फिरोजाबाद: जनपद में खादी को बढ़ावा देने के लिए हाईटेक कदम उठाए गए हैं. जिले के एक गांव में 25 महिलाओं को चरखे दिए गए हैं. यह चरखे सौर ऊर्जा से चलते हैं. इन चरखों से सूत की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और बुनकर का कार्य करने वाली महिलाओं की आमदनी भी बढ़ी है.
जिले के ब्लॉक अरांव का गांव एक नई तकनीक का गवाह बना हुआ है. खादी ग्राम उद्योग बोर्ड ने महिलाओं के एक समूह को 25 चरखे उपलब्ध कराए गए हैं, जो सौर ऊर्जा से चलते हैं. बता दें कि अभी तक महिलाएं हाथ से चरखा चलाकर सूत काटती थीं. केंद्र सरकार के सोलर चरखा मिशन के तहत महिलाओं को सौर उर्जा से चलने वाले आधुनिक चरखे दिए गए हैं. इससे आम चरखे की अपेक्षा 12 गुना अधिक सूत की कटाई हो सकेगी और इससे धागे की गुणवत्ता भी बढ़ेगी. इस चरखे से कटे हुए सूत का खादी बुनकर अच्छा दाम देते हैं. महिलाओं ने बताया कि पहले सूत की कटाई कर वह 30 से 40 रुपये ही कमाती थीं. अब वह आधुनिक चरखे से सूत काटकर 150 से 200 रुपये कमाई कर लेती हैं. यह कार्य ग्राम प्रधान के प्रयासों से संभव हुआ है.
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सोलर चरखा मिशन की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. यह योजना केंद्र सरकार के माइक्रो, स्मॉल एंड माइक्रो इंडस्ट्रीज मंत्रालय की तरफ से चलाई गई थी. उत्तर प्रदेश में साल 2018 में इस स्कीम का शुभारंभ किया गया. इस योजना के प्रथम चरण में सरकार ने पांच हजार सोलर चरखे बांटने का लक्ष्य रखा है. यह योजना स्प्रिनरो, सिलाई करने वालों, बुनकरों और खादी ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी. इससे कामगारों का ग्रामीण अंचलों से शहर की तरफ पलायन भी रुकेगा.
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