लखनऊ: 2022 विधानसभा चुनाव में हारने की संभावना वाली सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी सियासी बाजीगरी करना चाह रही है. भाजपा को इस चुनाव में आशंका है कि लगभग 80 सीटें ऐसी हैं, जहां उनके विजय विधायकों का परफॉर्मेंस इतना खराब है कि वो सीट हार सकते हैं. इसलिए भाजपा 2017 में उन हारी हुई सीटों पर अधिक फोकस कर रही है, जहां लहर के बावजूद उसके प्रत्याशी हार गए थे.
भाजपा वहां के मौजूदा विधायकों की एंटी इनकंबेंसी का फायदा उठाना चाहती है. इसको लेकर भाजपा जोरदार तैयारियां कर रही है. भाजपा को लग रहा है कि उसको जो नुकसान अपने वर्तमान विधायकों से नाराजगी कारण हो सकता है, उसकी भरपाई वह हारी हुई सीटों को जीतकर कर सकती है.
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इन सीटों पर जीत भाजपा को इसलिए भी आसान लग रही है क्योंकि यहां के विधायकों से कमोवेश जनता नाराज है. इसका लाभ भाजपा को साफ नजर आ रहा है. लहर के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी इन सीटों पर क्यों नहीं जीत पाए थे. उन आंकड़ों की पड़ताल महामंत्री संगठन सुनील बंसल के स्तर पर की जा रही है. माना जा रहा है कि यह तथ्य जातिपरक भी हो सकते हैं. कहीं-कहीं हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण और स्थानीय प्रत्याशी के प्रति लोगों की नाराजगी का विषय भी एक बड़ा पहलू हो सकता है. इस पर भाजपा विचार करके यहां से जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश कर रही है.
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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह ने कहा कि भाजपा हारी हुई सीटों पर इसलिए भी ज्यादा जोर दे रही है, क्योंकि यह एक तरह का डैमेज कंट्रोल है. भाजपा को आशंका है कि उसके 70 से 80 विधायक हारने की हालत में हैं. इस स्थिति में अगर भाजपा अपनी हारी हुई 80 से अधिक सीटों पर जोर दे तो वह उनको जीत सकती है.