यूएक्टमी करने का फैसला किया गया. इसमें गले की नस (जुगुलर वेन) से कैथेटर के जरिये दिल तक पहुंचा गया. 45 मिनट में खराब वॉल्व पर कृत्रिम वॉल्व प्रत्यारोपित कर दिया गया. इस प्रक्रिया में 45 मिनट लगे. रोगी को शुक्रवार को डिस्चार्ज कर दिया गया.

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लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की हृदय रोग विशेषज्ञ ने खास विधि से हृदय वॉल्व बदलने में सफलता हासिल की. पहली बार महिला के गले की नस से जाकर उसके खराब वॉल्व पर कृत्रिम वॉल्व प्रत्यारोपित किया गया. इसकी वजह से मरीज की ओपेन सर्जरी नहीं हुई. चिकित्सक का दावा है कि नई विधि से यूपी में पहला प्रोसीजर किया गया.

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एसजीपीजीआई की हृदय रोग विशेषज्ञ ने खास तरीके से बदला हार्ट वॉल्व
लखनऊ एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. रूपाली खन्ना के मुताबिक बिहारी निवासी 25 वर्षीय महिला की सांस फूल रही थी. ओपीडी में आई महिला की जांच की गई. इसमें हृदय के बाएं हिस्से में वॉल्व सिकुड़ा मिला. इससे ऑक्सीजनेट और डी-ऑक्सीनेट रक्त एक में ही मिल रहा था. डॉक्टर ने महिला में वॉल्व प्रत्यारोपित करने का फैसला किया.

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डॉ. रूपाली ने कहा कि मरीज को कैथ लैब में शिफ्ट किया गया. इसमें पहले पैर की नस (फीमरोल वेन) से कैथेटर के जरिये हृदय तक वॉल्व ले जाने का फैसला किया गया. मगर, महिला में पैर की हृदय तक पहुंचने वाली नस अन्य लोगों से अलग थी. लिहाजा इससे दिल तक पहुंचा नहीं जा सकता था. ऐसे में बीमारी के इलाज के लिए ओपेन हार्ट सर्जरी ही विकल्प थी.

इस दौरान आधुनिक विधि ट्रांस जुगुलर बलून नाइट्रेल वॉल्व्यूएक्टमी करने का फैसला किया गया. इसमें गले की नस (जुगुलर वेन) से कैथेटर के जरिये दिल तक पहुंचा गया. 45 मिनट में खराब वॉल्व पर कृत्रिम वॉल्व प्रत्यारोपित कर दिया गया. इस प्रक्रिया में 45 मिनट लगे. रोगी को शुक्रवार को डिस्चार्ज कर दिया गया.

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