लखनऊ: महिला पर दबाव डालकर शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के खिलाफ बयान देने और महिला को जानमाल की धमकी देने के आरोपी जफरुल उर्फ सैयद वसीम रजा की अग्रिम जमानत अर्जी प्रभारी सत्र न्यायाधीश मीना श्रीवास्तव ने खारिज कर दी है. इस मामले में वसीम रिजवी पर भी आरोप है कि उन्होंने प्रलोभन मौलाना कल्बे जव्वाद पर यौन शोषण का मिथ्या आरोप लगवाया था.
अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट स्वयं पीड़िता द्वारा सहादतगंज थाने में विगत 4 फरवरी को वसीम रिजवी, नौशाद अली, ट्विंकल, अजहर नवाब, इब्ने हसन, सानू लंगड़ा ,जफरुल और अकबर के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी, जिसमें उसने आरोप लगाया गया है कि पीड़िता का पिता उस पर हमेशा बुरी नजर रखता था तथा न केवल उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की, बल्कि वह उसे देह व्यापार के धंधे में भी ढकेलना चाहता था.
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बहस के दौरान कहा गया कि पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसके पिता ने वसीम रिजवी के प्रलोभन में आकर और उनके कहने पर उसे बदनाम करने के लिए मौलाना कल्बे जव्वाद पर यौन शोषण का मिथ्या आरोप लगाया था जो कि सरासर गलत है. यह भी आरोप है कि आरोपी दबाव डालते थे कि वह मौलाना कल्बे जवाद के खिलाफ गवाही दे. कहा गया है कि घटना की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गई थी लेकिन आरोपी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तथा सोशल मीडिया पर उसका अश्लील फोटो बनाकर वायरल करते रहे, जिसमें उसे बदनाम किया जाता रहा.
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