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अभियंताओं पर ऊर्जामंत्री की कार्रवाई से संगठन खफा, निलंबन वापस लेने की मांग

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन का तर्क है कि शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन को प्राकृतिक आपदा के चलते गुल हुई बिजली पर ध्यान देना चाहिए. बिना अवगत हुए ही अभियंताओं पर कार्रवाई की गई है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन
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Published : May 24, 2022, 7:57 PM IST

लखनऊ : एक दिन पहले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कुछ ही पल के लिए बिजली गुल होने के कारण ऊर्जामंत्री ने तीन अभियंताओं को सस्पेंड और एक संविदा कर्मी को बर्खास्त कर दिया था. ऊर्जामंत्री की इस कार्रवाई को लेकर अब विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन का तर्क है कि शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन को प्राकृतिक आपदा के चलते गुल हुई बिजली पर ध्यान देना चाहिए. बिना अवगत हुए ही अभियंताओं पर कार्रवाई की गई है. संगठन इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध करता है.

संगठन के केंद्रीय महासचिव इंजीनियर जयप्रकाश ने बताया कि कल की तेज आंधी-पानी में दोपहर लगभग 12:05 बजे 33 केवी लॉ मार्टिनियर फीडर पर पेड़ की डाल गिरने के कारण, 132 केवी उपकेंद्र मार्टिनपुरवा की इनकमिंग लाइन जो पीजीआई से आती है, ट्रिप हुई थी. वहां के अवर अभियंता ने तेज तूफान बारिश में भी तत्परता दिखाते हुए स्विचयार्ड का निरीक्षण कर दोपहर में लगभग 12:12 पर द्वितीय 132 केवी सोर्स चिनहट मार्टिनपुरवा लाइन से 132 केवी उपकेंद्र को ऊर्जीकृत कर दिया था. इस प्रकार 132 उपकेंद्र मार्टिनपुरवा पर मात्र सात मिनट का व्यवधान उत्पन्न हुआ जबकि विधानसभा/परिषद क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति सिर्फ 30 सेकेंड के लिए ही बाधित रही थी. उपरोक्त तथ्यों से यह साफ-साफ प्रदर्शित होता है कि अवर अभियंता व अन्य कार्मिकों ने बहुत ही सजगता और संवेदनशीलता के साथ कार्य किया.

ये भी पढ़ें : आंधी-बारिश से मेरठ में आम और सीतापुर में केला की फसल बर्बाद, कई जिलों में भारी तबाही

संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष इंजीनियर जीवी पटेल ने कहा कि उपरोक्त प्रकरण में ऊर्जा प्रबंधन द्वारा की गई यह कार्रवाई अवर अभियंता और अन्य संवर्ग में हताशा और निराशा उत्पन्न करनी वाली है. विधानसभा/ परिषद क्षेत्र को दो जगहों से विद्युत सप्लाई दी जाती है. साथ ही आंतरिक विद्युत परिचालन की संपूर्ण व्यवस्था पीडब्ल्यूडी के विद्युत शाखा की होती है. विद्युत व्यवधान होने पर आंतरिक विद्युत प्रणाली का स्वत: प्रारंभ न होना त्रुटि को दर्शाता है. विद्युत विभाग के अवर अभियंता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महज 30 सेकेंड में विधानसभा/परिषद क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति बहाल करा दी थी. फिर भी शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन ने एकतरफा कार्रवाई कर अवर अभियंता और अन्य को निलंबित कर दिया है. संगठन इसका पुरजोर विरोध करता है. मांग करता है कि अवर अभियंता एवं अन्य का निलंबन समाप्त किया जाए. इससे अवर अभियंता संवर्ग और अन्य कर्मचारियों में विश्वास का वातावरण पैदा हो.

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लखनऊ : एक दिन पहले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कुछ ही पल के लिए बिजली गुल होने के कारण ऊर्जामंत्री ने तीन अभियंताओं को सस्पेंड और एक संविदा कर्मी को बर्खास्त कर दिया था. ऊर्जामंत्री की इस कार्रवाई को लेकर अब विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन का तर्क है कि शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन को प्राकृतिक आपदा के चलते गुल हुई बिजली पर ध्यान देना चाहिए. बिना अवगत हुए ही अभियंताओं पर कार्रवाई की गई है. संगठन इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध करता है.

संगठन के केंद्रीय महासचिव इंजीनियर जयप्रकाश ने बताया कि कल की तेज आंधी-पानी में दोपहर लगभग 12:05 बजे 33 केवी लॉ मार्टिनियर फीडर पर पेड़ की डाल गिरने के कारण, 132 केवी उपकेंद्र मार्टिनपुरवा की इनकमिंग लाइन जो पीजीआई से आती है, ट्रिप हुई थी. वहां के अवर अभियंता ने तेज तूफान बारिश में भी तत्परता दिखाते हुए स्विचयार्ड का निरीक्षण कर दोपहर में लगभग 12:12 पर द्वितीय 132 केवी सोर्स चिनहट मार्टिनपुरवा लाइन से 132 केवी उपकेंद्र को ऊर्जीकृत कर दिया था. इस प्रकार 132 उपकेंद्र मार्टिनपुरवा पर मात्र सात मिनट का व्यवधान उत्पन्न हुआ जबकि विधानसभा/परिषद क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति सिर्फ 30 सेकेंड के लिए ही बाधित रही थी. उपरोक्त तथ्यों से यह साफ-साफ प्रदर्शित होता है कि अवर अभियंता व अन्य कार्मिकों ने बहुत ही सजगता और संवेदनशीलता के साथ कार्य किया.

ये भी पढ़ें : आंधी-बारिश से मेरठ में आम और सीतापुर में केला की फसल बर्बाद, कई जिलों में भारी तबाही

संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष इंजीनियर जीवी पटेल ने कहा कि उपरोक्त प्रकरण में ऊर्जा प्रबंधन द्वारा की गई यह कार्रवाई अवर अभियंता और अन्य संवर्ग में हताशा और निराशा उत्पन्न करनी वाली है. विधानसभा/ परिषद क्षेत्र को दो जगहों से विद्युत सप्लाई दी जाती है. साथ ही आंतरिक विद्युत परिचालन की संपूर्ण व्यवस्था पीडब्ल्यूडी के विद्युत शाखा की होती है. विद्युत व्यवधान होने पर आंतरिक विद्युत प्रणाली का स्वत: प्रारंभ न होना त्रुटि को दर्शाता है. विद्युत विभाग के अवर अभियंता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महज 30 सेकेंड में विधानसभा/परिषद क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति बहाल करा दी थी. फिर भी शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन ने एकतरफा कार्रवाई कर अवर अभियंता और अन्य को निलंबित कर दिया है. संगठन इसका पुरजोर विरोध करता है. मांग करता है कि अवर अभियंता एवं अन्य का निलंबन समाप्त किया जाए. इससे अवर अभियंता संवर्ग और अन्य कर्मचारियों में विश्वास का वातावरण पैदा हो.

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