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ब्यूरोक्रेसी में बदलाव, अवनीश अवस्थी के बाद नवनीत सहगल नहीं संजय प्रसाद बने 'सबसे खास'

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Published : Sep 1, 2022, 5:47 PM IST

उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy of Uttar Pradesh) में गुरुवार को अब तक का जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ, उसके पीछे अनेक बड़े निहितार्थ हैं. ब्यूरोक्रेसी में हुए इस बदलाव का सबसे बड़ा संकेत यह है कि अवनीश अवस्थी के बाद अगर कोई सरकार का सबसे नजदीकी है तो वह संजय प्रसाद ही हैं.

ब्यूरोक्रेसी में बदलाव
ब्यूरोक्रेसी में बदलाव

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy of Uttar Pradesh) में गुरुवार को अब तक का जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ, उसके पीछे अनेक बड़े निहितार्थ हैं. ब्यूरोक्रेसी में हुए इस बदलाव का सबसे बड़ा संकेत यह है कि अवनीश अवस्थी के बाद अगर कोई सरकार का सबसे नजदीकी है तो वह संजय प्रसाद ही हैं. सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल को अपेक्षाकृत कम महत्व वाले विभाग में भेजकर सरकार की ओर से जो संदेश दिया गया है, उसके कई मतलब सत्ता के गलियारों में निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि नवनीत सहगल की कम हुई ताकत के पीछे कहीं ना कहीं अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार न मिलना भी एक वजह है. अवनीश अवस्थी के अब मुख्य भूमिका में न रहने के बाद नवनीत सहगल को कमजोर करके सरकार ने पावर सेक्टर को बैलेंस किया है. इसके ठीक विपरीत संजय प्रसाद को अपार शक्ति का स्वामी बनाकर सरकार ने ब्यूरोक्रेसी का एक ही पावर सेंटर बना दिया. दूसरी ओर अनेक ऐसे विभाग जहां मंत्री अपने अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव से प्रसन्न नहीं थे या फिर अधिकारियों को मंत्रियों से शिकायत थी, वहां भी बदलाव करके सरकार ने ब्यूरोक्रेसी और मंत्रियों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है.


योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की 2022 में बनी योगी 2 सरकार में अब तक आईएएस अधिकारियों के सबसे महत्वपूर्ण ट्रांसफर गुरुवार को किए गए हैं, जिसमें 16 आईएएस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया. यह ट्रांसफर उस दिन हुए जब अपर मुख्य सचिव रहे अवनीश कुमार अवस्थी को केंद्र सरकार से सेवा विस्तार का आदेश नहीं मिल सका. उसके बाद में मुख्यमंत्री के सचिव रहे प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को अवनीश कुमार अवस्थी से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग दे दिए गए, लेकिन अब तक सरकार के खासमखास रहे नवनीत सहगल को उनके तमाम विभाग वापस लेते हुए अपेक्षाकृत कमजोर खेल एवं युवा कल्याण विभाग में अपर मुख्य सचिव बना दिया गया. इसके अलावा उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने तीन महीने पहले चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की शिकायत की थी, उनको भी दूसरे विभाग दे दिए गए हैं.

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ब्यूरोक्रेसी से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार में यह बदलाव अफसरों के लिए बड़ा संदेश है. नवनीत सहगल को कमजोर विभाग देकर यह स्पष्ट संकेत दे दिया गया है कि अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार न मिलने के बाद मुख्यमंत्री के नजदीक उनकी जगह केवल संजय प्रसाद ही ले सकते हैं. नवनीत सहगल को खेलकूद विभाग में प्रमुख सचिव बनाकर उनके सामने नई चुनौतियां रख दी गई हैं, जिसमें सबसे बड़ी प्राथमिकता मेरठ में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना होगी. अमित मोहन प्रसाद को लेकर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की नाराजगी पर प्रतिक्रिया के तौर पर उनका विभाग बदल दिया गया, लेकिन संतुलन रखते हुए उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनको सूक्ष्म लघु उद्योग विभाग जैसा महत्वपूर्ण काम दिया गया है. इसी तरह से कुछ अन्य प्रमुख सचिवों को लेकर मंत्रियों को शिकायत थी, जबकि कई आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मंत्रियों की शिकायत की थी. उन सब की अदला बदली करके सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की गई है.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले योगी सरकार का मास्टर स्ट्रोक, नौकरियों में ओबीसी कोटा पूरा करने की बड़ी तैयारी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy of Uttar Pradesh) में गुरुवार को अब तक का जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ, उसके पीछे अनेक बड़े निहितार्थ हैं. ब्यूरोक्रेसी में हुए इस बदलाव का सबसे बड़ा संकेत यह है कि अवनीश अवस्थी के बाद अगर कोई सरकार का सबसे नजदीकी है तो वह संजय प्रसाद ही हैं. सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल को अपेक्षाकृत कम महत्व वाले विभाग में भेजकर सरकार की ओर से जो संदेश दिया गया है, उसके कई मतलब सत्ता के गलियारों में निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि नवनीत सहगल की कम हुई ताकत के पीछे कहीं ना कहीं अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार न मिलना भी एक वजह है. अवनीश अवस्थी के अब मुख्य भूमिका में न रहने के बाद नवनीत सहगल को कमजोर करके सरकार ने पावर सेक्टर को बैलेंस किया है. इसके ठीक विपरीत संजय प्रसाद को अपार शक्ति का स्वामी बनाकर सरकार ने ब्यूरोक्रेसी का एक ही पावर सेंटर बना दिया. दूसरी ओर अनेक ऐसे विभाग जहां मंत्री अपने अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव से प्रसन्न नहीं थे या फिर अधिकारियों को मंत्रियों से शिकायत थी, वहां भी बदलाव करके सरकार ने ब्यूरोक्रेसी और मंत्रियों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है.


योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की 2022 में बनी योगी 2 सरकार में अब तक आईएएस अधिकारियों के सबसे महत्वपूर्ण ट्रांसफर गुरुवार को किए गए हैं, जिसमें 16 आईएएस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया. यह ट्रांसफर उस दिन हुए जब अपर मुख्य सचिव रहे अवनीश कुमार अवस्थी को केंद्र सरकार से सेवा विस्तार का आदेश नहीं मिल सका. उसके बाद में मुख्यमंत्री के सचिव रहे प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को अवनीश कुमार अवस्थी से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग दे दिए गए, लेकिन अब तक सरकार के खासमखास रहे नवनीत सहगल को उनके तमाम विभाग वापस लेते हुए अपेक्षाकृत कमजोर खेल एवं युवा कल्याण विभाग में अपर मुख्य सचिव बना दिया गया. इसके अलावा उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने तीन महीने पहले चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की शिकायत की थी, उनको भी दूसरे विभाग दे दिए गए हैं.

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ब्यूरोक्रेसी से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार में यह बदलाव अफसरों के लिए बड़ा संदेश है. नवनीत सहगल को कमजोर विभाग देकर यह स्पष्ट संकेत दे दिया गया है कि अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार न मिलने के बाद मुख्यमंत्री के नजदीक उनकी जगह केवल संजय प्रसाद ही ले सकते हैं. नवनीत सहगल को खेलकूद विभाग में प्रमुख सचिव बनाकर उनके सामने नई चुनौतियां रख दी गई हैं, जिसमें सबसे बड़ी प्राथमिकता मेरठ में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना होगी. अमित मोहन प्रसाद को लेकर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की नाराजगी पर प्रतिक्रिया के तौर पर उनका विभाग बदल दिया गया, लेकिन संतुलन रखते हुए उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनको सूक्ष्म लघु उद्योग विभाग जैसा महत्वपूर्ण काम दिया गया है. इसी तरह से कुछ अन्य प्रमुख सचिवों को लेकर मंत्रियों को शिकायत थी, जबकि कई आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मंत्रियों की शिकायत की थी. उन सब की अदला बदली करके सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की गई है.

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