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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी देने का दिया आदेश - भुदब्रल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार को विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का आदेश दिया. कोर्ट ने मेरठ सीएमओ (Meerut CMO) को इस आदेश को पारित करने के लिए तीन महीने का समय दिया है.

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Published : Oct 28, 2021, 8:07 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ को स्वास्थ्य कर्मी की विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस (Vimla Srivastava Case) में विवाहित पुत्री को भी परिवार में शामिल कर लिया है. कोर्ट ने सीएमओ के नियुक्ति से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है और तीन माह में नये सिरे से आदेश पारित करने का आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें- श्रीलंका की अशोक वाटिका से राम मंदिर निर्माण के लिए आया पत्थर, श्रीलंकाई डेलिगेशन ने किया रामलला का दर्शन

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने फिनिफ लोधी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया. याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की थी. इनका कहना था कि याची की मां सुधा भंडारी मेरठ के भुदब्रल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के उप केन्द्र गोला बुधा में महिला स्वास्थ्य कर्मी थीं.

ये भी पढ़ें- कर्मचारियों को सीएम योगी का तोहफा, 1 नवंबर से पहले बोनस और बढ़े हुए महंगाई भत्ते के भुगतान का निर्देश

सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई, तो विवाहित बेटी ने आश्रित कोटे में नियुक्ति के लिए अर्जी दी थी. इस अर्जी को सीएमओ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विवाहित बेटी मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार में शामिल नहीं है. मेरठ के मुख्य चिकित्साधिकारी के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का आदेश दिया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ को स्वास्थ्य कर्मी की विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस (Vimla Srivastava Case) में विवाहित पुत्री को भी परिवार में शामिल कर लिया है. कोर्ट ने सीएमओ के नियुक्ति से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है और तीन माह में नये सिरे से आदेश पारित करने का आदेश दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने फिनिफ लोधी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया. याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की थी. इनका कहना था कि याची की मां सुधा भंडारी मेरठ के भुदब्रल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के उप केन्द्र गोला बुधा में महिला स्वास्थ्य कर्मी थीं.

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सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई, तो विवाहित बेटी ने आश्रित कोटे में नियुक्ति के लिए अर्जी दी थी. इस अर्जी को सीएमओ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विवाहित बेटी मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार में शामिल नहीं है. मेरठ के मुख्य चिकित्साधिकारी के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का आदेश दिया.

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