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हिन्दुस्तान के बंटवारे के विरोधी फैज की नज्म कैसे हो गई हिंदू विरोधी!

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Published : Jan 3, 2020, 3:03 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 12:28 AM IST

पाकिस्तान के मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने 1979 में 'सब तख्त गिराए जाएंगे.' नज्म को कागज पर उकेरा था. यह नज्म पाकिस्तान के तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के खिलाफ लिखी गई थी. वैसे तो फैज साहब की इस नज्म को अक्सर ही विरोध प्रदर्शनों में गाया जाता रहा है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जब इस नज्म को गुनगुनाया तो इस पर हिन्दू विरोधी होने की तोहमत लगा दी गई.

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शायर फैज अहमद फैज.

कानपुर: पाकिस्तान के मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने 1979 में नज्म 'हम देखेंगे' को कागज पर उकेरा था. यह नज्म पाकिस्तान के तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के खिलाफ लिखी गई थी. इन दिनों इस नज्म को लेकर यूपी सहित देश भर में बवाल मचा है. वैसे तो फैज साहब की इस नज्म को अक्सर ही विरोध प्रदर्शनों में गाया जाता रहा है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जब इस नज्म को गुनगुनाया तो इस पर हिन्दू विरोधी होने की तोहमत लग गई.

फैज अहमद फैज.

सब तख्त गिराए जाएंगे...
जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से सब बुत उठवाए जाएंगे हम देखेंगे.
हम अहल-ए-सफा मरदूद-ए-हरम,
मसनद पर बिठाए जाएंगे. सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराए जाएंगे..
बस नाम रहेगा अल्लाह का. हम देखेंगे, लाजिम है हम भी देखेंगे....

जब से नागरिकता संशोधन बिल ने दोनों सदनों से हरी झंडी पाकर (पास होकर) कानून का रूप लिया है, तब से देश भर में इसके विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं. 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया इलाके में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें जामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र भी शामिल थे. इस दौरान पुलिस ने यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी और हॉस्टल में जाकर महिला छात्रों समेत कई लोगों की पिटाई की.

पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज देश के कई शिक्षण संस्थानों ने जामिया के छात्रों के समर्थन में मोर्चा खोल दिया. आईआईटी कानपुर में छात्रों ने 17 दिसंबर को प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में कुछ छात्रों ने फैज की नज्म 'हम देखेंगे' गायी.

जानें आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक ने क्या कहा
आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल के मुताबिक, कुछ छात्रों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत की है कि परिसर में हिंदू विरोधी कविता पढ़ी गई है, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है. लिहाजा इस कविता को पढ़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसके बाद आईआईटी प्रबंधन ने इस पर जांच बिठा दी है. इस बात से मुल्क के शायर खफा हैं. मशहूर गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि फैज की नज्म को हिंदू विरोधी बताना बेतुका है.

जो राजनीति सोचती है, उसमें वह धर्म का तड़का जरूर लगाती है. फैज साहब की नज्म एक जमाने से प्रदर्शनों का हिस्सा रही है, क्योंकि जब इंसान भूखा होता है तो वह यही सोचता है कि इंकलाब आएगा.

मुनव्वर राणा , शायर

उनके नेतृत्व में छह सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जो प्रकरण की जांच करेगी. उनका कहना है कि गठित की गई टीम सभी दृष्टिकोणों पर जांच कर रही है.

मनिंद्र अग्रवाल , उपनिदेशक, आईआईटी कानपुर

कानपुर: पाकिस्तान के मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने 1979 में नज्म 'हम देखेंगे' को कागज पर उकेरा था. यह नज्म पाकिस्तान के तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के खिलाफ लिखी गई थी. इन दिनों इस नज्म को लेकर यूपी सहित देश भर में बवाल मचा है. वैसे तो फैज साहब की इस नज्म को अक्सर ही विरोध प्रदर्शनों में गाया जाता रहा है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जब इस नज्म को गुनगुनाया तो इस पर हिन्दू विरोधी होने की तोहमत लग गई.

फैज अहमद फैज.

सब तख्त गिराए जाएंगे...
जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से सब बुत उठवाए जाएंगे हम देखेंगे.
हम अहल-ए-सफा मरदूद-ए-हरम,
मसनद पर बिठाए जाएंगे. सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराए जाएंगे..
बस नाम रहेगा अल्लाह का. हम देखेंगे, लाजिम है हम भी देखेंगे....

जब से नागरिकता संशोधन बिल ने दोनों सदनों से हरी झंडी पाकर (पास होकर) कानून का रूप लिया है, तब से देश भर में इसके विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं. 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया इलाके में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें जामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र भी शामिल थे. इस दौरान पुलिस ने यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी और हॉस्टल में जाकर महिला छात्रों समेत कई लोगों की पिटाई की.

पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज देश के कई शिक्षण संस्थानों ने जामिया के छात्रों के समर्थन में मोर्चा खोल दिया. आईआईटी कानपुर में छात्रों ने 17 दिसंबर को प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में कुछ छात्रों ने फैज की नज्म 'हम देखेंगे' गायी.

जानें आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक ने क्या कहा
आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल के मुताबिक, कुछ छात्रों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत की है कि परिसर में हिंदू विरोधी कविता पढ़ी गई है, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है. लिहाजा इस कविता को पढ़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसके बाद आईआईटी प्रबंधन ने इस पर जांच बिठा दी है. इस बात से मुल्क के शायर खफा हैं. मशहूर गीतकार जावेद अख्तर का कहना है कि फैज की नज्म को हिंदू विरोधी बताना बेतुका है.

जो राजनीति सोचती है, उसमें वह धर्म का तड़का जरूर लगाती है. फैज साहब की नज्म एक जमाने से प्रदर्शनों का हिस्सा रही है, क्योंकि जब इंसान भूखा होता है तो वह यही सोचता है कि इंकलाब आएगा.

मुनव्वर राणा , शायर

उनके नेतृत्व में छह सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जो प्रकरण की जांच करेगी. उनका कहना है कि गठित की गई टीम सभी दृष्टिकोणों पर जांच कर रही है.

मनिंद्र अग्रवाल , उपनिदेशक, आईआईटी कानपुर

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Last Updated : Jan 4, 2020, 12:28 AM IST
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