गोरखपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) एक तरफ सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास में जुटे हैं. अभी हाल फिलहाल मुख्यमंत्री ने इमरजेंसी सेवा में 48 घंटे तक मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की है तो उनके ही गृह जनपद गोरखपुर की बात करें तो यहां के विभिन्न प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (primary and community health centers) पर तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ, अपनी ड्यूटी से नदारद चल रहे हैं.
यह खुलासा जिला अधिकारी के द्वारा गठित की गई एक मजिस्ट्रेटी टीम द्वारा ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों पर समय के साथ की गई छापेमारी से हुआ है, जिसमें जिले के 52 डॉक्टर और 205 पैरामेडिकल स्टॉफ गैरहाजिर पाए गए हैं. डीएम ने इन सभी के एक दिन के वेतन कटौती के साथ स्पष्टीकरण देने का निर्देश सीएमओ को दिया है. उचित जवाब न मिलने पर इनके खिलाफ शासन को डीएम अपनी अन्य संस्तुतियों का भी पत्र भेज सकते हैं.
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जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश को ऐसे डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टॉफ के अपनी सेवा से गायब रहने की सूचना लगातार मिल रही थी. उन्होंने छापेमारी की कार्रवाई जो अपने जिला स्तरीय और तहसील स्तरीय मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारियों से कराई उसके लिए कोई शासन का निर्देश नहीं था. इस काम में उन्होंने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, एडीएम सिटी, उप जिलाधिकारी यहां तक कि सीएमओ को भी इस जांच अभियान में लगाया था. हैरानी की बात है कि जिला मुख्यालय से सटे हुए सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ नदारद मिले.
यहां पर नर्स और वार्ड बाय अपनी सेवा दे रहे थे. यह देखकर अपर जिलाधिकारी वित्त राजेश कुमार सिंह जो चरगावां और भटहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Bhathat Primary Health Center) की जांच के लिए निकले थे तो वहीं, खोराबार प्राथमिक और शिवपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Shivpur Community Health Center) की जांच करने जब एडीएम सिटी विनीत सिंह पहुंचे तो यहां पर स्टॉफ नदारद मिले. जिलाधिकारी ने इस मामले में कहा कि स्पष्टीकरण का जवाब गैरहाजिर लोगों को देना होगा, नहीं तो लोग बड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें. वहीं, सीएमओ ने भी अपनी जांच में जिन कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया उसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दिया हैं.
एक तरफ प्रदेश में स्वास्थ्य महकमे की कार्यप्रणाली ट्रांसफर पोस्टिंग और दवा के मामलों में कमियों की वजह से घिरी पड़ी हुई है. वहीं, मुख्यमंत्री के शहर में डॉक्टरों का इस तरह से गैर जिम्मेदाराना रवैया जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के मामले में बड़ा सवाल खड़ा करता है. यह तो एक दिन की आकस्मिक जांच में मामला सामने आया है. न जाने यह डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ कितने दिनों और महीनों से गायब चलते रहते होंगे, इसका कोई पता नहीं. फिलहाल जिनकी कुंडली इस जांच रिपोर्ट में बन गई है उनके लिए आने वाले समय में माहौल अनुकूल नहीं होने वाला, क्योंकि अब यह जांच के रडार पर आ चुके हैं. हालांकि इस तरह की छापेमारी से स्वास्थ्य महकमे में हलचल मच गई है और इसके आकस्मिक तौर फिर होने की संभावना बनी हुई है.
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