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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: पूर्वांचल में पिछड़ रही बहुजन समाज पार्टी, हो सकता है बड़ा नुकसान

2007 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल की अधिकांश सीटों पर विजय पताका फहराकर, प्रदेश में मायावती के नेतृत्व में सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी, 2022 के चुनाव में अपनी प्रतिद्वंदी पार्टियों के चुनावी अभियान के सामने पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर पिछड़ती नजर आ रही है.

bsp lagging behind in purvanchal in campaign of up assembly elections 2022
bsp lagging behind in purvanchal in campaign of up assembly elections 2022
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Published : Nov 16, 2021, 3:19 PM IST

गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने जहां संगठन से लेकर अपने राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारकर चुनावी अभियान को तेज कर दिया है और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की है, तो कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शांत पड़ी कांग्रेस में ऊर्जा भर दी है. वहीं बहुजन समाज पार्टी में कोई सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है.

बसपा जिलाध्यक्ष सुरेश भारती का कहना है कि संगठन को बूथ स्तर से लेकर जिला और सेक्टर स्तर पर मजबूत करने का अभियान चल रहा है. इसके बाद पार्टी जब अपने कार्यक्रमों को लेकर चुनावी समर में आएगी तो सभी विरोधी दल पीछे छूट जाएंगे. जिलाध्यक्ष का कहना है कि संगठनात्मक ढांचे में बदलाव पुराने फॉर्मूले पर किया जा रहा है. परंपरागत दलित वोटों को सहेजने के साथ पिछड़े समाज पर अधिक फोकस किया जा रहा है.

सुरेश भारती ने कहा कि बीएसपी की भाईचारा कमेटियों में क्षेत्रवार स्वर्ण समाज के लोगों को अहम जिम्मेदारी दी जा रही है. संगठन में भी जातीय संतुलन बनाकर जीत की नींव तैयार की जाएगी. भाईचारा कमेटियों को वर्ष 2005 के फार्मूले पर तैयार किया जा रहा है. अगस्त माह में हुई सतीश चंद्र मिश्र की सभा के बाद से सवर्ण समाज को भी एकजुट करने का अभियान तेज है.

उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज से अमर चंद दुबे को गोरखपुर-बस्ती मंडल का सेक्टर संयोजक बनाया गया है. वहीं क्षत्रिय समाज से ज्ञान प्रकाश सिंह और ओबीसी से लालचंद निषाद को जिम्मेदारी दी गई है. हर वार्ड से 25-25 कार्यकर्ताओं को संगठन के कामकाज के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए चुना गया है.


बहुजन समाज पार्टी का 2007 के चुनाव में पूर्वांचल की 170 सीटों में 97 सीट जीती थीं. गोरखपुर-बस्ती मंडल में सीटों को जीतने का रिकॉर्ड काफी अच्छा था. गोरखपुर की चिल्लूपार, बांसगांव, सहजनवा, पिपराइच, कौड़ीराम और 2012 के चुनाव में बांसगांव, चिल्लूपार, चौरी चौरा और सहजनवा बसपा जीती थी.

2007 में देवरिया की सदर विधानसभा, बरहज, रुद्रपुर, कुशीनगर की पडरौना, रामकोला, महाराजगंज की सिसवा, पनियरा, बस्ती की सदर, कप्तानगंज, रुधौली, संत कबीर नगर की हैंसर, मेंहदावल जीती थी. इसके बल पर प्रदेश में वह सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. 2017 के चुनाव में गोरखपुर में चिल्लूपार ही बसपा के खाते में है.

ये भी पढ़ें- PM मोदी से पहले सपाइयों ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का किया उद्घाटन, कई जगहों पर साइकिल चलाई

वहीं देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर में बसपा पूरी तरह साफ हो चुकी है. बस्ती मंडल में भी उसकी उपस्थिति नहीं है, ऐसे में राजनीतिक रूप से उसकी सक्रियता में कमी का फायदा निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी उठाने की कोशिश कर रही हैं.

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गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने जहां संगठन से लेकर अपने राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारकर चुनावी अभियान को तेज कर दिया है और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की है, तो कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शांत पड़ी कांग्रेस में ऊर्जा भर दी है. वहीं बहुजन समाज पार्टी में कोई सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है.

बसपा जिलाध्यक्ष सुरेश भारती का कहना है कि संगठन को बूथ स्तर से लेकर जिला और सेक्टर स्तर पर मजबूत करने का अभियान चल रहा है. इसके बाद पार्टी जब अपने कार्यक्रमों को लेकर चुनावी समर में आएगी तो सभी विरोधी दल पीछे छूट जाएंगे. जिलाध्यक्ष का कहना है कि संगठनात्मक ढांचे में बदलाव पुराने फॉर्मूले पर किया जा रहा है. परंपरागत दलित वोटों को सहेजने के साथ पिछड़े समाज पर अधिक फोकस किया जा रहा है.

सुरेश भारती ने कहा कि बीएसपी की भाईचारा कमेटियों में क्षेत्रवार स्वर्ण समाज के लोगों को अहम जिम्मेदारी दी जा रही है. संगठन में भी जातीय संतुलन बनाकर जीत की नींव तैयार की जाएगी. भाईचारा कमेटियों को वर्ष 2005 के फार्मूले पर तैयार किया जा रहा है. अगस्त माह में हुई सतीश चंद्र मिश्र की सभा के बाद से सवर्ण समाज को भी एकजुट करने का अभियान तेज है.

उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज से अमर चंद दुबे को गोरखपुर-बस्ती मंडल का सेक्टर संयोजक बनाया गया है. वहीं क्षत्रिय समाज से ज्ञान प्रकाश सिंह और ओबीसी से लालचंद निषाद को जिम्मेदारी दी गई है. हर वार्ड से 25-25 कार्यकर्ताओं को संगठन के कामकाज के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए चुना गया है.


बहुजन समाज पार्टी का 2007 के चुनाव में पूर्वांचल की 170 सीटों में 97 सीट जीती थीं. गोरखपुर-बस्ती मंडल में सीटों को जीतने का रिकॉर्ड काफी अच्छा था. गोरखपुर की चिल्लूपार, बांसगांव, सहजनवा, पिपराइच, कौड़ीराम और 2012 के चुनाव में बांसगांव, चिल्लूपार, चौरी चौरा और सहजनवा बसपा जीती थी.

2007 में देवरिया की सदर विधानसभा, बरहज, रुद्रपुर, कुशीनगर की पडरौना, रामकोला, महाराजगंज की सिसवा, पनियरा, बस्ती की सदर, कप्तानगंज, रुधौली, संत कबीर नगर की हैंसर, मेंहदावल जीती थी. इसके बल पर प्रदेश में वह सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. 2017 के चुनाव में गोरखपुर में चिल्लूपार ही बसपा के खाते में है.

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वहीं देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर में बसपा पूरी तरह साफ हो चुकी है. बस्ती मंडल में भी उसकी उपस्थिति नहीं है, ऐसे में राजनीतिक रूप से उसकी सक्रियता में कमी का फायदा निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी उठाने की कोशिश कर रही हैं.

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