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आम की फसल पर फल मक्खी कीट का बढ़ा प्रकोप, ऐसे पाएं छुटकारा

यूपी की राजधानी लखनऊ में बारिश होने के कारण आम की फसल पर फल मक्खी कीट का प्रकोप बढ़ने लगा है. इस कीट से छुटकारा पाने के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को कुछ सलाह दी है. जानिए विशेषज्ञों की राय...

आम की फसल
आम की फसल
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Published : Jun 15, 2021, 5:33 PM IST

लखनऊ: राजधानी के फल पट्टी क्षेत्र माल, मलिहाबाद, रहीमाबाद, इटौंजा आदि क्षेत्रों में इस वर्ष आम की फसल बहुत अच्छी है. आम का आकार भी बड़ा है और आम देखने में काफी सुंदर लग रहे हैं. हल्की बरसात हो जाती है, तो आम की फसल पर फल मक्खी कीट का अधिक प्रकोप हो जाता है, जिससे पकने की अवस्था तक आम सड़ने लगता है और बाजारों में इनकी कीमत घट जाती है.

अन्य शहरों में लखनऊ के आम की मांग बढ़ी
लखनवी आम की दुबई, ओमान व यूरोप जैसे कई देशों में मांग रहती है. यहां तक कि जानकारों ने बताया कि इस वर्ष न्यूजीलैंड और जापान में भी लखनऊ के दशहरी एवं चौसा की मांग की जा रही है. लखनऊ में विश्व प्रसिद्ध दशहरी, जिसकी पूरे विश्व में मांग होती है, वह एक जून से बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होने लगा है.

बेमौसम बारिश से आम पर कीट का प्रकोप बढ़ा
इस वर्ष बेमौसम बरसात से प्रमुख रूप से फल मक्खी की समस्या अधिक रहेगी. इस मक्खी का आकार घरेलू मक्खी की तरह होता है. पंख पारदर्शी झिल्लीदार होते हैं. शरीर पर पीले गहरे भूरे रंग के आकार के चिह्न दिखाई पड़ते हैं. इनकी अपरिपक्व अवस्था को मैगट कहते हैं. यह अपारदर्शी पीले रंग के होते हैं. उनके मुखांग काटने-चबाने वाले होते हैं.

प्रमुख रूप से ये कीट फलों को नुक्सान पहुंचाते हैं. इस कीट की मादा फलों के अंदर अपने अंडरोपक को धंसाकर अंडे दे देती हैं और इन अंडों से निकले हुए मैगट फलों के गुदे को खाते हैं. एक आम में कई छेद बाहर दिखाई पड़ते हैं. फलों में फर्मेंटेशन अंदर ही अंदर प्रारंभ हो जाता है, जिससे फल सड़ने लगते हैं. ऐसे फल अधिकतर पकने से पूर्व ही गिरने लगते हैं. इस कीट के प्रकोप से कभी-कभी 70 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता है, जिसके बाद आम विदेशों में भेजने लायक नहीं बचता.

कीट से कैसे करें बचाव, विशेषज्ञ ने दी जानकारी
चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यदि समय से किसान इस मक्खी को प्रबंधित कर लें तो फसल चौपट होने से बच जाती है. उन्होंने बताया कि पेड़ के आस-पास गिरे हुए फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए. फलों को पूर्णरूपेण पकने से पहले तोड़ लेने से इस कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है. इस मक्खी को प्रबंधित करने के लिए निकोटीन युक्त रसायन थयाक्लोप्रिड 240 एससी की 0.5 एमएल मात्रा को एक लीटर पानी की दर से छिड़काव लाभप्रद होता है.

इन दिनों प्रमुख रूप से फल मक्खी को प्रबंधित करने के लिए बाजार में प्रलोभन युक्त फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग किया जा रहा है. इसमें प्रमुख रूप से मिथाइल यूजीनाल नामक प्रलोभक लगा होता है, जिससे मक्खियां इस ट्रैप की तरफ आकर्षित हो जाती हैं. फिर उस फेरोमोन ट्रैप में जाकर फंस जाती हैं और मर जाती है. यह बहुत ही अच्छा तरीका है.

लखनऊ: राजधानी के फल पट्टी क्षेत्र माल, मलिहाबाद, रहीमाबाद, इटौंजा आदि क्षेत्रों में इस वर्ष आम की फसल बहुत अच्छी है. आम का आकार भी बड़ा है और आम देखने में काफी सुंदर लग रहे हैं. हल्की बरसात हो जाती है, तो आम की फसल पर फल मक्खी कीट का अधिक प्रकोप हो जाता है, जिससे पकने की अवस्था तक आम सड़ने लगता है और बाजारों में इनकी कीमत घट जाती है.

अन्य शहरों में लखनऊ के आम की मांग बढ़ी
लखनवी आम की दुबई, ओमान व यूरोप जैसे कई देशों में मांग रहती है. यहां तक कि जानकारों ने बताया कि इस वर्ष न्यूजीलैंड और जापान में भी लखनऊ के दशहरी एवं चौसा की मांग की जा रही है. लखनऊ में विश्व प्रसिद्ध दशहरी, जिसकी पूरे विश्व में मांग होती है, वह एक जून से बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होने लगा है.

बेमौसम बारिश से आम पर कीट का प्रकोप बढ़ा
इस वर्ष बेमौसम बरसात से प्रमुख रूप से फल मक्खी की समस्या अधिक रहेगी. इस मक्खी का आकार घरेलू मक्खी की तरह होता है. पंख पारदर्शी झिल्लीदार होते हैं. शरीर पर पीले गहरे भूरे रंग के आकार के चिह्न दिखाई पड़ते हैं. इनकी अपरिपक्व अवस्था को मैगट कहते हैं. यह अपारदर्शी पीले रंग के होते हैं. उनके मुखांग काटने-चबाने वाले होते हैं.

प्रमुख रूप से ये कीट फलों को नुक्सान पहुंचाते हैं. इस कीट की मादा फलों के अंदर अपने अंडरोपक को धंसाकर अंडे दे देती हैं और इन अंडों से निकले हुए मैगट फलों के गुदे को खाते हैं. एक आम में कई छेद बाहर दिखाई पड़ते हैं. फलों में फर्मेंटेशन अंदर ही अंदर प्रारंभ हो जाता है, जिससे फल सड़ने लगते हैं. ऐसे फल अधिकतर पकने से पूर्व ही गिरने लगते हैं. इस कीट के प्रकोप से कभी-कभी 70 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता है, जिसके बाद आम विदेशों में भेजने लायक नहीं बचता.

कीट से कैसे करें बचाव, विशेषज्ञ ने दी जानकारी
चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यदि समय से किसान इस मक्खी को प्रबंधित कर लें तो फसल चौपट होने से बच जाती है. उन्होंने बताया कि पेड़ के आस-पास गिरे हुए फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए. फलों को पूर्णरूपेण पकने से पहले तोड़ लेने से इस कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है. इस मक्खी को प्रबंधित करने के लिए निकोटीन युक्त रसायन थयाक्लोप्रिड 240 एससी की 0.5 एमएल मात्रा को एक लीटर पानी की दर से छिड़काव लाभप्रद होता है.

इन दिनों प्रमुख रूप से फल मक्खी को प्रबंधित करने के लिए बाजार में प्रलोभन युक्त फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग किया जा रहा है. इसमें प्रमुख रूप से मिथाइल यूजीनाल नामक प्रलोभक लगा होता है, जिससे मक्खियां इस ट्रैप की तरफ आकर्षित हो जाती हैं. फिर उस फेरोमोन ट्रैप में जाकर फंस जाती हैं और मर जाती है. यह बहुत ही अच्छा तरीका है.

पढ़ें- CCSU में M.Ed, B.P.Ed और LLM में एडमिशन के लिए आज से रजिस्ट्रेशन शुरू

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