कानपुर देहात: बेहमई कांड के मुख्य गवाह जंटर सिंह की गुरुवार को मौत को लेकर एडीजीसी राजू पोरवाल ने कहा कि इस मामले में गवाह की मौत से कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि गवाह जंटर सिंह की गवाही पहले हो चुकी थी. अब इस बेहमई कांड केस को सरकार खुद लड़ेगी.
कुछ महीनों पहले केस के मुख्य वादी राजाराम सिंह की भी मौत हो गई थी. केस में मुख्य आरोपी दस्यु सुंदरी फूलन देवी की दो दशक पहले दिल्ली में हत्या कर दी गई थी. यूपी के जनपद कानपुर देहात में 14 फरवरी 1981 को पूर्व दस्यु सुन्दरी फूलन देवी ने 22 लोगों को एक साथ लाइन से खड़ा करके गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. देश का सबसे बड़ा नरसंहार फूलन देवी और उनके गैंग ने किया गया था.
इस नरसंहार के चश्मदीद गवाह जंटर सिंह की लंबी बीमारी के चलते मौत हो चुकी है. जंटर सिंह का इलाज लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था. जहां पर उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई है. बेहमई कांड में फूलन देवी समेत 36 डकैतों पर जनपद के राजपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. इसकी सुनवाई जनपद कानपुर देहात के डकैती स्पेशल कोर्ट न्यायालय में चल रही है. इस केस में 40 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के हाथ सिर्फ तारीख ही लगी है. इसके चलते वादी की पूर्व में लम्बी बीमारी के चलते मौत हो चुकी है, तो वहीं चश्मदीद गवाह की भी लंबी बीमारी के चलते मौत हो गई है.
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आरोप है कि अपने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने के लिए 14 फरवरी, 1981 को फूलन देवी और उसके गैंग के कई अन्य डकैतों ने कानपुर देहात में यमुना के बीहड़ में बसे बेहमई गांव में 22 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इनमें 17 लोग ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते थे. वारदात के दो साल बाद तक पुलिस फूलन को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. एक दशक पहले केस का ट्रायल शुरू हुआ था. दिसंबर-2019 से केस लगातार अदालती फेर में उलझा रहा. इस केस पर आज तक फैसला नहीं आ सका है.