लखनऊ : भाजपा सरकार के एक मंत्री की बेटी व परिवार की अन्य महिलाओं के ख़िलाफ़ अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने के मामले में आरोपी बसपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव व कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी (Congress leader Naseemuddin Siddiqui) की ओर से खुद को आरोपों से मुक्त करने की मांग की गई है. नसीमुद्दीन सिद्दीकी की इस अर्जी पर सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट के लखनऊ के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने 15 अक्टूबर की तारीख नियत की है.
शुक्रवार को नसीमुद्दीन सिद्दीकी व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहे. इस मामले में आरोपी नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध अदालत आरोप तय कर चुकी है. मामले में मंत्री की पत्नी जो कि पूर्व मंत्री हैं, उनकी गवाही चल रही थी. इस दौरान नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अन्य आरोपियों के साथ-साथ आरोप परिवर्तित करने की अर्जी कोर्ट में दी थी, जिस पर सुनवाई चल रही थी, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने पहली अर्जी को वापस लेते हुए आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी देकर कहा गया कि वह निर्दोष हैं तथा विवेचना में उनके खिलाफ कोई साक्ष्य कोर्ट में पेश नही किया गया है. यह भी कहा गया कि आरोपी ने किसी भी महिला के खिलाफ कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की है. यह भी दलील दी गई कि सह अभियुक्त मेवालाल से पॉक्सो एक्ट हटा दिया गया है.
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उल्लेखनीय है कि घटना की रिपोर्ट मंत्री की मां ने 21 जुलाई 2016 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी. कहा गया था कि 20 जुलाई 2016 को दोपहर राज्यसभा में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनकी बेटी, बहु व नातिन को सदन में गालियां दीं एवं अपशब्द कहे. इसके बाद 21 जुलाई 2016 को बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के इशारे पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर व मेवालाल आदि ने अम्बेडकर प्रतिमा पर बसपा कार्यकर्ताओं के साथ वादी के परिवार पर अभद्र टिप्पणी की.
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