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ETV bharat team reality check: परिषदीय विद्यालय की खुली पोल, बच्चों को अभी तक नहीं मिली किताब

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Published : Jul 10, 2022, 7:12 PM IST

गाजीपुर में परिषदीय विद्यालयों की लचर व्यवस्था की पोल खुल गई है. ईटीवी भारत की टीम ने नगर क्षेत्र के दो विद्यालयों का रियलिटी चेक किया है.

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उच्च प्राथमिक विद्यालय

गाजीपुर: जनपद के नगर क्षेत्र में दो प्रमुख परिषदीय विद्यालयों का ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया है. जिले में करीब 31 परिषदीय विद्यालय है. 31 में से 30 विद्यालयों में कोई कायाकल्प नहीं हुआ है. इतना ही नहीं बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने प्राथमिक विद्यालय मिश्रबजार और उच्च प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज का रियलिटी चेक किया. टीम ने बताया कि 31 में से 30 विद्यालयों में अभी तक बच्चों को ड्रेस और किताबें नहीं मिली हैं. दोनों विद्यालयों में कुल 600 बच्चों को केवल 6 शिक्षक पढ़ाते हैं. 600 बच्चों को पढ़ने के लिए में कम से कम 15 अध्यापक होने चाहिए.

ETV bharat team reality check

जिले के नगर क्षेत्र में खंड शिक्षा अधिकारी नगर आलोक यादव ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों में इंफ्राइंस्ट्रक्चर की कमी है. नगर के सभी परिषदीय विद्यालय नगर पालिका परिषद में आते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रमीण इलाको में मिशन कायाकल्प की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है, जबकि नगर क्षेत्र में आने वाले विद्यालयों की जिम्मेदारी नगर पालिका की है. सरकार की मिशन कायाकल्प योजना (Mission Rejuvenation Plan) के तहत 1 विद्यालय को छोड़कर किसी भी विद्यालय में मिशन कायाकल्प के तहत कोई कार्य नहीं हुआ है.

यह भी पढ़ें: रायबरेलीः जिला जेल में शुरू हुआ ब्यूटी पार्लर, महिला बंदियों में खुशी का माहौल

खंड शिक्षा अधिकारी ने आगे कहा, कि इन परिषदीय विद्यालयों में डेस्क और बेंच, सौंदर्यीकरण की व्यवस्था हो जाए, तो हम पब्लिक स्कूलों को टक्कर दे सकते हैं. अभी विद्यालयों में मिड डे मील की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है और अभी तक उसके लिए बजट नहीं आया है. मिड डे मील की व्यवस्था सभासद और प्रधानाचार्य के व्यक्तिगत बजट से की जा रही है. वहीं, विद्यालय में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की एक्टिविटी को भी चेक किया गया.

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गाजीपुर: जनपद के नगर क्षेत्र में दो प्रमुख परिषदीय विद्यालयों का ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया है. जिले में करीब 31 परिषदीय विद्यालय है. 31 में से 30 विद्यालयों में कोई कायाकल्प नहीं हुआ है. इतना ही नहीं बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने प्राथमिक विद्यालय मिश्रबजार और उच्च प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज का रियलिटी चेक किया. टीम ने बताया कि 31 में से 30 विद्यालयों में अभी तक बच्चों को ड्रेस और किताबें नहीं मिली हैं. दोनों विद्यालयों में कुल 600 बच्चों को केवल 6 शिक्षक पढ़ाते हैं. 600 बच्चों को पढ़ने के लिए में कम से कम 15 अध्यापक होने चाहिए.

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जिले के नगर क्षेत्र में खंड शिक्षा अधिकारी नगर आलोक यादव ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों में इंफ्राइंस्ट्रक्चर की कमी है. नगर के सभी परिषदीय विद्यालय नगर पालिका परिषद में आते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रमीण इलाको में मिशन कायाकल्प की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है, जबकि नगर क्षेत्र में आने वाले विद्यालयों की जिम्मेदारी नगर पालिका की है. सरकार की मिशन कायाकल्प योजना (Mission Rejuvenation Plan) के तहत 1 विद्यालय को छोड़कर किसी भी विद्यालय में मिशन कायाकल्प के तहत कोई कार्य नहीं हुआ है.

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खंड शिक्षा अधिकारी ने आगे कहा, कि इन परिषदीय विद्यालयों में डेस्क और बेंच, सौंदर्यीकरण की व्यवस्था हो जाए, तो हम पब्लिक स्कूलों को टक्कर दे सकते हैं. अभी विद्यालयों में मिड डे मील की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है और अभी तक उसके लिए बजट नहीं आया है. मिड डे मील की व्यवस्था सभासद और प्रधानाचार्य के व्यक्तिगत बजट से की जा रही है. वहीं, विद्यालय में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की एक्टिविटी को भी चेक किया गया.

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