प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए तैयार सजा के खिलाफ अपील पर बहस न कर केवल जमानत अर्जी पर जोर देने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करने से लंबित वादों की संख्या ही बढ़ेगी. यह सही तरीका नहीं है. कोर्ट ने गंभीर अपराध में चौथी बार बिना किसी नये आधार के दाखिल जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति के जे ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने उमेश गोसाईं की आपराधिक अपील पर दाखिल जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि अपील का पेपर बुक तैयार हो चुका है. अपील सुनवाई के लिए तैयार है, किन्तु अपीलार्थी अधिवक्ता अपील की सुनवाई की अनुमति नहीं दे रहा और जमानत अर्जी पर बहस का दबाव बना रहा है. जमानत पर रिहाई का जेल में बंद रहने के शिवाय नया आधार नहीं है, जिस पर जमानत पर रिहा किया जा सके.
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