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पवित्र रमजान का दूसरा अशुरा समाप्त, इबादत में मशगूल रोजेदार - end of second ashara of ramzan

रमजान का दूसरा अशरा रविवार को समाप्त हो गया. तपती धूप भीषण गर्मी में रोजेदारों ने अकीदत तथा सब्र के साथ रोजा रखा और खूब इबादत की. लोगों ने खैर और बरकत एवं मुल्क की तरक्की के लिए दुआ मांगी. सोमवार से रमजान के तीसरे और आखिरी अशरे का आगाज हुआ. कहा जाता है कि यह अशरा जहन्नुम से आजादी दिलाता है. इस अशरा में अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को माफ करता है.

धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद
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Published : May 27, 2019, 6:06 PM IST

गोरखपुर : इस्लाम के मुताबिक रमजान के महीने को रब ने सबसे पवित्र महीना करार दिया है. मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि हर अशरा में अल्लाह ने अलग अलग नेमतें बख्शी हैं. पहला अशरा 1 से 10 रमजान तक दस दिन का होता है. जो बरकतों का होता है. दूसरा अशरा 11 से 20 रमजान तक का होता है, इसे मगफिरत का अशरा करार दिया गया है. तीसरा अंतिम अशरा 21 से 30 रमजान तक का है.

धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि पवित्र रमजान का दूसरा अशरा समाप्त

जकात, खैरात और फितरा देना फर्ज

रमजान के महीने में हर दौलत मंद लोगों को जकात देना फर्ज है. जकात देना उन लोगों पर है फर्ज है जिसके पास 7.5 तोला सोना और 52.5 तोले चांदी के बराबर संपत्ति या रुपया हो तो रमजान में जकात देना फर्ज है. खैरात हर रोजेदार के ऊपर फर्ज फरमाया गया है.

गोरखपुर : इस्लाम के मुताबिक रमजान के महीने को रब ने सबसे पवित्र महीना करार दिया है. मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि हर अशरा में अल्लाह ने अलग अलग नेमतें बख्शी हैं. पहला अशरा 1 से 10 रमजान तक दस दिन का होता है. जो बरकतों का होता है. दूसरा अशरा 11 से 20 रमजान तक का होता है, इसे मगफिरत का अशरा करार दिया गया है. तीसरा अंतिम अशरा 21 से 30 रमजान तक का है.

धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि पवित्र रमजान का दूसरा अशरा समाप्त

जकात, खैरात और फितरा देना फर्ज

रमजान के महीने में हर दौलत मंद लोगों को जकात देना फर्ज है. जकात देना उन लोगों पर है फर्ज है जिसके पास 7.5 तोला सोना और 52.5 तोले चांदी के बराबर संपत्ति या रुपया हो तो रमजान में जकात देना फर्ज है. खैरात हर रोजेदार के ऊपर फर्ज फरमाया गया है.

Intro:रमजान करीम महीने का दूसरा अशरा मगफिरत का रविवार को समाप्त हो गया. तपती धूप भीषण गर्मी में रोजदारों ने अकीदत तथा सब्र के साथ रोजा रखा रब ताला की खूब इबादत किया पाक ग्रंथ कुर्आन का श्लोगन किया. परवरदिगार से खैरोबरकत एवं मुल्क की तरक्की के लिए दुआ मांगा. सोमवार से माह ए रमजान के तीसरे व आखिरी अशरे का आगाज हुआ यह अशरा जहन्नुम से आजादी का है. रब ताला इस अशरा में अपने बंदों के गुनाहों को माफ करता है और जहन्नुम से आजाद करता है.Body:गोरखपुर पिपराइचः रमजान उल मुकद्दस के महीने को रब ताला ने सबसे पवित्र और रहमों का महीना करार दिया है. मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना आस मोहम ने बताया कि अल्लाह के प्यारे महबूब सल्लल्लाहु अलैहियवसल्लम ने इस महीने को तीन अशरा में तकसीम किया है. हर अशरा में अल्लाह ताला ने अलग अलग नेयमतें बख्शी है. पहला अशरा 1 से 10 रमजान तक दस दिन का होता है. जो बरकों रहमतों का होता है. दूसरा अशरा 11 से 20 रमजान तक का होता है. इसे मगफिरत का अशरा करार दिया गया है. तीसरा अंतिम अशरा 21 से 30 रमजान तक मुकर्रर रहता है. जिसमें अल्लाह ताला जहन्नुम से आजाद कर देता है. तीसरे अशरा में 21, 23, 25, 27, 29 पाक रातें शब ए कद्र की होती हैं। इन पांचों रात में एक रात शब ए कद्र की रात है. कुरान में आया है कि यह रात हजारों महीनों से बेहतर होती है. इस रात इबादत का शबाव एक हजार महीनों तक इबादत करने के बराबर शबाव मिलता है.Conclusion:$क्या है जहन्नुम, कैसी होती है उसकी आग$

धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि जहन्नुम आजाब का घर है जिसमें पापीयों को डाला जायेगा. इस आजाब के घर में आग काली होती है. उन्होंने कहा नबी ए करीम सलल्ललाहु अलैहियवसल्लम ने उसके तालुक से फरमाया कि फरिश्तों ने एक हजार साल आग को जलाया है तब जहन्नुम की आग सुर्ख (लाल) हुई फिर एक हजार वर्ष जलाया तो जहन्नुम की आग सफेद हुई. फिर एक हजार वर्ष जलाया है तब जहन्नुम की आग काली हुई. उन्होंने कहा दूनिया में कोई ऐसी आग दिखाई नही दिया जिसका रुप रंगत काली हो. सिर्फ और सिर्फ जहन्नुम की आग ऐसी आग है जिसका रुप रंगत काली है. फरिश्तों ने लगातार जहन्नुम के आग को तीन हजार वर्ष जलाया है तब इसकी आग काली हुई है. अल्लाह तबारक ताला की चाहत व मंशा यह कि हमारे बंदे जहन्नुम से आजाद हो कर जन्नत का परवाना हासिल कर लें इसिलए अल्लाह ने रमजान का महिना अता फरमाया है. उन्होंने कहा रमजान के महीने में पहला अशरा बरकत, दूसरा मगफिरत, तीसरा जहन्नुम से आजादी का बनाया है.

जकात, खैरात एवं फितरा देना फर्ज

रमजान के महीने में हर दौलत मंद लोगों को जकात देना फर्ज है। जकात देना उन लोगों पर है जिसके पास 7.5 तोला सोना और 52.5 तोले चांदी के बराबर संपत्ति या रुपया हो तो रमजान में जकात देना फर्ज है। खैरात हर रोजेदार के ऊपर फर्ज फरमाया गया है
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