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पूर्व DIOS अमरकांत सिंह ने ट्रांसफर आदेश के बाद विवादित नियुक्ति पर लगाई मुहर, उठ रहे कई सवाल

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Published : Jul 4, 2022, 5:48 PM IST

Updated : Jul 4, 2022, 6:10 PM IST

राजधानी के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ.अमर कांत सिंह ने जाते जाते एक विवादित नियुक्ति कर डाली है. मामला लखनऊ के डीएवी इंटर कॉलेज का है. यहां एक नियुक्ति के प्रकरण को लेकर बीते करीब सात साल से विवाद चल रहा था.

शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग

लखनऊ : राजधानी के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ.अमर कांत सिंह ने जाते जाते एक विवादित नियुक्ति कर डाली. पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह नियुक्ति उनके ट्रांसफर आदेश आने के एक दिन बाद की. वर्षों पुराने इस विवाद को यूं जल्दबाजी में निपटाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

मामला लखनऊ के डीएवी इंटर कॉलेज का है. यहां एक नियुक्ति के प्रकरण को लेकर बीते करीब सात साल से विवाद चल रहा था. डॉ. अमरकांत सिंह ने सितंबर 2021 में लखनऊ में जिला विद्यालय निरीक्षक का पद संभाला. यह विवाद उनके सामने भी रखा गया. 30 जून 2022 को डॉ.अमरकांत सिंह के तबादले का आदेश शासन की ओर से जारी किया गया. इस आदेश के आने के 24 घंटे के बाद यानी 1 जुलाई को डॉ. अमरकांत सिंह की तरफ से इस की नियुक्ति के संबंध में विवादित आदेश जारी कर दिया गया. इस आदेश में डीएवी स्कूल प्रशासन को नियुक्ति करने और पद ना होने की स्थिति में अधिसंख्य पद पर ज्वाइन कराने के आदेश दिए गए हैं.

नियुक्ति को लेकर यह था विवाद : डीएवी इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत प्रताप सिंह 16 जुलाई 1994 में बिना किसी सूचना के अनुपस्थित हो गए थे. 2015 में न्यायालय की तरफ से उन्हें मृत घोषित किया गया. उनके मृत घोषित किए जाने के बाद अनुज कुमार ने स्वर्गीय प्रताप सिंह को अपना पिता होने का दावा प्रस्तुत किया. इसके साथ ही मृतक आश्रित के रूप में सहायक अध्यापक, कला अधिसंख्य के लिये अपना प्रत्यावेदन देना प्रारम्भ किया. जिसके बाद जिलाधिकारी ने अनुज कुमार को प्रताप सिंह का उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र निर्गत कर दिया. कॉलेज प्रबंधक अभिषेक तिवारी की तरफ से शिक्षा विभाग को भेजे गए पत्र के मुताबिक विद्यालय के किसी भी अभिलेखों में स्व. प्रताप सिंह ने अनुज कुमार का नाम अंकित नहीं किया है. उन्होंने मात्र अपनी पत्नी शांता सिंह को ही एक मात्र नाॅमिनी बनाया है.

नौ महीने का रहा कार्यकाल : लखनऊ में डॉ. अमरकांत का डीआईओएस पद पर सिर्फ नौ महीने का कार्यकाल रहा. उनसे पहले डॉ. मुकेश कुमार सिंह इस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. डॉ. मुकेश कुमार सिंह की गिनती तेजतर्रार अफसर के रूप में की जाती है. साढ़े चार साल के कार्यकाल में उन्होंने लखनऊ में शिक्षा माफिया से लेकर भ्रष्टाचारियों तक की कमर तोड़ दी थी.

ये भी पढ़ें : मदरसों में अब होगी ई-लर्निंग ऐप (MELA) से पढ़ाई, मेधावियों को किया सम्मानित

विभाग के उच्च अधिकारियों की मानें तो डॉ.अमरकांत सिंह को डॉ. मुकेश कुमार सिंह के विकल्प के रूप में लखनऊ बुलाया गया था. उम्मीद थी कि वह बेहतर कार्य करके दिखाएंगे, लेकिन वह निर्धारित मापदंडों पर खरे नहीं उतर पाए.

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लखनऊ : राजधानी के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ.अमर कांत सिंह ने जाते जाते एक विवादित नियुक्ति कर डाली. पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह नियुक्ति उनके ट्रांसफर आदेश आने के एक दिन बाद की. वर्षों पुराने इस विवाद को यूं जल्दबाजी में निपटाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

मामला लखनऊ के डीएवी इंटर कॉलेज का है. यहां एक नियुक्ति के प्रकरण को लेकर बीते करीब सात साल से विवाद चल रहा था. डॉ. अमरकांत सिंह ने सितंबर 2021 में लखनऊ में जिला विद्यालय निरीक्षक का पद संभाला. यह विवाद उनके सामने भी रखा गया. 30 जून 2022 को डॉ.अमरकांत सिंह के तबादले का आदेश शासन की ओर से जारी किया गया. इस आदेश के आने के 24 घंटे के बाद यानी 1 जुलाई को डॉ. अमरकांत सिंह की तरफ से इस की नियुक्ति के संबंध में विवादित आदेश जारी कर दिया गया. इस आदेश में डीएवी स्कूल प्रशासन को नियुक्ति करने और पद ना होने की स्थिति में अधिसंख्य पद पर ज्वाइन कराने के आदेश दिए गए हैं.

नियुक्ति को लेकर यह था विवाद : डीएवी इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत प्रताप सिंह 16 जुलाई 1994 में बिना किसी सूचना के अनुपस्थित हो गए थे. 2015 में न्यायालय की तरफ से उन्हें मृत घोषित किया गया. उनके मृत घोषित किए जाने के बाद अनुज कुमार ने स्वर्गीय प्रताप सिंह को अपना पिता होने का दावा प्रस्तुत किया. इसके साथ ही मृतक आश्रित के रूप में सहायक अध्यापक, कला अधिसंख्य के लिये अपना प्रत्यावेदन देना प्रारम्भ किया. जिसके बाद जिलाधिकारी ने अनुज कुमार को प्रताप सिंह का उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र निर्गत कर दिया. कॉलेज प्रबंधक अभिषेक तिवारी की तरफ से शिक्षा विभाग को भेजे गए पत्र के मुताबिक विद्यालय के किसी भी अभिलेखों में स्व. प्रताप सिंह ने अनुज कुमार का नाम अंकित नहीं किया है. उन्होंने मात्र अपनी पत्नी शांता सिंह को ही एक मात्र नाॅमिनी बनाया है.

नौ महीने का रहा कार्यकाल : लखनऊ में डॉ. अमरकांत का डीआईओएस पद पर सिर्फ नौ महीने का कार्यकाल रहा. उनसे पहले डॉ. मुकेश कुमार सिंह इस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. डॉ. मुकेश कुमार सिंह की गिनती तेजतर्रार अफसर के रूप में की जाती है. साढ़े चार साल के कार्यकाल में उन्होंने लखनऊ में शिक्षा माफिया से लेकर भ्रष्टाचारियों तक की कमर तोड़ दी थी.

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विभाग के उच्च अधिकारियों की मानें तो डॉ.अमरकांत सिंह को डॉ. मुकेश कुमार सिंह के विकल्प के रूप में लखनऊ बुलाया गया था. उम्मीद थी कि वह बेहतर कार्य करके दिखाएंगे, लेकिन वह निर्धारित मापदंडों पर खरे नहीं उतर पाए.

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Last Updated : Jul 4, 2022, 6:10 PM IST
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