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जानिये केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के फरमान पर क्या बोले उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष

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Published : May 30, 2022, 10:58 PM IST

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने नाराजगी जताई है.

अवधेश वर्मा
अवधेश वर्मा

लखनऊः केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश भेजा है कि राज्य स्वयं विदेशी कोयले की खरीद नहीं करेंगे सिर्फ कोल इंडिया ही विदेशी कोयला खरीदेगी और उसे सभी राज्यों को सप्लाई किया जाएगा. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने नाराजगी जताई है.

उनका कहना है कि विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली कंपनियों को नोटिस दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में विदेशी कोयले की खरीद को मंजूरी न दिए जाने का फैसला लिया है. देश के दूसरे राज्यों ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को संज्ञान में लेकर जब विदेशी कोयले के खिलाफ लामबंदी शुरू की तो अब केंद्र सरकार ने एक नया पैंतरा खेल दिया है.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं कि सभी राज्य सरकारें जहां पर विदेशी कोयले का टेंडर हुआ है वह अभी उसे निरस्त कर दें, क्योंकि अब ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ही सभी राज्यों के लिए विदेशी कोयले की खरीद की जाएगी, फिर वह सभी राज्यों को सप्लाई कर दिया जाएगा. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से यह भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी राज्य 31 मई तक यह बता दें कि उनकी कोयले की आवश्यकता क्या है? कुल मिलाकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय विदेशी कोयला खरीदने के लिए हर तरह से मैदान में कूद गया है.

यह बात पूरे देश के ऊर्जा क्षेत्र को समझ में नहीं आ रही है कि जब केंद्रीय कोयला मंत्री ने लोकसभा के बाद अनेकों बार यह कहा है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है फिर ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार विदेशी कोयला खरीद के पीछे क्यों पड़ गया है? इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश हो रही है. इसमें देश के कुछ निजी घरानों का बहुत बड़ा लाभ है इसलिए उपभोक्ता परिषद जनहित में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करता है कि हाई प्रोफाइल विदेशी कोयला खरीदवाने की नीति पर सीबीआई जांच कराई जाए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की दादागिरी के खिलाफ उपभोक्ता परिषद बहुत जल्द ही देश के दूसरे राज्यों के उपभोक्ता संगठनों से बात कर एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगा, लेकिन किसी भी हालत में विदेशी कोयला खरीदने की अनुमति नहीं देने देगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को विदेशी कोयला खरीद कराना बहुत जरूरी लगता है तो उसे देसी कोयला तीन हजार रुपए मीट्रिक टन और विदेशी कोयला रुपया 17 हजार मीट्रिक टन के अंतर पर केंद्र की तरफ से 14000 रुपये प्रति मीट्रिक टन या जो अंतर आए उस पर राजकीय सब्सिडी घोषित करना चाहिए. जिससे देश के उपभोक्ताओं पर कोई प्रभाव न पडे़. राज्य सरकारों का नैतिक दायित्व है कि वह देश और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में फैसला लें. सब मिलाकर अगर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने फैसले पर पुनर्विचार न किया तो उपभोक्ता परिषद पूरे देश में सभी राज्य उपभोक्ता संगठनों को एकजुट कर बडे़ आंदोलन का आगाज करेगा.

ये भी पढ़ें : नए मेडिकल कॉलेजों में अब पीजी कोर्स होंगे शुरू, फिरोजाबाद को हरी झंडी

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदने के लिए अभियान छेड़ा है, वह पूरी तरीके से असंवैधानिक है. देश के सभी राज्यों का कोल इंडिया के साथ जो डोमेस्टिक कोयला खरीदने का करार है, एग्रीमेंट के तहत कोल इंडिया को उसी एग्रीमेंट की दर पर राज्यों की उत्पादन इकाइयों को कोयला सप्लाई करने का प्रावधान है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला खरीदने को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है तो सब्सिडी घोषित कराना चाहिए. जिससे किसी भी राज्य के उपभोक्ता की बिजली दर में कोई बढ़ोतरी न हो. विदेशी कोयला खरीदने की वजह से अतिरिक्त 11000 करोड़ का खर्च आएगा और उसकी वजह से रुपया एक प्रति यूनिट तक बिजली की दरों में इजाफा होगा.

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लखनऊः केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश भेजा है कि राज्य स्वयं विदेशी कोयले की खरीद नहीं करेंगे सिर्फ कोल इंडिया ही विदेशी कोयला खरीदेगी और उसे सभी राज्यों को सप्लाई किया जाएगा. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने नाराजगी जताई है.

उनका कहना है कि विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली कंपनियों को नोटिस दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में विदेशी कोयले की खरीद को मंजूरी न दिए जाने का फैसला लिया है. देश के दूसरे राज्यों ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को संज्ञान में लेकर जब विदेशी कोयले के खिलाफ लामबंदी शुरू की तो अब केंद्र सरकार ने एक नया पैंतरा खेल दिया है.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं कि सभी राज्य सरकारें जहां पर विदेशी कोयले का टेंडर हुआ है वह अभी उसे निरस्त कर दें, क्योंकि अब ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ही सभी राज्यों के लिए विदेशी कोयले की खरीद की जाएगी, फिर वह सभी राज्यों को सप्लाई कर दिया जाएगा. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से यह भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी राज्य 31 मई तक यह बता दें कि उनकी कोयले की आवश्यकता क्या है? कुल मिलाकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय विदेशी कोयला खरीदने के लिए हर तरह से मैदान में कूद गया है.

यह बात पूरे देश के ऊर्जा क्षेत्र को समझ में नहीं आ रही है कि जब केंद्रीय कोयला मंत्री ने लोकसभा के बाद अनेकों बार यह कहा है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है फिर ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार विदेशी कोयला खरीद के पीछे क्यों पड़ गया है? इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश हो रही है. इसमें देश के कुछ निजी घरानों का बहुत बड़ा लाभ है इसलिए उपभोक्ता परिषद जनहित में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करता है कि हाई प्रोफाइल विदेशी कोयला खरीदवाने की नीति पर सीबीआई जांच कराई जाए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की दादागिरी के खिलाफ उपभोक्ता परिषद बहुत जल्द ही देश के दूसरे राज्यों के उपभोक्ता संगठनों से बात कर एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगा, लेकिन किसी भी हालत में विदेशी कोयला खरीदने की अनुमति नहीं देने देगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को विदेशी कोयला खरीद कराना बहुत जरूरी लगता है तो उसे देसी कोयला तीन हजार रुपए मीट्रिक टन और विदेशी कोयला रुपया 17 हजार मीट्रिक टन के अंतर पर केंद्र की तरफ से 14000 रुपये प्रति मीट्रिक टन या जो अंतर आए उस पर राजकीय सब्सिडी घोषित करना चाहिए. जिससे देश के उपभोक्ताओं पर कोई प्रभाव न पडे़. राज्य सरकारों का नैतिक दायित्व है कि वह देश और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में फैसला लें. सब मिलाकर अगर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने फैसले पर पुनर्विचार न किया तो उपभोक्ता परिषद पूरे देश में सभी राज्य उपभोक्ता संगठनों को एकजुट कर बडे़ आंदोलन का आगाज करेगा.

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अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदने के लिए अभियान छेड़ा है, वह पूरी तरीके से असंवैधानिक है. देश के सभी राज्यों का कोल इंडिया के साथ जो डोमेस्टिक कोयला खरीदने का करार है, एग्रीमेंट के तहत कोल इंडिया को उसी एग्रीमेंट की दर पर राज्यों की उत्पादन इकाइयों को कोयला सप्लाई करने का प्रावधान है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला खरीदने को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है तो सब्सिडी घोषित कराना चाहिए. जिससे किसी भी राज्य के उपभोक्ता की बिजली दर में कोई बढ़ोतरी न हो. विदेशी कोयला खरीदने की वजह से अतिरिक्त 11000 करोड़ का खर्च आएगा और उसकी वजह से रुपया एक प्रति यूनिट तक बिजली की दरों में इजाफा होगा.

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