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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी में जुटा गोरक्षपीठ

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Published : Jun 17, 2020, 9:15 AM IST

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. जिसे लेकर गोरक्षनाथ पीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद तैयारियों में जुट गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए दोनों संस्थाएं योग का ऑनलाइन प्रशिक्षण दे रही हैं.

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ऑनलाइन योग का अभ्यास करते लोग

गोरखपुर: कोरोना काल में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियों में गुरु गोरक्षनाथ पीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जुट गया है. गोरखनाथ मंदिर की ओर से संचालित इन दोनों संस्थाओं ने धर्म, आचरण के अनुपालन और दर्शन के विषय पर ऑनलाइन योग प्रशिक्षण शुरू कर दिया है.

योग से संभव है रोग का निवारण
इस आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में गोरखपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग एचओडी प्रो. द्वारका नाथ ने कहा कि बचाव उपचार से श्रेष्ठ होता है. भगवान गोरखनाथ का हठयोग कोरोना जैसी महामारी को शांत करने में सहायक सिद्ध हो सकता है. उन्होंने कहा कि योग एक प्रकार की ऐसी प्रविधि है जिसके माध्यम से अनेक प्रकार के रोगों का निवारण किया जा सकता.

इसेक साथ ही प्रो. द्वारका नाथ ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने घोषणा पत्र में संकल्प के रूप में दोहराया था कि योग स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पूर्णतावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है. योग जीवन के समस्त पहलुओं में सामंजस्य बैठाता है. साथ ही साथ रोग के रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन और जीवनशैली संबंधी अनेक विकारों के प्रबंधन के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि योग और व्यायाम में बहुत अंतर है. योग का मतलब शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास से है.

व्यायाम और योग में बताया अंतर
योग का संबंध मनुष्य के चौमुखी विकास से है. जबकि व्यायाम हमारे मांस पेशियों और हड्डियों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है. जब हम व्यायाम करते समय तेजी से सांस लेते हैं तो हमारी उर्जा भी खर्च होती है और हम बहुत तेजी से सांस लेते हैं तो जो प्राण है उसका क्षय होता है. लेकिन योगासन जब हम करते हैं तो इससे प्राणशक्ति में वृद्धि होती है. जब हम व्यायाम करते हैं तो अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ शरीर में उत्पन्न होते हैं, लेकिन जब हम योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि करते हैं तो यह विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं.

उन्होंने कहा कि योग मानव जाति का सर्वोत्कृष्ट ज्ञान है. यह कोई विशेष पंथ नहीं है और ना ही किसी विशेष धर्म या पद्धति से ही संबंधित है. बल्कि दुनिया में अनेक दार्शनिकों, योगियों, वैज्ञानिकों की ओर से यह अनुमोदित है कि योग का प्रयोग सभी कर सकते हैं. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. उदय प्रताप सिंह ने कहा की योग से अनेक लाभ हैं. यह अपने आप में एक पूर्ण पद्धति है.

ऑनलाइन कराया गया योगासनों का अभ्यास
संपूर्ण कार्यक्रम का एमपीपीजी कॉलेज के फेसबुक पेज पर लाइव किया गया. योगासन और प्राणायाम के अंतर्गत योगाचार्य डॉ. चंद्रजीत यादव के निर्देशन में शुभम द्विवेदी ने योगासन में सूर्य नमस्कार, सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, उदर शक्ति विकासक, बजरंग आसन, लक्ष्मण आसन, हृदय स्तंभन आसन, नौकासन, सर्वांगासन, हलासन, मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, विपरीत करणी आसन, पिंडासन, चक्रासन आदि आसनों का अभ्यास कराया.

वहीं सायंकाल सत्र में सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, स्वास्तिक आसान, पद्मासन, भुजंगासन, त्रियक भुजंगासन, शशकासन, मण्डूकासन, अर्द्ध मत्सेन्द्रसान, पश्चिम मुक्तान आसान, कुर्मासन, गोरक्षासन मार्जारी आसान, ध्यान क्रिया में सोहम ध्यान, बलध्यान, प्राणायाम, कपालभाति, हस्तिका, अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन, महाबन्ध, अश्वनी मुद्रा, उज्जाई प्राणायाम, शीतली एवं शीतकारी प्राणायाम, भ्रामरी ओम का उच्चारण एवं शांति पाठ किया गया.

गोरखपुर: कोरोना काल में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियों में गुरु गोरक्षनाथ पीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जुट गया है. गोरखनाथ मंदिर की ओर से संचालित इन दोनों संस्थाओं ने धर्म, आचरण के अनुपालन और दर्शन के विषय पर ऑनलाइन योग प्रशिक्षण शुरू कर दिया है.

योग से संभव है रोग का निवारण
इस आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में गोरखपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग एचओडी प्रो. द्वारका नाथ ने कहा कि बचाव उपचार से श्रेष्ठ होता है. भगवान गोरखनाथ का हठयोग कोरोना जैसी महामारी को शांत करने में सहायक सिद्ध हो सकता है. उन्होंने कहा कि योग एक प्रकार की ऐसी प्रविधि है जिसके माध्यम से अनेक प्रकार के रोगों का निवारण किया जा सकता.

इसेक साथ ही प्रो. द्वारका नाथ ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने घोषणा पत्र में संकल्प के रूप में दोहराया था कि योग स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पूर्णतावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है. योग जीवन के समस्त पहलुओं में सामंजस्य बैठाता है. साथ ही साथ रोग के रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन और जीवनशैली संबंधी अनेक विकारों के प्रबंधन के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि योग और व्यायाम में बहुत अंतर है. योग का मतलब शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास से है.

व्यायाम और योग में बताया अंतर
योग का संबंध मनुष्य के चौमुखी विकास से है. जबकि व्यायाम हमारे मांस पेशियों और हड्डियों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है. जब हम व्यायाम करते समय तेजी से सांस लेते हैं तो हमारी उर्जा भी खर्च होती है और हम बहुत तेजी से सांस लेते हैं तो जो प्राण है उसका क्षय होता है. लेकिन योगासन जब हम करते हैं तो इससे प्राणशक्ति में वृद्धि होती है. जब हम व्यायाम करते हैं तो अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ शरीर में उत्पन्न होते हैं, लेकिन जब हम योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि करते हैं तो यह विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं.

उन्होंने कहा कि योग मानव जाति का सर्वोत्कृष्ट ज्ञान है. यह कोई विशेष पंथ नहीं है और ना ही किसी विशेष धर्म या पद्धति से ही संबंधित है. बल्कि दुनिया में अनेक दार्शनिकों, योगियों, वैज्ञानिकों की ओर से यह अनुमोदित है कि योग का प्रयोग सभी कर सकते हैं. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. उदय प्रताप सिंह ने कहा की योग से अनेक लाभ हैं. यह अपने आप में एक पूर्ण पद्धति है.

ऑनलाइन कराया गया योगासनों का अभ्यास
संपूर्ण कार्यक्रम का एमपीपीजी कॉलेज के फेसबुक पेज पर लाइव किया गया. योगासन और प्राणायाम के अंतर्गत योगाचार्य डॉ. चंद्रजीत यादव के निर्देशन में शुभम द्विवेदी ने योगासन में सूर्य नमस्कार, सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, उदर शक्ति विकासक, बजरंग आसन, लक्ष्मण आसन, हृदय स्तंभन आसन, नौकासन, सर्वांगासन, हलासन, मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, विपरीत करणी आसन, पिंडासन, चक्रासन आदि आसनों का अभ्यास कराया.

वहीं सायंकाल सत्र में सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, स्वास्तिक आसान, पद्मासन, भुजंगासन, त्रियक भुजंगासन, शशकासन, मण्डूकासन, अर्द्ध मत्सेन्द्रसान, पश्चिम मुक्तान आसान, कुर्मासन, गोरक्षासन मार्जारी आसान, ध्यान क्रिया में सोहम ध्यान, बलध्यान, प्राणायाम, कपालभाति, हस्तिका, अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन, महाबन्ध, अश्वनी मुद्रा, उज्जाई प्राणायाम, शीतली एवं शीतकारी प्राणायाम, भ्रामरी ओम का उच्चारण एवं शांति पाठ किया गया.

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