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कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने बनाया ठोस एलकोहल, होंगे कई फायदे - solid bio alcohol

कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने ठोस एल्कोहल बनाया है. एनएसआई के निदेशक ने विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर इसकी जानकारी दी. इस शुगर सीरप को कुछ दिनों पहले ही तैयार किया गया था.

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ठोस जैव अल्कोहल
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Published : Aug 31, 2022, 10:22 AM IST

कानपुर: कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञों ने ज्वार के तने से शुगर सीरप को तैयार किया था. अब, विशेषज्ञों ने नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तरल (लिक्विड) औद्योगिक अल्कोहल को ठोस रूप में परिवर्तित करने की एक सस्ती प्रक्रिया विकसित की है. इस तकनीक से खानपान, व्यापार, पर्यटन और क्षेत्र कार्य (सेना के उद्देश्य) में हीटिंग और वार्मिंग उद्देश्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पाद पैराफिन (मोम) के स्थान पर एथेनाल के ठोस रूप का उपयोग किया जा सकेगा. इसकी कीमत महज 50 रुपये प्रति किलोग्राम होगी.

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि हम पेट्रोलियम आधारित उत्पादों के प्रतिस्थापन के रूप में जैव-ईंधन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं. ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में ठोस जैव अल्कोहल को पैक करना और परिवहन करना आसान है. जब यह जलता है तो धुएं और कालिख का कारण नहीं बनता है, न ही वातावरण में किसी तरह की हानिकारक गैस पहुंचती है. यह पैराफिन (मोम) का सही विकल्प है, जो पेट्रोलियम उत्पाद होने के कारण जलने के दौरान कालिख का कारण बनता है और जलने की तेज और चुभने वाली गंध के अलावा जहरीली गैस का उत्सर्जन करता है. यह तकनीक संस्थान के विज्ञानी डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव और शोध छात्रा ममता शुक्ला ने दो वर्ष की मेहनत के बाद विकसित की है.

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने दी जानकारी

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निदेशक ने बताया कि पूर्व में भी कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रकार के उत्पाद बनाने की कोशिश की थी. लेकिन, खराब भंडारण में स्थिरता देखने को मिली है. क्योंकि समय के बाद वह ठोस तरल लीक के साथ नरम और पेस्टी हो जाते हैं. कुछ जलने के दौरान काला धुआं और अजीबो-गरीब गंध पैदा करते थे और पर्यावरण को प्रदूषित करते थे. डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने बताया कि इस उत्पाद को बनाने में क्युरिंग एजेंट का इस्तेमाल ठोसकरण के लिए और इग्निशन डोप का उपयोग जलने की तीव्रता को बढ़ाने के लिए किया गया है. कम मात्रा में क्योरिंग एजेंट (वजन के हिसाब से एक प्रतिशत से कम) के साथ लगभग 80 प्रतिशत सांद्रता वाले औद्योगिक अल्कोहल का उपयोग करके ठोस जैव अल्कोहल का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया है. उन्होंने बताया कि एक लीटर औद्योगिक अल्कोहल से लगभग 1.080 किलोग्राम ठोस बायो अल्कोहल निकलता है.

यह भी पढ़े-अब वाहनों का नहीं होगा मैन्युअल फिटनेस टेस्ट, ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन होंगे स्थापित

कानपुर: कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञों ने ज्वार के तने से शुगर सीरप को तैयार किया था. अब, विशेषज्ञों ने नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तरल (लिक्विड) औद्योगिक अल्कोहल को ठोस रूप में परिवर्तित करने की एक सस्ती प्रक्रिया विकसित की है. इस तकनीक से खानपान, व्यापार, पर्यटन और क्षेत्र कार्य (सेना के उद्देश्य) में हीटिंग और वार्मिंग उद्देश्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पाद पैराफिन (मोम) के स्थान पर एथेनाल के ठोस रूप का उपयोग किया जा सकेगा. इसकी कीमत महज 50 रुपये प्रति किलोग्राम होगी.

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि हम पेट्रोलियम आधारित उत्पादों के प्रतिस्थापन के रूप में जैव-ईंधन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं. ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में ठोस जैव अल्कोहल को पैक करना और परिवहन करना आसान है. जब यह जलता है तो धुएं और कालिख का कारण नहीं बनता है, न ही वातावरण में किसी तरह की हानिकारक गैस पहुंचती है. यह पैराफिन (मोम) का सही विकल्प है, जो पेट्रोलियम उत्पाद होने के कारण जलने के दौरान कालिख का कारण बनता है और जलने की तेज और चुभने वाली गंध के अलावा जहरीली गैस का उत्सर्जन करता है. यह तकनीक संस्थान के विज्ञानी डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव और शोध छात्रा ममता शुक्ला ने दो वर्ष की मेहनत के बाद विकसित की है.

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने दी जानकारी

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निदेशक ने बताया कि पूर्व में भी कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रकार के उत्पाद बनाने की कोशिश की थी. लेकिन, खराब भंडारण में स्थिरता देखने को मिली है. क्योंकि समय के बाद वह ठोस तरल लीक के साथ नरम और पेस्टी हो जाते हैं. कुछ जलने के दौरान काला धुआं और अजीबो-गरीब गंध पैदा करते थे और पर्यावरण को प्रदूषित करते थे. डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने बताया कि इस उत्पाद को बनाने में क्युरिंग एजेंट का इस्तेमाल ठोसकरण के लिए और इग्निशन डोप का उपयोग जलने की तीव्रता को बढ़ाने के लिए किया गया है. कम मात्रा में क्योरिंग एजेंट (वजन के हिसाब से एक प्रतिशत से कम) के साथ लगभग 80 प्रतिशत सांद्रता वाले औद्योगिक अल्कोहल का उपयोग करके ठोस जैव अल्कोहल का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया है. उन्होंने बताया कि एक लीटर औद्योगिक अल्कोहल से लगभग 1.080 किलोग्राम ठोस बायो अल्कोहल निकलता है.

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