लखनऊ: गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजधानी में आयोजित युग प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि आदि शिव के अवतार माने गए गुरु गोरखनाथ ने पूरी दुनिया को बताया कि शरीर और मन दोनों की शुद्धता हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, फिर चाहे वह योगी हो या गृहस्थ.
पुस्तकों का किया गया लोकार्पण
युग परिवर्तक गुरु गोरखनाथ पर केंद्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से किया जा रहा है. संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त ने समारोह की शुरुआत में अपने स्वागत भाषण में बताया इस कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों से विद्वत जन हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रम का शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि सीएम योगी आदित्यनाथ और अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने दीप प्रज्ज्वलन से किया. इस आयोजन में विभिन्न लेखकों की पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया.
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हर कोने में मौजूद हैं नाथपंथ अनुयायी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में बताया कि किस तरह से नाथ पंथ और इसके अनुयायी भारत के हर कोने, हर क्षेत्र में मौजूद हैं. यहां तक कि विदेश में भी नाथ पंथ के प्रमाण मिलते हैं. उन्होंने नेपाल राज परिवार से जुड़ी घटनाओं और तमिलनाडु, पूर्वोत्तर भारत पाकिस्तान समेत अनेक क्षेत्र में मौजूद नाथ पंथ से जुड़े लोगों पर चर्चा की.
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तन और मन की शुद्धता प्रत्येक प्राणी के लिए जरूरी
सीएम योगी ने सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने गुरु गोरखनाथ का मंदिर अमेठी में बनवा रखा है. उन्होंने बताया कि योग विद्या के बारे में पाणिनि ने जो 8 नियम बताए थे, उन्हें योगी और ज्ञानी के लिए आवश्यक माना गया है. गुरु गोरखनाथ ऐसे पहले सिद्ध पुरुष हुए जिन्होंने दुनिया को बताया कि तन और मन की शुद्धता हर प्राणी के लिए आवश्यक है, फिर चाहे वह योगी हो, सन्यासी हो या गृहस्थ जीवन जीने वाला.