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लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव को मुस्लिम वोट तक सीमित रखने की रणनीति है भूपेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाना - पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता

पश्चिम उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट व 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. जिसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं, मगर अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी.

भूपेंद्र सिंह ने राजनाथ सिंह से की मुलाकात
भूपेंद्र सिंह ने राजनाथ सिंह से की मुलाकात
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Published : Aug 26, 2022, 3:33 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 3:41 PM IST

लखनऊ : पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव को केवल मुस्लिम वोट तक सीमित करने के लिए ही भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दांव खेल दिया है. भले ही पूरे उत्तर प्रदेश में जाट वोट की तादाद केवल दो फीसदी हो, लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट अनेक सीटों पर जीत हार को तय करते हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर ना केवल समाजवादी पार्टी बल्कि राष्ट्रीय लोकदल के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. भूपेंद्र चौधरी अब पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक बड़ा चेहरा हैं जो कि जाट वोटों के बीच में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक सकारात्मक संदेश लेकर जाएंगे.

पश्चिम उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट व 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. जिसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं, मगर अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी. अध्यक्ष खुद लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के लिए जाट वोटों का ध्रुवीकरण जरूर कर लेगा.

इन जिलों के लिए महत्वपूर्ण है जाट वोट : बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा में जाट बहुत अहम हैं.



पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 2014 से लोकदल, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन डिगा नहीं पाया है. लगातार पश्चिम उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा में अच्छी कामयाबी हासिल की है. यह बात दीगर है कि 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कम सीटें जितने को मिली हैं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा, सपा के गठबंधन को देखते हुए भाजपा की सीटें कम हुई थीं.


चौधरी भूपेंद्र सिंह मुरादाबाद की कांठ तहसील के गांव महेंद्री सिकंदरपुर के रहने वाले हैं. तीन जून 1967 को जन्मे भूपेंद्र चौधरी किसान के बेटे हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से हुई. 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने आरएन इंटर काॅलेज से की. इसके बाद बीए प्रथम वर्ष हिंदू काॅलेज मुरादाबाद से किया. राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1989-90 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और कई बार जेल भी गए. 1993 में भाजपा जिला कार्य समिति में सदस्य बनाए गए.

1994 में जिला कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष बने और फिर 1995 में जिला महामंत्री बनाए गए. 1996 से 2000 तक भाजपा जिलाध्यक्ष का कार्यभार संभाला. 1999 में लोकसभा चुनाव में संभल से भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के मुकाबले अपना प्रत्याशी बनाया. एक लाख 57 हजार वोट प्राप्त कर वह दूसरे नंबर पर रहे. वर्ष 2000 में क्षेत्रीय विभाग संयोजक बनाए गए. 2007 में क्षेत्रीय मंत्री भाजपा बनाए जाने के बाद 2010 तक जिम्मेदारी निभाई. इस दौरान 2009 में उन्हें मुरादाबाद पश्चिम से उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी बनाया. इसमें भी वह दूसरे नंबर पर रहे. 2010 में पार्टी ने संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया. इसके साथ ही 2016 में उन्हें विधान परिषद भेजा गया, छह जुलाई को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2017 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया.

यह भी पढ़ें : डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के खिलाफ BJP का प्रदर्शन, नेताओं ने फूंका पुतला, छोड़ी गई पानी की बौछारें

2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर पंचायती राज मंत्री बनाए गए. 2019 में पदोन्नति पाकर इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री बने. 2022 में फिर से सरकार बनने पर उन्हें पंचायती राज मंत्रालय की दोबारा जिम्मेदारी सौंपी गई. अब 13 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव में उन्हें भी प्रत्याशी बनाया गया है.

यह भी पढ़ें : जेल से रंगदारी के खेल में हुआ था डबल मर्डर, जेल से गिरफ्तार कर अंकेश को लाई पुलिस

लखनऊ : पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव को केवल मुस्लिम वोट तक सीमित करने के लिए ही भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दांव खेल दिया है. भले ही पूरे उत्तर प्रदेश में जाट वोट की तादाद केवल दो फीसदी हो, लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट अनेक सीटों पर जीत हार को तय करते हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर ना केवल समाजवादी पार्टी बल्कि राष्ट्रीय लोकदल के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. भूपेंद्र चौधरी अब पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक बड़ा चेहरा हैं जो कि जाट वोटों के बीच में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक सकारात्मक संदेश लेकर जाएंगे.

पश्चिम उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट व 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. जिसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं, मगर अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी. अध्यक्ष खुद लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के लिए जाट वोटों का ध्रुवीकरण जरूर कर लेगा.

इन जिलों के लिए महत्वपूर्ण है जाट वोट : बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा में जाट बहुत अहम हैं.



पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 2014 से लोकदल, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन डिगा नहीं पाया है. लगातार पश्चिम उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा में अच्छी कामयाबी हासिल की है. यह बात दीगर है कि 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कम सीटें जितने को मिली हैं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा, सपा के गठबंधन को देखते हुए भाजपा की सीटें कम हुई थीं.


चौधरी भूपेंद्र सिंह मुरादाबाद की कांठ तहसील के गांव महेंद्री सिकंदरपुर के रहने वाले हैं. तीन जून 1967 को जन्मे भूपेंद्र चौधरी किसान के बेटे हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से हुई. 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने आरएन इंटर काॅलेज से की. इसके बाद बीए प्रथम वर्ष हिंदू काॅलेज मुरादाबाद से किया. राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1989-90 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और कई बार जेल भी गए. 1993 में भाजपा जिला कार्य समिति में सदस्य बनाए गए.

1994 में जिला कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष बने और फिर 1995 में जिला महामंत्री बनाए गए. 1996 से 2000 तक भाजपा जिलाध्यक्ष का कार्यभार संभाला. 1999 में लोकसभा चुनाव में संभल से भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के मुकाबले अपना प्रत्याशी बनाया. एक लाख 57 हजार वोट प्राप्त कर वह दूसरे नंबर पर रहे. वर्ष 2000 में क्षेत्रीय विभाग संयोजक बनाए गए. 2007 में क्षेत्रीय मंत्री भाजपा बनाए जाने के बाद 2010 तक जिम्मेदारी निभाई. इस दौरान 2009 में उन्हें मुरादाबाद पश्चिम से उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी बनाया. इसमें भी वह दूसरे नंबर पर रहे. 2010 में पार्टी ने संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया. इसके साथ ही 2016 में उन्हें विधान परिषद भेजा गया, छह जुलाई को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2017 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया.

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2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर पंचायती राज मंत्री बनाए गए. 2019 में पदोन्नति पाकर इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री बने. 2022 में फिर से सरकार बनने पर उन्हें पंचायती राज मंत्रालय की दोबारा जिम्मेदारी सौंपी गई. अब 13 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव में उन्हें भी प्रत्याशी बनाया गया है.

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Last Updated : Aug 26, 2022, 3:41 PM IST
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