लखनऊ: अंग्रेजी के बजाय हिन्दी व अन्य स्थानीय भाषाओं में न्यायिक प्रक्रिया चलाए जाने की मांग की जा रही है. इसके तहत महिला अधिवक्ताओं द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की वीरांगना न्यायाग्रह यात्रा लखनऊ पहुंची. गुरुवार को यात्रा में शामिल महिला अधिवक्ताओं का गोमती नगर स्थित उच्च न्यायालय के गेट नंबर 6 पर भव्य स्वागत किया गया. इस यात्रा में विभिन्न प्रांतों की महिला अधिवक्ता शामिल रहीं.
इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद भारतीय भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण भारद्वाज ने उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्थानीय भाषा में सभी को न्याय मिल सके इसके लिए आंदोलन के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 को समाप्त करने की मांग बराबर की जा रही है. इसके लिये यह यात्रा प्रारंभ की गई है. अंग्रेजों के बनाए कानून को समाप्त कर आज आवश्यकता है कि देश में जन-जन इस बात के लिए जागृत हो और यह मांग करे कि हमें हमारी भाषा में न्याय मिले.
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इस मौके पर यात्रा में शामिल हरगोविंद उपाध्याय ने कहा कि सभी प्रदेशों के अधीनस्थ न्यायालयों में स्थानीय भाषा में कार्य की अनुमति हो, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय व न्यायाधिकरणों में उनके प्रशासनिक कार्यों को भी हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं में किया जाए. विधि और न्याय से सम्बंधित शब्दावली प्रादेशिक भाषाओं में उपलब्ध हो. इसके साथ ही विधिक शिक्षा और प्रवेश परीक्षा का माध्यम हिंदी व प्रादेशिक भाषाओं में हो. इस मौके पर उच्च न्यायालय की अधिवक्ता अनीता तिवारी ने कहा कि आज आवश्यकता है कि देश में जन-जन इस बात के लिए जागृत हो और यह मांग करे कि हमें हमारी भाषा में न्याय मिले.
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