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संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने बैठक में दिए यह दिशा-निर्देश - Yogi Adityanath

संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों की बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों बच्चों की मौतें होती थीं. 2017 में हमने अंतर्विभागीय समिति बनाई, सभी विभागों ने मिलकर काम किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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Published : Jun 23, 2022, 4:11 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में हर वर्ष अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विशेष अभियान संचालित किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए आगामी एक जुलाई से इसका नया चरण शुरू किया जा रहा है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों की बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता भी महत्वपूर्ण है. अभियान में डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ आदि जैसी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए. हमारे सामने इंसेफेलाइटिस नियंत्रण और कोविड प्रबंधन के दो सफल मॉडल हैं, जो संचारी रोग अभियान में हमारे लिए उपयोगी होंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्षों के अनुभव बताते हैं कि लखनऊ, फिरोजाबाद, मथुरा, आगरा, बरेली, पीलीभीत और कानपुर नगर जिले डेंगू से प्रभावित रहे हैं, जबकि बरेली, सोनभद्र, बदायूं और मिर्जापुर में मलेरिया का असर रहा है. सिद्धार्थनगर, भदोही, मिर्जापुर, गौतमबुद्ध नगर में दस्त, हैजा आदि जल जनित रोग और बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, फतेहपुर और लखनऊ में चिकेनपॉक्स के मरीज मिलते रहे हैं. इसी प्रकार फिरोजाबाद, मथुरा, ललितपुर, झांसी और गोरखपुर मंडल के जिलों में स्क्रब टाइफस तथा लेप्टोस्पायरोसिस का प्रभाव देखा गया है. उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों बच्चों की मौतें होती थीं. 2017 में हमने अंतर्विभागीय समिति बनाई, सभी विभागों ने मिलकर काम किया. अस्पताल व पीकू बनवाए, चिकित्सक तैनात किए. साथ ही साथ पीने के साफ पानी और शौचालय की व्यवस्था भी कराई. नतीजा आज इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95% की कमी आ गई है. चार दशक तक कहर बनी रही बीमारी पर हमने पांच वर्ष में नियंत्रण पा लिया है. नियंत्रण के बाद अब हमारा अगला लक्ष्य उन्मूलन है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्ती-गोरखपुर मंडल के 38 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रभाव रहा है. इनमें से 18 जिले हाई रिस्क वाले हैं. यद्यपि बीते पांच वर्ष में जेई से असमय मृत्यु पर 95 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है, किंतु हमें सतत-सतर्क सावधान रहना होगा. आज यहां ब्लॉक स्तर पर इंसेफेलाइटिस केयर सेंटर हैं. ट्रेंड चिकित्साकर्मी हैं. उन्होंने कहा कि पीडियाट्रिक आईसीयू के सफल संचालन के लिए जिलों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, स्टाफ नर्सेज व जेई प्रयोगशालाओं में टेक्नीशियन की संख्या पर्याप्त हो और सभी प्रशिक्षित हों.


उन्होंने कहा कि संचारी रोग अभियान की सफलता के लिए अंतर्विभागीय समन्वय महत्वपूर्ण आधार है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन, ग्राम्य विकास, नगर विकास, महिला बाल विकास, कृषि, बेसिक माध्यमिक शिक्षा द्वारा अंतर्विभागीय समन्वय के साथ स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा का ठोस प्रयास किया जाए. अभियान के दौरान मंत्रीगण जिलों में उपस्थित रहेंगे. आमजन के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग करेंगे. नोडल अधिकारियों की सहभागिता भी होगी. सीएम ने कहा कि हाल के परिणाम बताते हैं कि प्रदेश में मलेरिया और कालाजार रोग समाप्ति की ओर है. प्रति 1,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम लोगों में मलेरिया की समस्या देखी गई, जबकि कालाजार रोग 22 चिन्हित ब्लॉक में हर 10,000 की आबादी में एक से कम लोगों में ही देखा गया है. यह बड़ी उपलब्धि है. टीम यूपी को बधाई. बहुत जल्द हमारा प्रदेश कालाजार मुक्त हो जाएगा और मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण भी हो जाएगा.
ये भी पढ़ें : झटपट पोर्टल पर दो दिन नहीं हो सकेंगे नए बिजली कनेक्शन के आवेदन

मुख्यमंत्री दिये दिशा निर्देश : सूकर बाड़ों को यथासंभव आबादी से दूर व्यवस्थापित किया जाए. यहां कीटनाशक का छिड़काव किया जाये. वहीं उन्होंने निर्देश दिया कि आशा, संगिनी, आंगनबाड़ी के साथ-साथ ग्राम प्रधानों को भी प्रशिक्षण दिया जाए. रोगियों तथा लक्षणयुक्त व्यक्तियों की त्वरित जांच तथा आइसोलेशन की समुचित व्यवस्था की जाए. इसके साथ रोगियों के आवागमन के लिए एम्बुलेंस की पर्याप्त उपलब्धता रहे. सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया जाए. कम्युनिटी हेल्थ सर्विसेज को त्वरित आउटब्रेक रिस्पॉन्स के लिए प्रशिक्षण दिया जाए. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के बीच वाले तालाबों को अपशिष्ट तथा प्रदूषण मुक्त रखने के नियोजित प्रयास किए जाएं.

लखनऊ : प्रदेश में हर वर्ष अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विशेष अभियान संचालित किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए आगामी एक जुलाई से इसका नया चरण शुरू किया जा रहा है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों की बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता भी महत्वपूर्ण है. अभियान में डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ आदि जैसी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए. हमारे सामने इंसेफेलाइटिस नियंत्रण और कोविड प्रबंधन के दो सफल मॉडल हैं, जो संचारी रोग अभियान में हमारे लिए उपयोगी होंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्षों के अनुभव बताते हैं कि लखनऊ, फिरोजाबाद, मथुरा, आगरा, बरेली, पीलीभीत और कानपुर नगर जिले डेंगू से प्रभावित रहे हैं, जबकि बरेली, सोनभद्र, बदायूं और मिर्जापुर में मलेरिया का असर रहा है. सिद्धार्थनगर, भदोही, मिर्जापुर, गौतमबुद्ध नगर में दस्त, हैजा आदि जल जनित रोग और बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, फतेहपुर और लखनऊ में चिकेनपॉक्स के मरीज मिलते रहे हैं. इसी प्रकार फिरोजाबाद, मथुरा, ललितपुर, झांसी और गोरखपुर मंडल के जिलों में स्क्रब टाइफस तथा लेप्टोस्पायरोसिस का प्रभाव देखा गया है. उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों बच्चों की मौतें होती थीं. 2017 में हमने अंतर्विभागीय समिति बनाई, सभी विभागों ने मिलकर काम किया. अस्पताल व पीकू बनवाए, चिकित्सक तैनात किए. साथ ही साथ पीने के साफ पानी और शौचालय की व्यवस्था भी कराई. नतीजा आज इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95% की कमी आ गई है. चार दशक तक कहर बनी रही बीमारी पर हमने पांच वर्ष में नियंत्रण पा लिया है. नियंत्रण के बाद अब हमारा अगला लक्ष्य उन्मूलन है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्ती-गोरखपुर मंडल के 38 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रभाव रहा है. इनमें से 18 जिले हाई रिस्क वाले हैं. यद्यपि बीते पांच वर्ष में जेई से असमय मृत्यु पर 95 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है, किंतु हमें सतत-सतर्क सावधान रहना होगा. आज यहां ब्लॉक स्तर पर इंसेफेलाइटिस केयर सेंटर हैं. ट्रेंड चिकित्साकर्मी हैं. उन्होंने कहा कि पीडियाट्रिक आईसीयू के सफल संचालन के लिए जिलों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, स्टाफ नर्सेज व जेई प्रयोगशालाओं में टेक्नीशियन की संख्या पर्याप्त हो और सभी प्रशिक्षित हों.


उन्होंने कहा कि संचारी रोग अभियान की सफलता के लिए अंतर्विभागीय समन्वय महत्वपूर्ण आधार है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन, ग्राम्य विकास, नगर विकास, महिला बाल विकास, कृषि, बेसिक माध्यमिक शिक्षा द्वारा अंतर्विभागीय समन्वय के साथ स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा का ठोस प्रयास किया जाए. अभियान के दौरान मंत्रीगण जिलों में उपस्थित रहेंगे. आमजन के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग करेंगे. नोडल अधिकारियों की सहभागिता भी होगी. सीएम ने कहा कि हाल के परिणाम बताते हैं कि प्रदेश में मलेरिया और कालाजार रोग समाप्ति की ओर है. प्रति 1,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम लोगों में मलेरिया की समस्या देखी गई, जबकि कालाजार रोग 22 चिन्हित ब्लॉक में हर 10,000 की आबादी में एक से कम लोगों में ही देखा गया है. यह बड़ी उपलब्धि है. टीम यूपी को बधाई. बहुत जल्द हमारा प्रदेश कालाजार मुक्त हो जाएगा और मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण भी हो जाएगा.
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मुख्यमंत्री दिये दिशा निर्देश : सूकर बाड़ों को यथासंभव आबादी से दूर व्यवस्थापित किया जाए. यहां कीटनाशक का छिड़काव किया जाये. वहीं उन्होंने निर्देश दिया कि आशा, संगिनी, आंगनबाड़ी के साथ-साथ ग्राम प्रधानों को भी प्रशिक्षण दिया जाए. रोगियों तथा लक्षणयुक्त व्यक्तियों की त्वरित जांच तथा आइसोलेशन की समुचित व्यवस्था की जाए. इसके साथ रोगियों के आवागमन के लिए एम्बुलेंस की पर्याप्त उपलब्धता रहे. सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया जाए. कम्युनिटी हेल्थ सर्विसेज को त्वरित आउटब्रेक रिस्पॉन्स के लिए प्रशिक्षण दिया जाए. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के बीच वाले तालाबों को अपशिष्ट तथा प्रदूषण मुक्त रखने के नियोजित प्रयास किए जाएं.

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