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सावधान ! इंजीनियरिंग मैनेजमेंट कॉलेज में फर्जी रैंकिंग का खेल, जांच-परख कर लें दाखिला

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Published : Jul 28, 2021, 7:47 PM IST

उत्तर प्रदेश के इंजीनियरिंग मैनेजमेंट कॉलेजों में फर्जी रैंकिंग का खेल चल रहा है. कॉलेज छात्रों को फर्जी रैंकिंग दिखाकर अपने यहां दाखिला करवा रहे हैं. इसका खुलासा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (Dr. APJ Abdul Kalam Technical University) की तरफ से किया गया है.

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय

लखनऊ: आप अगर उत्तर प्रदेश के किसी निजी इंजीनियरिंग मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला लेने जा रहे हैं तो एक बार सावधान हो जाएं. अगर वह कॉलेज किसी तरह की रैंकिंग दिखाकर दावे कर रहा है तो पड़ताल जरूर कर ले. असल में छात्रों को गुमराह करने के लिए कुछ निजी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों की तरफ से फर्जी रैंकिंग का सहारा लिया जा रहा है. वह इस रैंकिंग को दिखाकर दाखिले ले रहे हैं. इसका खुलासा खुद डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बुधवार को सभी कॉलेजों को चेतावनी जारी की गई है. साफ किया गया है कि वह अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने की कोशिश ना करें.


जानिए पूरा मामला

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर अनुराग त्रिपाठी की ओर से बुधवार को एक पत्र जारी किया गया है. इसमें साफ लिखा है कि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए कुछ निजी संस्थान रैंकिंग का खेल कर रहे हैं. पत्र के मुताबिक, कतिपय संस्थानों द्वारा सत्र 2021-22 में छात्रों का प्रवेश लेने के लिए अपने संस्थान की रैंकिंग अपने स्तर से बढ़ाते हुए शीर्ष के संस्थानों में दिखाई जा रही है. इसका भ्रामक प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे छात्रों एवं अभिभावकों के गुमराह होने की आशंका है. इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान सत्र में विश्वविद्यालय से संबंध किसी भी संस्थान को परीक्षा परिणाम के आधार पर कोई रैंकिंग प्रदान नहीं की गई है. इसलिए, संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि परीक्षा फल के संबंध में अपने स्तर पर कोई दावा न करें. यदि किसी भी संस्थान द्वारा छात्र या अभिभावक को गुमराह या भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है तो संबंधित संस्थान के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.


रैंकिंग की होती है खरीद-फरोख्त

यह पहला मामला नहीं है जब दाखिले के लिए छात्र और अभिभावकों को निजी संस्थानों के द्वारा गुमराह किए जाने की बात सामने आई है. असल में एकेटीयू के कॉलेजों में यह बहुत पुराना खेल है. यहां निजी संस्थाओं से रैंकिंग लेकर कॉलेज अपने अपने स्तर पर दावे करते आए हैं. कई निजी संस्थाएं 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की कीमत लेकर रैंकिंग बेचती हैं.


सीटें तक नहीं भर पाती हैं

उत्तर प्रदेश में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से जुड़े इंजीनियरिंग मैनेजमेंट और दूसरे तकनीकी संस्थानों की संख्या करीब 750 है. इनकी सीटों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. आलम यह है कि बीते 5 सालों से विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से बार-बार सीटों की संख्या घटाई जा रही है, बावजूद इसके विश्व विद्यालय की तरफ से प्रवेश के लिए कराई जाने वाली काउंसलिंग के माध्यम से 50% सीटों पर भी दाखिले नहीं हो पाते हैं. ऐसे में निजी कॉलेजों को अपने स्तर पर सीटें भरने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, जिसके चलते छात्र और अभिभावकों को गुमराह करने के अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.

लखनऊ: आप अगर उत्तर प्रदेश के किसी निजी इंजीनियरिंग मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला लेने जा रहे हैं तो एक बार सावधान हो जाएं. अगर वह कॉलेज किसी तरह की रैंकिंग दिखाकर दावे कर रहा है तो पड़ताल जरूर कर ले. असल में छात्रों को गुमराह करने के लिए कुछ निजी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों की तरफ से फर्जी रैंकिंग का सहारा लिया जा रहा है. वह इस रैंकिंग को दिखाकर दाखिले ले रहे हैं. इसका खुलासा खुद डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बुधवार को सभी कॉलेजों को चेतावनी जारी की गई है. साफ किया गया है कि वह अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने की कोशिश ना करें.


जानिए पूरा मामला

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर अनुराग त्रिपाठी की ओर से बुधवार को एक पत्र जारी किया गया है. इसमें साफ लिखा है कि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए कुछ निजी संस्थान रैंकिंग का खेल कर रहे हैं. पत्र के मुताबिक, कतिपय संस्थानों द्वारा सत्र 2021-22 में छात्रों का प्रवेश लेने के लिए अपने संस्थान की रैंकिंग अपने स्तर से बढ़ाते हुए शीर्ष के संस्थानों में दिखाई जा रही है. इसका भ्रामक प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे छात्रों एवं अभिभावकों के गुमराह होने की आशंका है. इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान सत्र में विश्वविद्यालय से संबंध किसी भी संस्थान को परीक्षा परिणाम के आधार पर कोई रैंकिंग प्रदान नहीं की गई है. इसलिए, संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि परीक्षा फल के संबंध में अपने स्तर पर कोई दावा न करें. यदि किसी भी संस्थान द्वारा छात्र या अभिभावक को गुमराह या भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है तो संबंधित संस्थान के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.


रैंकिंग की होती है खरीद-फरोख्त

यह पहला मामला नहीं है जब दाखिले के लिए छात्र और अभिभावकों को निजी संस्थानों के द्वारा गुमराह किए जाने की बात सामने आई है. असल में एकेटीयू के कॉलेजों में यह बहुत पुराना खेल है. यहां निजी संस्थाओं से रैंकिंग लेकर कॉलेज अपने अपने स्तर पर दावे करते आए हैं. कई निजी संस्थाएं 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की कीमत लेकर रैंकिंग बेचती हैं.


सीटें तक नहीं भर पाती हैं

उत्तर प्रदेश में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से जुड़े इंजीनियरिंग मैनेजमेंट और दूसरे तकनीकी संस्थानों की संख्या करीब 750 है. इनकी सीटों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. आलम यह है कि बीते 5 सालों से विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से बार-बार सीटों की संख्या घटाई जा रही है, बावजूद इसके विश्व विद्यालय की तरफ से प्रवेश के लिए कराई जाने वाली काउंसलिंग के माध्यम से 50% सीटों पर भी दाखिले नहीं हो पाते हैं. ऐसे में निजी कॉलेजों को अपने स्तर पर सीटें भरने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, जिसके चलते छात्र और अभिभावकों को गुमराह करने के अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.

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