लखनऊ : रेलवे अधिकारी को फर्जी नोटिस (fake notice) भेजने के मामले में निरुद्ध सीबीआई के पूर्व अधिकारी गिरीश कुमार दुबे की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त सीबीआई का अधिकारी रह चुका है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करने से साक्ष्य के प्रभावित होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने इस आधार पर जमानत अर्जी को खारिज (bail application rejected ) कर दिया है. यह आदेश सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह की कोर्ट ने पारित किया.
सीबीआई के पूर्व अधिकारी के खिलाफ इस मामले की शिकायत नॉर्थ फ्रंट रेलवे, मालगांव, गुवाहाटी के सीएओ केके अग्रवाल ने दर्ज कराई थी. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, अभियुक्त दस साल तक बतौर अधिकारी सीबीआई में कार्य कर चुका था. इसके बाद सीबीआई अधिकारी नहीं होते हुए भी उसने खुद को सीबीआई अधिकारी के तौर पर प्रतिरूपित किया और रेलवे अधिकारी को फर्जी नोटिस भेजा. कहा गया कि इससे सीबीआई की छवि धूमिल हुई है. बीते 11 अगस्त को सीबीआई ने इसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था. वहीं अभियुक्त की ओर से खुद को मामले में फर्जी फंसाए जाने की दलील दी गई. कहा गया कि विभागीय राजनीति के चलते उसके साथ साजिश की गई है. हालांकि कोर्ट ने अभियुक्त की ओर से दी गई इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए, उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया.