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गोरखपुर शहर सीट पर योगी आदित्यनाथ ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर रचा इतिहास - gorakhpur news in hindi

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में गोरखपुर शहर सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. वो 1,03,390 मतों से जीते गए. योगी आदित्यनाथ को जीत का सर्टिफिकेट दिया गया. उनके चुनाव एजेंट अरुण सिंह ने जीत का प्रमाण पत्र लिया.

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योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड मतों से जीते
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Published : Mar 10, 2022, 4:33 PM IST

Updated : Mar 10, 2022, 7:12 PM IST

गोरखपुर: गोरखपुर शहर से योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड मतों से जीत गए. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सपा प्रत्याशी शुभावती शुक्ला को एक लाख के भारी अंतर से हरा दिया है. उनके खिलाफ सपा से पूर्व भाजपा नेता उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला, आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर, बसपा टिकट पर ख्वाजा शम्सुद्दीन और कांग्रेस से चेतना पांडे चुनाव लड़ रही थीं. यहां से 2017 के चुनाव में भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल चुनाव जीते थे. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी ने तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था. गोरखपुर में पिछले 25 वर्ष से राजनीतिक तौर पर सक्रिय योगी आदित्यनाथ के लिए यह पहला मौका था, जब उन्होंने विधानसभा के चुनाव के लिए ताल ठोकी थी.

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सीएम योगी आदित्यनाथ की जीत का सर्टिफिकेट

इसके साथ कई मिथक भी टूटे. 18 साल में यह पहली बार है, जब किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव लड़ा. इससे पहले 2003 में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा था. भाजपा की जीत के बाद यह तय है कि योगी आदित्यनाथ ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता पर काबिज होगा.

ये भी पढ़ें- भाजपा प्रत्याशी बेबी रानी मौर्य बोलीं- ये जनता के विश्वास की जीत, सबका साथ और सबके विकास की जीत


प्रदेश के 70 साल के इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ है. यूपी में ऐसे कई मुख्यमंत्री हुए, जो दोबारा सत्ता में आए, लेकिन उनमें से किसी ने पहले पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था. इनमें संपूर्णानंद, चंद्र भानू गुप्ता से लेकर हेमवती नंदन बहुगुणा तक के नाम शामिल हैं. ये सभी मुख्यमंत्री रहते हुए दोबारा सत्ता में काबिज हुए, लेकिन किसी का पहला कार्यकाल एक साल का था तो किसी का दो या तीन साल का.

यूपी में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है. उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती. इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते थे. उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर कुछ को कार्यक्रम के सिलसिले में वहां जाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया गया. योगी ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जो नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए. उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर एक मिथक तोड़ दिया. साथ ही एक बार फिर सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने ये मिथक भी तोड़ दिया कि नोएडा जाने वाला सीएम, दोबारा सत्ता में नहीं आता है.

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गोरखपुर: गोरखपुर शहर से योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड मतों से जीत गए. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सपा प्रत्याशी शुभावती शुक्ला को एक लाख के भारी अंतर से हरा दिया है. उनके खिलाफ सपा से पूर्व भाजपा नेता उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला, आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर, बसपा टिकट पर ख्वाजा शम्सुद्दीन और कांग्रेस से चेतना पांडे चुनाव लड़ रही थीं. यहां से 2017 के चुनाव में भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल चुनाव जीते थे. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी ने तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था. गोरखपुर में पिछले 25 वर्ष से राजनीतिक तौर पर सक्रिय योगी आदित्यनाथ के लिए यह पहला मौका था, जब उन्होंने विधानसभा के चुनाव के लिए ताल ठोकी थी.

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इसके साथ कई मिथक भी टूटे. 18 साल में यह पहली बार है, जब किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव लड़ा. इससे पहले 2003 में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा था. भाजपा की जीत के बाद यह तय है कि योगी आदित्यनाथ ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता पर काबिज होगा.

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प्रदेश के 70 साल के इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ है. यूपी में ऐसे कई मुख्यमंत्री हुए, जो दोबारा सत्ता में आए, लेकिन उनमें से किसी ने पहले पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था. इनमें संपूर्णानंद, चंद्र भानू गुप्ता से लेकर हेमवती नंदन बहुगुणा तक के नाम शामिल हैं. ये सभी मुख्यमंत्री रहते हुए दोबारा सत्ता में काबिज हुए, लेकिन किसी का पहला कार्यकाल एक साल का था तो किसी का दो या तीन साल का.

यूपी में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है. उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती. इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते थे. उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर कुछ को कार्यक्रम के सिलसिले में वहां जाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया गया. योगी ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जो नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए. उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर एक मिथक तोड़ दिया. साथ ही एक बार फिर सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने ये मिथक भी तोड़ दिया कि नोएडा जाने वाला सीएम, दोबारा सत्ता में नहीं आता है.

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Last Updated : Mar 10, 2022, 7:12 PM IST
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