लखनऊ : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) के उपाध्यक्ष रहे पूर्व आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह यादव (Former IAS officer Satyendra singh Yadav) के खिलाफ घोटाले और जमीनी के आवंटन में किए गए फर्जीवाड़े मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इसके लिए एजेंसी ने एलडीए से घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे हैं. सत्येंद्र के खिलाफ पहले से ही सीबीआई जांच चल रही है.
साल 2014 से मार्च 2017 के बीच एलडीए उपाध्यक्ष के पद पर तैनाती के दौरान सत्येंद्र सिंह यादव पर कई अनियमितताओं के आरोप लगे थे. अब ईडी के डिप्टी डायरेक्टर मनीष यादव (ED deputy director Manish Yadav) ने एलडीए उपाध्यक्ष को पत्र लिख कर सत्येंद्र सिंह यादव की तैनाती के समय के कई दस्तावेज मांगे हैं. ईडी ने लिखा है कि 'वर्ष 2014 से 2016 तक तैनाती के दौरान सत्येंद्र सिंह यादव ने भूखंडों के आवंटन में अनियमितता की.
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उनके साथ तैनात अफसर भी इसमें शामिल थे. चक गंजरिया सिटी के विकास में भी अनियमितता की गयी. स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग को ऑडिट में गड़बड़ी मिली है. इसके लिए स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की आडिट रिपोर्ट की प्रति, सीजी सिटी योजना में अनियमितता वाले अन्य अफसर और इंजीनियरों की भी सूची अगले 15 दिनों में उपलब्ध कराई जाए.
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ईडी ने प्राधिकरण से उक्त घोटाले में जिन अधिकारियों की जांच की गई हो, उनकी भी सूची तलब की है. यही नहीं, सत्येंद्र की संपत्तियों की भी ईडी ब्योरा जुटा रही है. सत्येंद्र पर आरोप था कि उन्होंने कई भूमाफियाओं को अरबों की जमीन कौड़ियों के दाम पर आवंटित कर दी थी. यही नहीं, उन्होंने जमीन का भू-उपयोग बदलने के लिए मास्टर प्लान ही बदलवा डाला.
साल 2021 तक का मास्टर प्लान 2015 में रिवाइज कर 2031 तक बना दिया. इसमें उन्होंने अपनी जमीन का भू-उपयोग आवासीय कर 186 फ्लैट बनाने का नक्शा पास करा लिया था. सत्येंद्र सिंह यादव ने गोमतीनगर, विपुलखंड में एलडीए के 44 लैंड यूज प्लॉट को कमर्शियल बनाया था. इसमें गोमतीनगर में 28 अफसरों और नेताओ के लैंड यूज बदले गए थे.
खनन घोटाले में भी चल रही है जांच : सत्येंद्र सिंह यादव के खिलाफ खनन घोटाले में भी जांच चल रही है. इसकी जांच सीबीआई कर रही है. आरोप है कि कौशांबी में डीएम रहते सत्येंद्र सिंह यादव ने शासन के निर्देशों की अनदेखी की और चहेतों को बिना टेंडर की शर्तों का अनुपालन किए हुए खनिज-खनन का करोड़ों रुपये का ठेका दे दिया था. इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज उनके और उनके करीबियों के यहां छापे मारे थे. इस दौरान 44 बेनामी संपत्ति, करोड़ों रुपये के जेवर और 36 बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली थी.
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