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वरिष्ठ कांग्रेसी सिब्ते रजी के निधन पर राजनीतिक दलों ने जताया दुख - झारखंड के पूर्व राज्यपाल

सैयद सिब्ते रजी
सैयद सिब्ते रजी
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Published : Aug 20, 2022, 2:50 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 11:05 PM IST

14:45 August 20

झारखंड के पूर्व राज्यपाल और केंद्र तथा यूपी सरकार में मंत्री रहे सैयद सिब्ते रजी का लखनऊ के केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में शनिवार को निधन हो गया. सैयद सिब्ते रजी रायबरेली में जन्मे थे.

बातचीत करते संवाददाता गगनदीप मिश्रा

लखनऊ : झारखंड के पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैयद सिब्ते रजी का लखनऊ के केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. पुराने कांग्रेसी नेता सिब्ते रज़ी को गांधी परिवार का विश्वसनीय माना जाता था. सिब्ते रजी के निधन पर कांग्रेसियों में शोक की लहर दौड़ गयी है. वहीं अन्य दलों के नेताओं ने भी सिब्ते के निधन पर शोक जताया है.


सिब्ते के निधन की खबर सुनते ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि 'उनके निधन से मेरा व्यक्तिगत नुकसान हुआ है. जब वह मंत्रिपरिषद में थे, मैं भी उसी मंत्रिपरिषद में था. हम लोग सहयोगी थे, जब वो विधान परिषद में थे तब मैं विधानसभा में था. न जाने कितनी जनसभाओं को हम दोनों ने साथ में संबोधित किया. सिब्ते साहब नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए समर्पित थे. उनके न रहने से आज हमने एक ऐसा इंसान खो दिया है जो दिल से भी सेक्युलर था और बाहर से भी. प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनके जीवन में उनके संपर्क का शायद ही कोई इंसान यह कह सके जिसका सिब्ते साहब ने बुरा किया हो. उन्होंने कहा कि यह इत्तेफाक है कि जिस दिन पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती मना रहा है उस दिन सिब्ते का निधन हो गया.




योगी सरकार में मंत्री रहे मोहसिन रजा ने कहा है कि 'झारखंड एवं असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी साहब का किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में शनिवार को निधन हो गया. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. ओम शान्ति'.

कांग्रेस के पूर्व एमएलसी व गांधी परिवार के बेहद करीबी दीपक सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुखद है कि सैयद सिब्ते रजी हमारे बीच नहीं रहे. आप कांग्रेस से विधानपरिषद और राज्यसभा के कई बार सदस्य और भारत सरकार में राज्यमंत्री रहे. झारखंड तथा असम में राज्यपाल जैसे पदों को सुशोभित किया. आपने 1969 में युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत जायस (अमेठी) से की थी.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि झारखंड राज्य के पूर्व राज्यपाल सयैद सिब्ते रजी साहब के निधन की दुखद खबर मिली. वर्ष 2004 से 2009 तक सयैद साहब राज्यपाल थे. परमात्मा सयैद जी की आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दुख की घड़ी सहन करने की शक्ति करे.

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने झारखंड और असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निधन पर शोक व्यक्त किया. राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में मैं अपनी संवेदना शोक संतप्त परिजनों के साथ संबद्ध करती हूं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में जन्मे थे. 7 मार्च 1939 को जन्म लेने वाले सिब्ते रजी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 78वीं जयंती पर अंतिम सांस ली. उन्होंने रायबरेली के हुसैनाबाद हायर सेकेंडरी स्कूल से हाईस्कूल करने के बाद लखनऊ के शिया काॅलेज में एडमिशन लिया. वह छात्र राजनीति में उतरे और पढ़ाई के साथ जेब खर्च निकालने के कई होटल में अकाउंटेंट का काम भी किया. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकाॅम किया था.


रजी 1969 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद 1971 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए. 2 साल तक यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के बाद वो 1980 से 1985 तक राज्यसभा सदस्य रहे. साल 1980 से 1984 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे. उनको कांग्रेस ने दूसरी बार 1988 से 1992 तक और तीसरी बार 1992 से 1998 तक राज्यसभा का सदस्य बनाया. उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए राज्यपाल भी बनाया गया.


मार्च 2005 में एनडीए ने अपने 36 विधायकों व पांच निर्दलीय विधायक के समर्थन पत्र के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया. तभी तत्कालीन राज्यपाल रज़ी ने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

यह भी पढ़ें : युवती की हत्या कर शव खेत में फेंका, हत्यारोपी गिरफ्तार

इस घटना ने नाटकीय राजनीतिक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू की. क्योंकि नए मुख्यमंत्री के समर्थकों ने एनडीए का समर्थन करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को डराने की कोशिश की. जिसके बाद पांचों निर्दलीय विधायकों को भाजपा द्वारा नई दिल्ली में छिपा दिया गया और मीडिया व राष्ट्रपति के सामने परेड किया गया. 13 मार्च 2005 को अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने शपथ ली और सरकार ने सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित किया.
यह भी पढ़ें : सोने चांदी की कीमतों में फिर गिरावट, जानें कितने घट गए दाम

14:45 August 20

झारखंड के पूर्व राज्यपाल और केंद्र तथा यूपी सरकार में मंत्री रहे सैयद सिब्ते रजी का लखनऊ के केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में शनिवार को निधन हो गया. सैयद सिब्ते रजी रायबरेली में जन्मे थे.

बातचीत करते संवाददाता गगनदीप मिश्रा

लखनऊ : झारखंड के पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैयद सिब्ते रजी का लखनऊ के केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. पुराने कांग्रेसी नेता सिब्ते रज़ी को गांधी परिवार का विश्वसनीय माना जाता था. सिब्ते रजी के निधन पर कांग्रेसियों में शोक की लहर दौड़ गयी है. वहीं अन्य दलों के नेताओं ने भी सिब्ते के निधन पर शोक जताया है.


सिब्ते के निधन की खबर सुनते ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि 'उनके निधन से मेरा व्यक्तिगत नुकसान हुआ है. जब वह मंत्रिपरिषद में थे, मैं भी उसी मंत्रिपरिषद में था. हम लोग सहयोगी थे, जब वो विधान परिषद में थे तब मैं विधानसभा में था. न जाने कितनी जनसभाओं को हम दोनों ने साथ में संबोधित किया. सिब्ते साहब नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए समर्पित थे. उनके न रहने से आज हमने एक ऐसा इंसान खो दिया है जो दिल से भी सेक्युलर था और बाहर से भी. प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनके जीवन में उनके संपर्क का शायद ही कोई इंसान यह कह सके जिसका सिब्ते साहब ने बुरा किया हो. उन्होंने कहा कि यह इत्तेफाक है कि जिस दिन पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती मना रहा है उस दिन सिब्ते का निधन हो गया.




योगी सरकार में मंत्री रहे मोहसिन रजा ने कहा है कि 'झारखंड एवं असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी साहब का किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में शनिवार को निधन हो गया. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. ओम शान्ति'.

कांग्रेस के पूर्व एमएलसी व गांधी परिवार के बेहद करीबी दीपक सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुखद है कि सैयद सिब्ते रजी हमारे बीच नहीं रहे. आप कांग्रेस से विधानपरिषद और राज्यसभा के कई बार सदस्य और भारत सरकार में राज्यमंत्री रहे. झारखंड तथा असम में राज्यपाल जैसे पदों को सुशोभित किया. आपने 1969 में युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत जायस (अमेठी) से की थी.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि झारखंड राज्य के पूर्व राज्यपाल सयैद सिब्ते रजी साहब के निधन की दुखद खबर मिली. वर्ष 2004 से 2009 तक सयैद साहब राज्यपाल थे. परमात्मा सयैद जी की आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दुख की घड़ी सहन करने की शक्ति करे.

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने झारखंड और असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निधन पर शोक व्यक्त किया. राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में मैं अपनी संवेदना शोक संतप्त परिजनों के साथ संबद्ध करती हूं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में जन्मे थे. 7 मार्च 1939 को जन्म लेने वाले सिब्ते रजी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 78वीं जयंती पर अंतिम सांस ली. उन्होंने रायबरेली के हुसैनाबाद हायर सेकेंडरी स्कूल से हाईस्कूल करने के बाद लखनऊ के शिया काॅलेज में एडमिशन लिया. वह छात्र राजनीति में उतरे और पढ़ाई के साथ जेब खर्च निकालने के कई होटल में अकाउंटेंट का काम भी किया. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकाॅम किया था.


रजी 1969 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद 1971 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए. 2 साल तक यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के बाद वो 1980 से 1985 तक राज्यसभा सदस्य रहे. साल 1980 से 1984 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे. उनको कांग्रेस ने दूसरी बार 1988 से 1992 तक और तीसरी बार 1992 से 1998 तक राज्यसभा का सदस्य बनाया. उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए राज्यपाल भी बनाया गया.


मार्च 2005 में एनडीए ने अपने 36 विधायकों व पांच निर्दलीय विधायक के समर्थन पत्र के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया. तभी तत्कालीन राज्यपाल रज़ी ने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

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इस घटना ने नाटकीय राजनीतिक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू की. क्योंकि नए मुख्यमंत्री के समर्थकों ने एनडीए का समर्थन करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को डराने की कोशिश की. जिसके बाद पांचों निर्दलीय विधायकों को भाजपा द्वारा नई दिल्ली में छिपा दिया गया और मीडिया व राष्ट्रपति के सामने परेड किया गया. 13 मार्च 2005 को अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने शपथ ली और सरकार ने सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित किया.
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Last Updated : Aug 20, 2022, 11:05 PM IST
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