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छह माह से मानदेय के इंतजार में आशा बहुएं, भुगतान न होने पर स्वास्थ्य अभियान का बहिष्कार करेगा संगठन - आशा बहूएं भुखमरी की कगार पर

गोरखपुर में छह माह से आशा बहुओं को मानदेय नहीं मिला है.आशा बहू कार्यकारी कल्याण सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने सरकार को चेतावनी दी है कि, अगस्त माह में भुगतान हो जाना चाहिये. नहीं तो सितंबर माह से स्वास्थ्य अभियान का बहिष्कार करने के लिये उनका संगठन सड़क पर उतर जाएगा.

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मानदेय के इंतजार में आशा बहुएं
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Published : Aug 27, 2022, 1:10 PM IST

गोरखपुर: प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के विभिन्न अभियानों को शहर से लेकर गांव तक पहुंचाने, टीकाकरण अभियान से लेकर गर्भवती महिलाओं को उचित इलाज दिलाने में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ साबित होने वाली आशा बहुएं मौजूदा समय में पिछले 6 महीने से अपने मानदेय और प्रोत्साहन राशि के न मिलने से बहुत दुखी हैं. आशा बहुएं जिन्हें आशा कार्यकर्ता भी कहा जाता है, वह अपनी समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों से कई बार गुहार लगा चुकी हैं. लेकिन, सुनवाई नहीं होने और बार-बार बजट का रोना रोने से अधिकारियों के रवैए से नाराज होकर संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने चेतावनी देते हुए सितम्बर में सड़कों पर उतरने और सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

आशा बहुओं की समस्याओं को ईटीवी भारत को बताते हुए आशा बहू कार्यकारी कल्याण सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने कहा कि गोरखपुर के 20 ब्लॉकों की बात करें तो अधिकतर ब्लॉकों में आशा बहुओं का मानदेय और प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो रहा है. यदि एक दो ब्लॉक में कहीं हुआ भी हो तो उसमें भी विभाग के कर्मचारी कटौती कर रहे हैं और पैसे की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभाग के हर अभियान को आगे बढ़ाने में चाहे वह दस्तक अभियान हो या फिर पल्स पोलियो, आयुष्मान भारत, फाइलेरिया या कोविड-19, आशा बहूएं घर-घर जाकर अपना कर्तव्य निभाती हैं. लेकिन, जब उन्हें उनका मेहनताना यानी कि मानदेय समय से भुगतान नहीं किया जाएगा तो वह अपना घर का खर्च कैसे चलाएंगी.

आशा बहू कल्याण समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने दी जानकारी
इसे भी पढ़े-आगरा में 'आशा डायरी' से भ्रूण लिंग परीक्षण की निगरानी, जानें पूरी प्लानिंग

चंदा यादव ने कहा कि आशा बहुएं भुखमरी की कगार पर पहुंच चुकी हैं. यही वजह है कि अब वह गुस्से में हैं. वह अपनी समस्याओं को लेकर जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कई बार अवगत करा चुकी हैं. अपना पत्रक भी सौंप कर शासन तक बात पहुंचाने की कोशिश की है. लेकिन, भुगतान की प्रक्रिया रुकी पड़ी है. उन्होंने कहा कि सीएमओ (chief medical officer) बार-बार यही हवाला देते हैं कि बजट का अभाव है. जैसे-जैसे बजट मिलता जाएगा भुगतान होता जाएगा.

चंदा यादव ने कहा कि सरकार को काम लेने के साथ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि जो काम कर रहे हैं, उन्हें उनकी मजदूरी मिलनी ही चाहिए. बजट का इंतजाम करना सरकार का काम है. अगर आशा बहुएं काम कर रही हैं तो वह जिम्मेदार हैं. लेकिन काम के बाद भी उन्हें पैसा नहीं मिलता है. उनके मानदेय और प्रोत्साहन राशि में कटौती की जाती है. अब आशा संगठन इसे बर्दाश्त नहीं करने वाला. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगस्त में भुगतान हो जाना चाहिए नहीं तो सितंबर से स्वास्थ्य अभियान का बहिष्कार करने के लिए उनका संगठन सड़क पर उतर जाएगा.

यह भी पढ़े-आशा बहुओं ने सरकार चेताया कहा, मांगे पूरी नहीं हुईं तो सरकार के खिलाफ करेंगी प्रचार

गोरखपुर: प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के विभिन्न अभियानों को शहर से लेकर गांव तक पहुंचाने, टीकाकरण अभियान से लेकर गर्भवती महिलाओं को उचित इलाज दिलाने में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ साबित होने वाली आशा बहुएं मौजूदा समय में पिछले 6 महीने से अपने मानदेय और प्रोत्साहन राशि के न मिलने से बहुत दुखी हैं. आशा बहुएं जिन्हें आशा कार्यकर्ता भी कहा जाता है, वह अपनी समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों से कई बार गुहार लगा चुकी हैं. लेकिन, सुनवाई नहीं होने और बार-बार बजट का रोना रोने से अधिकारियों के रवैए से नाराज होकर संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने चेतावनी देते हुए सितम्बर में सड़कों पर उतरने और सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

आशा बहुओं की समस्याओं को ईटीवी भारत को बताते हुए आशा बहू कार्यकारी कल्याण सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने कहा कि गोरखपुर के 20 ब्लॉकों की बात करें तो अधिकतर ब्लॉकों में आशा बहुओं का मानदेय और प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो रहा है. यदि एक दो ब्लॉक में कहीं हुआ भी हो तो उसमें भी विभाग के कर्मचारी कटौती कर रहे हैं और पैसे की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभाग के हर अभियान को आगे बढ़ाने में चाहे वह दस्तक अभियान हो या फिर पल्स पोलियो, आयुष्मान भारत, फाइलेरिया या कोविड-19, आशा बहूएं घर-घर जाकर अपना कर्तव्य निभाती हैं. लेकिन, जब उन्हें उनका मेहनताना यानी कि मानदेय समय से भुगतान नहीं किया जाएगा तो वह अपना घर का खर्च कैसे चलाएंगी.

आशा बहू कल्याण समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने दी जानकारी
इसे भी पढ़े-आगरा में 'आशा डायरी' से भ्रूण लिंग परीक्षण की निगरानी, जानें पूरी प्लानिंग

चंदा यादव ने कहा कि आशा बहुएं भुखमरी की कगार पर पहुंच चुकी हैं. यही वजह है कि अब वह गुस्से में हैं. वह अपनी समस्याओं को लेकर जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कई बार अवगत करा चुकी हैं. अपना पत्रक भी सौंप कर शासन तक बात पहुंचाने की कोशिश की है. लेकिन, भुगतान की प्रक्रिया रुकी पड़ी है. उन्होंने कहा कि सीएमओ (chief medical officer) बार-बार यही हवाला देते हैं कि बजट का अभाव है. जैसे-जैसे बजट मिलता जाएगा भुगतान होता जाएगा.

चंदा यादव ने कहा कि सरकार को काम लेने के साथ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि जो काम कर रहे हैं, उन्हें उनकी मजदूरी मिलनी ही चाहिए. बजट का इंतजाम करना सरकार का काम है. अगर आशा बहुएं काम कर रही हैं तो वह जिम्मेदार हैं. लेकिन काम के बाद भी उन्हें पैसा नहीं मिलता है. उनके मानदेय और प्रोत्साहन राशि में कटौती की जाती है. अब आशा संगठन इसे बर्दाश्त नहीं करने वाला. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगस्त में भुगतान हो जाना चाहिए नहीं तो सितंबर से स्वास्थ्य अभियान का बहिष्कार करने के लिए उनका संगठन सड़क पर उतर जाएगा.

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