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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह का नाम बदलकर क्या हासिल करना चाहती है BJP - भूपेंद्र सिंह चौधरी नाम को हटाया

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने अपने नाम के आगे से चौधरी शब्द को हटा दिया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें चौधरी शब्द का उपयोग कम करने की सलाह दी है.

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह
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Published : Sep 12, 2022, 1:14 PM IST

Updated : Sep 12, 2022, 1:23 PM IST

लखनऊ: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह पहले नाम के आगे चौधरी लगाते रहे हैं. लेकिन, अब वह चौधरी का उपयोग नहीं कर रहे हैं. भाजपा की ओर से मीडिया में उनका नाम केवल भूपेंद्र सिंह के नाम से जारी हो रहा है. जबकि, ट्विटर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी नाम कायम है. दूसरी ओर हाल ही में बनाए गए फेसबुक पर वेरिफाइड अकाउंट में उनका नाम भूपेंद्र सिंह के ही नाम से दर्ज है. लगातार वे नाम से पहले चौधरी शब्द का इस्तेमाल कम करते जा रहे हैं. इसके जरिए वे पश्चिम से लेकर पूर्व तक सर्वमान्य नेता बनने की कवायद में लगे हुए हैं.

उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. इसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं. लेकिन, अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी. अध्यक्ष खुद लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा. लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के लिए जाट वोटों का ध्रुवीकरण जरूर होगा. बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा में जाट बहुत अहम हैं.

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भूपेंद्र सिंह का फेसबुक वेरिफाइड अकाउंट

दूसरी ओर एक अन्य सोच यह भी है कि किस तरह से भूपेंद्र सिंह के केवल जाटों का नेता होने का तमगा उनके ऊपर से हटाया जाए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सलाह दी है कि अब वे कम से कम चौधरी शब्द का उपयोग करें. ताकि, उनकी पहचान केवल जाट नेता की ही न रह जाए.

इसे भी पढ़े-आगरा रेलवे ट्रैक पर मिला जेई का शव, लोगों ने जताई आत्महत्या की आशंका

लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह को पूरे प्रदेश का दौरा करना होगा. उन्हें प्रचार के दौरान पूर्वांचल से लेकर अवध, बुंदेलखंड, रुहेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी प्रचार करना होगा. ऐसे में उनके जाट नेता होने की छवि पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध जैसे इलाकों में भाजपा के लिए नकारात्मक हो सकती है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने उनके नाम में अब चौधरी के उपयोग को कम करवा दिया है.

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर भूपेंद्र सिंह की छवि को केवल जाट नेता से बाहर निकालकर उन्हें पूरे प्रदेश का सर्वमान्य नेता बनाना है. इसलिए पार्टी कुछ नए तरह के प्रयास कर रही है.

यह भी पढ़े-अलीगढ़ में टेंपो पर लटककर स्कूल जाते छात्र, देखें वीडियो

लखनऊ: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह पहले नाम के आगे चौधरी लगाते रहे हैं. लेकिन, अब वह चौधरी का उपयोग नहीं कर रहे हैं. भाजपा की ओर से मीडिया में उनका नाम केवल भूपेंद्र सिंह के नाम से जारी हो रहा है. जबकि, ट्विटर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी नाम कायम है. दूसरी ओर हाल ही में बनाए गए फेसबुक पर वेरिफाइड अकाउंट में उनका नाम भूपेंद्र सिंह के ही नाम से दर्ज है. लगातार वे नाम से पहले चौधरी शब्द का इस्तेमाल कम करते जा रहे हैं. इसके जरिए वे पश्चिम से लेकर पूर्व तक सर्वमान्य नेता बनने की कवायद में लगे हुए हैं.

उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. इसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं. लेकिन, अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी. अध्यक्ष खुद लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा. लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के लिए जाट वोटों का ध्रुवीकरण जरूर होगा. बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा में जाट बहुत अहम हैं.

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भूपेंद्र सिंह का फेसबुक वेरिफाइड अकाउंट

दूसरी ओर एक अन्य सोच यह भी है कि किस तरह से भूपेंद्र सिंह के केवल जाटों का नेता होने का तमगा उनके ऊपर से हटाया जाए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सलाह दी है कि अब वे कम से कम चौधरी शब्द का उपयोग करें. ताकि, उनकी पहचान केवल जाट नेता की ही न रह जाए.

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लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह को पूरे प्रदेश का दौरा करना होगा. उन्हें प्रचार के दौरान पूर्वांचल से लेकर अवध, बुंदेलखंड, रुहेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी प्रचार करना होगा. ऐसे में उनके जाट नेता होने की छवि पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध जैसे इलाकों में भाजपा के लिए नकारात्मक हो सकती है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने उनके नाम में अब चौधरी के उपयोग को कम करवा दिया है.

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर भूपेंद्र सिंह की छवि को केवल जाट नेता से बाहर निकालकर उन्हें पूरे प्रदेश का सर्वमान्य नेता बनाना है. इसलिए पार्टी कुछ नए तरह के प्रयास कर रही है.

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Last Updated : Sep 12, 2022, 1:23 PM IST
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