लखनऊ : सरकारी लेटर पैड व मोहर का गलत इस्तेमाल कर वैमनस्यता फैलाने और अपमानित करने के आरोपों के मामले में अभियुक्त पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक आजम खान (former cabinet minister and MLA Azam Khan) पर एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को आरोप तय कर दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने गवाही के लिए 4 नवम्बर की तिथि नियत की है.
अभियुक्त आजम खान की ओर से प्रस्तुत उन्मोचन (डिस्चार्ज) प्रार्थना पत्र को विशेष अदालत ने 29 सितम्बर को खारिज कर दिया था. बुधवार को आज़म खान व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहे. अदालत ने उन पर आरोप तय करते हुए, आरोपों को पढ़कर सुनाया. जिस पर आज़म खान ने आरोपों से इनकार कर मामले का विचारण किए जाने की मांग की. अभियोजन की ओर से कहा गया कि अभियुक्त द्वारा आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग व्यक्ति विशेष, पद विशेष तथा संस्था विशेष के प्रति घृणा व उन्माद फैलाने के उद्देश्य से किया गया है. यह भी कहा गया कि अभियुक्त द्वारा वर्गों के बीच शत्रुता फैलाना, घृणा फैलाना, दुर्भावना पैदा करने व इनको बढ़ावा देने वाले बयान दिए गए जो समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुए हैं. अभियुक्त ने अपने कृत्यों से व्यक्ति, संस्था, जनमानस, वर्ग, समुदायों व संप्रदायों के बीच आपसी सद्भावना को प्रभावित करने का प्रयास किया है. पत्रावली के अनुसार, आजम खान के खिलाफ इस मामले की रिपोर्ट हजरतगंज थाने में 1 फरवरी 2019 को वादी अल्लामा जमीर नकवी ने दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया है कि घटना वर्ष 2014 से सम्बंधित है. आरोप है कि आजम खान ने सरकारी लेटर हेड व सरकारी मोहर का दुरुपयोग करके भाजपा, आरएसएस व मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी को बदनाम कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल करके प्रतिष्ठा को घोर आघात पहुंचाया है.
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