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8 वर्षों से 100 प्रतिशत बंद थी बायीं धमनी, पीजीआई डाॅक्टरों ने की कोरोनरी एंजियोप्लास्टी - myocardial infarction

52 वर्षीय पुरुष मरीज को आठ वर्ष पुरानी एन्टीरियल वाल मायोकार्डियल इन्फार्क्शन की बीमारी थी. जिसके बाद मरीज को एमआईसीयू में भर्ती कराया गया था.

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संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान
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Published : May 23, 2022, 10:21 PM IST

लखनऊ: मल्टीवेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज (हृदय की आपूर्ति करने वाली धमनियों में रुकावट) के साथ पुराने मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा) के एक असामान्य मामले का संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग में सफलतापूर्वक इलाज किया गया. डाॅक्टरों के मुताबिक मरीज की बायीं धमनी पिछले 8 वर्षों से बंद थी.

52 वर्षीय पुरुष मरीज को आठ वर्ष पुरानी एन्टीरियल वाल मायोकार्डियल इन्फार्क्शन की बीमारी थी. जिसके बाद मरीज को एमआईसीयू में भर्ती कराया गया था. आठ वर्ष पूर्व बाहर की गई कोरोनरी एंजियोग्राफी में बायीं अवरोही (मुख्य) धमनी में 100 प्रतिशत अवरोध बताया गया था. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मरीज धमनी की एंजियोप्लास्टी नहीं करवा पा रहा था. मरीज सीने में दर्द (एनजाइना) के साथ इलाज करवा रहा था.

फरवरी 2022 में मरीज को अचानक अत्यधिक पसीने के साथ सीने में दर्द उठा. जांच में पाया गया कि मरीज को दूसरा हार्ट अटैक पड़ा था. जिसके बाद मरीज को प्रोफेसर सत्येंद्र तिवारी की देखरेख में कार्डियोलॉजी मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एमआईसीयू) में भर्ती कराया गया. नियमित जांच के बाद मरीज की कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई, जिसमें पता चला कि पूर्व से ही अवरूद्ध अवरोही (मुख्य) बायीं धमनी जो पिछले 8 वर्षों से अवरुद्ध थी. जिसके बाद प्रोफेसर तिवारी ने पहले दाहिनी कोरोनरी धमनी को खोलने का फैसला किया. जिसे गुब्बारे से खोला गया और सफलतापूर्वक स्टेंट लगा दिया गया. इसके बाद मरीज की बायीं धमनी (पूर्व से ही अवरूद्ध) अवरोही (मुख्य) धमनी को खोलने के लिए ले जाया गया, जो पिछले 8 वर्षों से 100 प्रतिशत बंद थी. इलाज के दौरान अवरोध के स्थान का पता लगाने में कठिनाई हो रही थी. जिसके बाद इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड तकनीक (आईवीयूएस) के उपयोग से उस स्थान का पता लगाया जा सका. इस प्रकिया में कार्डियोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ रूपाली खन्ना शामिल थीं. प्रो रूपाली खन्ना ने इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड इमेजिंग में काफी मदद की. इलाज के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई है.

ये भी पढ़ें : यूपी में कोरोना के 122 नए मरीज, 32.40 करोड़ लोगों को लगी वैक्सीन

डॉ सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी नियमित रूप से की जा रही है. वहीं संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन ने बहुत ही कम समय में रोगी के लिए आर्थिक व्यवस्था करने में मदद की. प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन ने टीम को बधाई दी.

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लखनऊ: मल्टीवेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज (हृदय की आपूर्ति करने वाली धमनियों में रुकावट) के साथ पुराने मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा) के एक असामान्य मामले का संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग में सफलतापूर्वक इलाज किया गया. डाॅक्टरों के मुताबिक मरीज की बायीं धमनी पिछले 8 वर्षों से बंद थी.

52 वर्षीय पुरुष मरीज को आठ वर्ष पुरानी एन्टीरियल वाल मायोकार्डियल इन्फार्क्शन की बीमारी थी. जिसके बाद मरीज को एमआईसीयू में भर्ती कराया गया था. आठ वर्ष पूर्व बाहर की गई कोरोनरी एंजियोग्राफी में बायीं अवरोही (मुख्य) धमनी में 100 प्रतिशत अवरोध बताया गया था. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मरीज धमनी की एंजियोप्लास्टी नहीं करवा पा रहा था. मरीज सीने में दर्द (एनजाइना) के साथ इलाज करवा रहा था.

फरवरी 2022 में मरीज को अचानक अत्यधिक पसीने के साथ सीने में दर्द उठा. जांच में पाया गया कि मरीज को दूसरा हार्ट अटैक पड़ा था. जिसके बाद मरीज को प्रोफेसर सत्येंद्र तिवारी की देखरेख में कार्डियोलॉजी मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एमआईसीयू) में भर्ती कराया गया. नियमित जांच के बाद मरीज की कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई, जिसमें पता चला कि पूर्व से ही अवरूद्ध अवरोही (मुख्य) बायीं धमनी जो पिछले 8 वर्षों से अवरुद्ध थी. जिसके बाद प्रोफेसर तिवारी ने पहले दाहिनी कोरोनरी धमनी को खोलने का फैसला किया. जिसे गुब्बारे से खोला गया और सफलतापूर्वक स्टेंट लगा दिया गया. इसके बाद मरीज की बायीं धमनी (पूर्व से ही अवरूद्ध) अवरोही (मुख्य) धमनी को खोलने के लिए ले जाया गया, जो पिछले 8 वर्षों से 100 प्रतिशत बंद थी. इलाज के दौरान अवरोध के स्थान का पता लगाने में कठिनाई हो रही थी. जिसके बाद इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड तकनीक (आईवीयूएस) के उपयोग से उस स्थान का पता लगाया जा सका. इस प्रकिया में कार्डियोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ रूपाली खन्ना शामिल थीं. प्रो रूपाली खन्ना ने इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड इमेजिंग में काफी मदद की. इलाज के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई है.

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डॉ सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी नियमित रूप से की जा रही है. वहीं संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन ने बहुत ही कम समय में रोगी के लिए आर्थिक व्यवस्था करने में मदद की. प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन ने टीम को बधाई दी.

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