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उत्तर प्रदेश में डेंगू हुआ बेकाबू, 24 घंटे में 279 नए मिले मरीज

यूपी में गुरुवार को 279 मरीजों में डेंगू (dengue in up) पाया गया. इनमें लखनऊ के मरीजों की संख्या 14 है. सूबे में अब मच्छरजनित-बैक्टीरियल बीमारी बढ़ती जा रही हैं.

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Published : Sep 17, 2021, 1:38 AM IST

लखनऊ: अस्पतालों के वार्ड बुखार के मरीजों से भरे हुए हैं. इनमें स्क्रबटाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस डेंगू-मलेरिया की पुष्टि हो रही है. गुरुवार को प्रदेश में डेंगू (dengue in uttar pradesh) के 279 नए मरीज मिले. इसमें 14 लखनऊ के मरीज भी शामिल हैं. राज्यभर में हजारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं. इनकी डेंगू की जांच की जा रही हैं. घर-घर चल रहे सर्वे में गंभीर मरीजों को अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा है.

लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी

स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं मंगलवार को 88 नए डेंगू के केस मिले. बुधवार को राज्य में 128 मरीज पाए गए. वहीं गुरुवार को मरीजों की संख्या 279 और बढ़ गयी. राज्य में अब डेंगू मरीजों की कुल संख्या 2444 से बढ़कर 2723 हो गयी.

संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है. ऐसे में आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सतर्क ज्यादा रहना होगा. उधर पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है. बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है.

लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMS) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया हैं. उन्‍होंने बताया क‍ि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्‍लीड‍िंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी तेजी से कम होता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है.किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों घातक भी हो सकते हैं। डेंगू के प्रकार
  • टाइप 1- सामान्य डेंगू- इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है। दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
  • टाइप-2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर- इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
  • टाइप-3- डेंगू शॉक सिंड्रोम- इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.

डेंगू के लक्षण- तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव- घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

खानपान का रखें ध्यान- बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं, पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.

लखनऊ: अस्पतालों के वार्ड बुखार के मरीजों से भरे हुए हैं. इनमें स्क्रबटाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस डेंगू-मलेरिया की पुष्टि हो रही है. गुरुवार को प्रदेश में डेंगू (dengue in uttar pradesh) के 279 नए मरीज मिले. इसमें 14 लखनऊ के मरीज भी शामिल हैं. राज्यभर में हजारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं. इनकी डेंगू की जांच की जा रही हैं. घर-घर चल रहे सर्वे में गंभीर मरीजों को अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा है.

लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी

स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं मंगलवार को 88 नए डेंगू के केस मिले. बुधवार को राज्य में 128 मरीज पाए गए. वहीं गुरुवार को मरीजों की संख्या 279 और बढ़ गयी. राज्य में अब डेंगू मरीजों की कुल संख्या 2444 से बढ़कर 2723 हो गयी.

संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है. ऐसे में आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सतर्क ज्यादा रहना होगा. उधर पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है. बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है.

लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
लारवा की जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMS) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया हैं. उन्‍होंने बताया क‍ि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्‍लीड‍िंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी तेजी से कम होता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है.किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों घातक भी हो सकते हैं। डेंगू के प्रकार
  • टाइप 1- सामान्य डेंगू- इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है। दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
  • टाइप-2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर- इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
  • टाइप-3- डेंगू शॉक सिंड्रोम- इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.

डेंगू के लक्षण- तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव- घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

खानपान का रखें ध्यान- बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं, पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.

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