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व्यवस्था चरमराई, प्राथमिक विद्यालय में बच्चे पेड़ के नीचे चटाई पर बैठ कर रहे पढ़ाई

प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर तमाम सारी योजनाएं चला रही है, लेकिन राजधानी में कई विद्यालयों में इमारत के साथ-साथ व्यवस्थायें भी जर्जर दिखाई दे रही हैं.

प्राथमिक स्कूल
प्राथमिक स्कूल
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Published : Jul 28, 2022, 9:13 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर तमाम सारी योजनाएं चला रही है. बेहतर शिक्षा के लिए स्कूलों को हाईटेक भी किया जा रहा है, लेकिन राजधानी में कई विद्यालयों में इमारत के साथ-साथ व्यवस्थायें भी जर्जर दिखाई दे रही हैं. ऐसा ही हाल लखनऊ बीकेटी के प्राथमिक विद्यालय विशम्भर खेड़ा का है. जहां स्कूल की इमारत के नाम पर बस एक कमरा है. यहां बच्चे पेड़ के नीचे चटाई पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा को लेकर स्कूल चलो अभियान, सर्वशिक्षा अभियान, निपुण भारत अभियान, मिशन प्रेरणा जैसी कई सारी योजनाएं चला रही है. इसके अलावा स्कूलों के निर्माण को लेकर कायाकल्प योजना भी चलाई जा रही है. स्कूलों में अच्छी व्यवस्थाओं के दावे भी किये जा रहे हैं. वहीं विकासखंड बीकेटी के ग्राम पंचायत अल्दमपुर के विशम्भरखेड़ा की सच्चाई कुछ अलग कहानी बयां कर रही है.

जानकारी देते संवाददाता जितेंद्र वर्मा

बता दें वर्ष 2000 में प्राथमिक स्कूल विसंभरखेड़ा का निर्माण हुआ था. काफी वर्ष बीतने के बाद स्कूल जर्जर स्थिति में हो गया था. जिसके बाद पिछले वर्ष अक्टूबर माह में स्कूल का ध्वस्तीकरण हुआ था. दोबारा स्कूल का निर्माण कार्य होना था, लेकिन 9 महीने बीतने को है स्कूल की हालत जस की तस है. स्कूल में एक कमरा बना हुआ है वो भी जर्जर स्थित में है, जो कभी भी गिर सकता है. स्कूल में कक्षा एक से 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं. इसमें 75 बच्चे, एक शिक्षामित्र और दो शिक्षक हैं.


प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पिता कैलाश ने बताया कि स्कूल की हालत काफी जर्जर हो गई थी. जिसको लेकर स्कूल की बिल्डिंग गिरवाकर नई बिल्डिंग बनाने की बात की गई थी. उन्होंने बताया करीब 9 महीने बीतने को है, लेकिन अभी तक स्कूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. सभी बच्चों को अब पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि बारिश का मौसम आने से काफी समस्या भी बढ़ गई है. बारिश होने के दौरान स्कूल में बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी डर बना रहता है. कई बार इन समस्याओं को लेकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन हर बार अधिकारियों द्वारा आश्वासन मिलता है.


ग्रामीण राम प्रकाश ने बताया कि कई महीने बीतने को है न तो स्कूल बना और न ही बच्चों की पढ़ाई हो पा रही है. उन्होंने बताया कि बच्चों को भी बारिश का बहाना मिल जाता है और वह पढ़ाई न करके घर चले जाते हैं. एक कमरा बना है. बारिश होने पर छतों से पानी टपकने लगता है स्कूल की किताबें तक भीग जाती हैं.

इस मामले पर बीकेटी विधायक योगेश शुक्ला ने बताया कि अल्दमपुर ग्राम पंचायत के मजरा विशंभरखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय का मामला हमारे संज्ञान में है. शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की प्राथमिकता है. बच्चों को किसी तरह की असुविधा ना हो इसके लिए जल्द ही स्कूल के निर्माण कार्य को पूरा करने का कार्य किया जाएगा.
ये भी पढ़ें : बसों की वायरिंग में छेड़छाड़ करना ड्राइवर को पड़ेगा भारी, जायेगी नौकरी
बीएसए अरूण कुमार ने बताया कि स्कूल की हालत काफी जर्जर थी. नई बिल्डिंग तैयार करने की योजना थी, जल्द ही स्कूल के निर्माण कार्य को लेकर काम किया जाएगा. जब तक स्कूल का निर्माण कार्य नहीं होता है तब तक बच्चों को पास के दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जायेगा.
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लखनऊ : प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर तमाम सारी योजनाएं चला रही है. बेहतर शिक्षा के लिए स्कूलों को हाईटेक भी किया जा रहा है, लेकिन राजधानी में कई विद्यालयों में इमारत के साथ-साथ व्यवस्थायें भी जर्जर दिखाई दे रही हैं. ऐसा ही हाल लखनऊ बीकेटी के प्राथमिक विद्यालय विशम्भर खेड़ा का है. जहां स्कूल की इमारत के नाम पर बस एक कमरा है. यहां बच्चे पेड़ के नीचे चटाई पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा को लेकर स्कूल चलो अभियान, सर्वशिक्षा अभियान, निपुण भारत अभियान, मिशन प्रेरणा जैसी कई सारी योजनाएं चला रही है. इसके अलावा स्कूलों के निर्माण को लेकर कायाकल्प योजना भी चलाई जा रही है. स्कूलों में अच्छी व्यवस्थाओं के दावे भी किये जा रहे हैं. वहीं विकासखंड बीकेटी के ग्राम पंचायत अल्दमपुर के विशम्भरखेड़ा की सच्चाई कुछ अलग कहानी बयां कर रही है.

जानकारी देते संवाददाता जितेंद्र वर्मा

बता दें वर्ष 2000 में प्राथमिक स्कूल विसंभरखेड़ा का निर्माण हुआ था. काफी वर्ष बीतने के बाद स्कूल जर्जर स्थिति में हो गया था. जिसके बाद पिछले वर्ष अक्टूबर माह में स्कूल का ध्वस्तीकरण हुआ था. दोबारा स्कूल का निर्माण कार्य होना था, लेकिन 9 महीने बीतने को है स्कूल की हालत जस की तस है. स्कूल में एक कमरा बना हुआ है वो भी जर्जर स्थित में है, जो कभी भी गिर सकता है. स्कूल में कक्षा एक से 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं. इसमें 75 बच्चे, एक शिक्षामित्र और दो शिक्षक हैं.


प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पिता कैलाश ने बताया कि स्कूल की हालत काफी जर्जर हो गई थी. जिसको लेकर स्कूल की बिल्डिंग गिरवाकर नई बिल्डिंग बनाने की बात की गई थी. उन्होंने बताया करीब 9 महीने बीतने को है, लेकिन अभी तक स्कूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. सभी बच्चों को अब पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि बारिश का मौसम आने से काफी समस्या भी बढ़ गई है. बारिश होने के दौरान स्कूल में बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी डर बना रहता है. कई बार इन समस्याओं को लेकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन हर बार अधिकारियों द्वारा आश्वासन मिलता है.


ग्रामीण राम प्रकाश ने बताया कि कई महीने बीतने को है न तो स्कूल बना और न ही बच्चों की पढ़ाई हो पा रही है. उन्होंने बताया कि बच्चों को भी बारिश का बहाना मिल जाता है और वह पढ़ाई न करके घर चले जाते हैं. एक कमरा बना है. बारिश होने पर छतों से पानी टपकने लगता है स्कूल की किताबें तक भीग जाती हैं.

इस मामले पर बीकेटी विधायक योगेश शुक्ला ने बताया कि अल्दमपुर ग्राम पंचायत के मजरा विशंभरखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय का मामला हमारे संज्ञान में है. शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की प्राथमिकता है. बच्चों को किसी तरह की असुविधा ना हो इसके लिए जल्द ही स्कूल के निर्माण कार्य को पूरा करने का कार्य किया जाएगा.
ये भी पढ़ें : बसों की वायरिंग में छेड़छाड़ करना ड्राइवर को पड़ेगा भारी, जायेगी नौकरी
बीएसए अरूण कुमार ने बताया कि स्कूल की हालत काफी जर्जर थी. नई बिल्डिंग तैयार करने की योजना थी, जल्द ही स्कूल के निर्माण कार्य को लेकर काम किया जाएगा. जब तक स्कूल का निर्माण कार्य नहीं होता है तब तक बच्चों को पास के दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जायेगा.
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