लखनऊः राजधानी में धर्म गुरुओं ने प्रार्थना की, ताकि दोबारा हिरोशिमा जैसा वाकया न हो. गोमती नगर स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल के ऑडिटोरियम में गुरुवार को ग्लोबल इंटरफेथ कन्वेंशन आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने हिरोशिमा दिवस की पूर्व संध्या पर विश्व की एकता और शांति की अपील की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब दोबारा कोई हिरोशिमा त्रासदी नहीं होनी चाहिए. कार्यक्रम में विश्व के 18 देशों के विद्वान भी ऑनलाइन शामिल हुए.
विश्व शांति जरूरी, सभी मिलकर करें काम
लखनऊ नगर निगम की मेयर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि सभी धर्म गुरुओं को मानव जाति को प्रेम एकता और भाईचारा का संदेश देना चाहिए. सभी को मिलकर मानव मात्र के कल्याण के लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन में भी धर्म गुरुओं का सहयोग मांगा. सम्मेलन में बहाई धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए शिक्षाविद जगदीश गांधी ने कहा कि जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी की त्रासदी मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ है, जो हमें याद दिलाता है कि एकता शांति और स्वार्थ के अभाव में विध्वंस का कहर कितना भयानक हो सकता है. फादर डोनाल्ड डिसूजा ने कहा कि विश्व को सभी धर्मों के सहयोग की जरूरत है. मधुस्मिता दास ने कहा कि अध्यात्मिकता वह समानता का धागा है जो सभी धर्मों को एकता के सूत्र में बांधता है. मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि समाज तभी विकसित होगा जब सभी मिलकर काम करेंगे. बौद्ध धर्म से आए भी खूब ज्ञानलोक सिख धर्मावलंबी हरपाल सिंह जग्गी वह शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सिब्तेन ने भी अपने विचार रखे.
इन देशों के विद्वान भी ऑनलाइन शामिल हुए
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को स्विट्जरलैंड के एलान वेयर, जापान से सुश्री मसानी संयोजी, सुश्री कोई को ओशिनो, सुश्री मसाज सी मियां को रूस से नीना गोन्चारोवा, सर्गे चेवाल्कोव, स्टैनिस्लाव कजाकोव, डाक्टर कैटरीना कबाझिडे, अमेरिका से डॉक्टर हांग टो जी और इटली मैक्सी डोनिया ऑस्ट्रिया नीदरलैंड स्विट्जरलैंड नेपाल समेत कई देशों के विद्वानों एवं धर्म गुरुओं ने भी शिरकत की.
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तय करना होगा कि हमें कैसा समाज चाहिए
इसके पूर्व सीएमएस के इंटरनेशनल रिलेशंस विभाग के हेड सुशील श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया. धर्मगुरुओं ने एक स्वर से कहा कि हम निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं जहां हमें यह तय करना है कि हमें कैसा समाज चाहिए. कोरोना महामारी ने संपूर्ण जगत को आईना दिखा दिया है कि मिलजुल कर रहने और सहयोग से कार्य करने में ही सबकी भलाई है.