लखनऊ: राजधानी के सुशांत गोल्फ सिटी इलाके से यूपी एसटीएफ की लखनऊ टीम ने अस्पतालों व ब्लड बैंकों में मिलावट खून सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. एसटीएफ की टीम ने यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज सैफई में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. अभय प्रताप सिंह और उसके साथी अभिषेक पाठक को 100 यूनिट ब्लड के साथ गिरफ्तार किया.
पकड़े गए दोनों आरोपी लखनऊ, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों में मिलावटी खून की सप्लाई करते थे. यह आरोपी मिलावटी खून को लखनऊ समेत उसके आस-पास जिलों के अस्पताल व ब्लड बैंकों में सांठगांठ कर बेचते थे. ये मिलावटी खून की तस्करी करके मोटी कमाई कर रहे थे. इस गिरोह को दोनों सदस्यों को पुलिस ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के टोल प्लाजा के पास बैरिकेडिंग कर पकड़ा गया.
एसटीएफ को डॉ. अभय प्रताप सिंह ने बताया कि वह इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर काम करता है. उसने साल 2000 में केजीएमयू लखनऊ से एमबीबीएस, साल 2007 में पीजीआई लखनऊ से एमडी ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन का कोर्स किया था. इसके बाद वह साल 2010 से ओपी चौधरी ब्लड बैंक में एमओआईसी के पद पर नियुक्त है. साल 2014 में चरक हॉस्पिटल लखनऊ में सलाहकार के पद पर था. साल 2015 में नैति हॉस्पिटल मथुरा में सलाहकार के पद पर कार्य करता था.
आरोपी डॉक्टर ने बताया कि वो लखनऊ, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि स्थानों से डोनेट किए हुए ब्लड को इकट्ठा करके सप्लाई करते थे. डॉक्टर के पास खून की 45 यूनिट मिलीं. वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका. यही नहीं एसटीएफ से आरोपी ने कुछ समय देने पर सभी दस्तावेज दिखाने की बात कही. पुलिस उसके साथ अवध विहार योजना स्थित गंगोत्री अपार्टमेंट गई, जो उसका निजी आवास है.
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आरोपी डॉक्टर अभय प्रताप सिंह ने एसटीएफ को कई तरह के दस्तावेज दिखाए. हालांकि औषधि निरीक्षकों ने जब कागजों की छानबीन की तो वह फर्जी पाए गए. एसटीएफ ने आरोपी के घर की तलाशी ली तो पीछे के कमरे में अभिषेक पाठक नाम का युवक मिला और फ्रिज में रखे 55 यूनिट ब्लड भी बरामद हुए. आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह जाली कागजों के जरिए अवध हॉस्पिटल, वर्मा हॉस्पिटल काकोरी, काकोरी हॉस्पिटल, निदान ब्लड बैंक, सुषमा हॉस्पिटल तथा बंथरा और मोहनलालगंज के अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे.
आरोपी हरियाणा के कमल सत्तू, दाताराम, लितुदा, केडी कमाल व डॉ. अजहर राव तथा दिल्ली के निलेश सिंह से थोक में खून प्राप्त करते थे. लखनऊ में आरोपी ने एजेंट बना रखे थे. इनमें बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान व धीरज खून की सप्लाई का काम कर रहे थे.